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खनन चुगान को लेकर उत्तराखंड वन विकास निगम की कवायद तेज

उत्तराखंड के फायदे में चल रहे गिने-चुने निगमों में शुमार रहे वन विकास निगम के हालात अब पहले जैसे नहीं रहे. साल 2017-18 में जहां निगम को होने वाले घाटे का आंकड़ा करीब 7 करोड़ तक था. वहीं मौजूदा साल में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. मौजूदा समय में निगम की आय जहां 1000 करोड़ तक हो सकती है. इसके खर्चे 1030 करोड़ अनुमानित माने गए हैं.

उत्तराखंड वन विकास निगम
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Published : Aug 16, 2019, 8:23 PM IST

देहरादून: मॉनसून के चलते सूबे में खनिज चुगान का काम ठप है. ऐसे में उत्तराखंड वन विकास निगम ने खनिज चुगान को लेकर अभी से तैयारी शुरु कर दी है. निगम खनन चुगान के लिए फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने के प्रयास में जुट गया है.

बता दें कि उत्तराखंड बन विकास निगम घाटे में चल रहा है. ऐसे में इस बार निगम को अब खनिज चुगान से बड़ी उम्मीद है. कयास लगाए जा रहे हैं कि अक्टूबर के महीने की नदियों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा. वहीं, उत्तराखंड के फायदे में चल रहे गिने-चुने निगमों में शुमार रहे वन विकास निगम के हालात अब पहले जैसे नहीं रहे. साल 2017-18 में जहां निगम को होने वाले घाटे का आंकड़ा करीब 07 करोड़ तक था. वहीं मौजूदा साल में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.

खनन चुगान को लेकर उत्तराखंड वन विकास निगम की कवायद तेज.

मौजूदा समय में निगम की आय जहां 1000 करोड़ तक हो सकती है. इसके खर्चे 1030 करोड़ अनुमानित माने गए हैं. हालांकि, वन विकास निगम के बढ़ रहे घाटे को देखते हुए प्रबंध निदेशक के स्तर पर खासे ठोस कदम उठाएं जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें आय के बड़े स्रोत खनिज चुगान की दिशा में पहले से ही तैयारियां शुरु कर दी गई है।

पढ़ें:पहली पुण्यतिथि पर याद किए गए अटल जी, कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि

गौरतलब है कि वन विकास निगम 11 जगह पर नदियों में खनिज चुगान करता है. इसमें 6 जगह गढ़वाल तो 5 कुमाऊं में स्थित है. हालांकि, मॉनसून के चलते मई माह से ही खनिज का काम बंद है लेकिन अक्टूबर माह से सीजन शुरु होते ही निगम तैयारी कर रहा है. इसके तहत निगम ने फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने की औपचारिकताएं शुरु कर दी है. जबकि, हरिद्वार में एनजीटी द्वारा बंद कराए गए खनन को भी खुलवाने के प्रयास किये जा रहे हैं. वन विकास निगम के घाटे में जाने की एक बड़ी वजह निगम में फैला भ्रष्टाचार भी है.

पढ़ें:अगले 24 घंटों में उत्तराखंड के इन जिलों में होगी भारी बारिश, पहाड़ों पर बढ़ सकती हैं मुश्किलें

हाल ही में ईटीवी भारत ने भी निगम में 50 लाख के घोटाले की खबर प्रकाशित की थी. निगम में ऐसे ही कई मामले हैं जिसके कारण लगातार इसकी स्थिति बिगड़ती जा रही रही है. चिंता इस बात की है कि करोड़ों के घाटे में जा रहा निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह दे पाने की स्थिति में भी नहीं है. ऐसे में घाटे के उबरने के लिए वन विकास निगम ठोस कदम उठाने जा रहा है.

देहरादून: मॉनसून के चलते सूबे में खनिज चुगान का काम ठप है. ऐसे में उत्तराखंड वन विकास निगम ने खनिज चुगान को लेकर अभी से तैयारी शुरु कर दी है. निगम खनन चुगान के लिए फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने के प्रयास में जुट गया है.

बता दें कि उत्तराखंड बन विकास निगम घाटे में चल रहा है. ऐसे में इस बार निगम को अब खनिज चुगान से बड़ी उम्मीद है. कयास लगाए जा रहे हैं कि अक्टूबर के महीने की नदियों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा. वहीं, उत्तराखंड के फायदे में चल रहे गिने-चुने निगमों में शुमार रहे वन विकास निगम के हालात अब पहले जैसे नहीं रहे. साल 2017-18 में जहां निगम को होने वाले घाटे का आंकड़ा करीब 07 करोड़ तक था. वहीं मौजूदा साल में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.

खनन चुगान को लेकर उत्तराखंड वन विकास निगम की कवायद तेज.

मौजूदा समय में निगम की आय जहां 1000 करोड़ तक हो सकती है. इसके खर्चे 1030 करोड़ अनुमानित माने गए हैं. हालांकि, वन विकास निगम के बढ़ रहे घाटे को देखते हुए प्रबंध निदेशक के स्तर पर खासे ठोस कदम उठाएं जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें आय के बड़े स्रोत खनिज चुगान की दिशा में पहले से ही तैयारियां शुरु कर दी गई है।

पढ़ें:पहली पुण्यतिथि पर याद किए गए अटल जी, कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि

गौरतलब है कि वन विकास निगम 11 जगह पर नदियों में खनिज चुगान करता है. इसमें 6 जगह गढ़वाल तो 5 कुमाऊं में स्थित है. हालांकि, मॉनसून के चलते मई माह से ही खनिज का काम बंद है लेकिन अक्टूबर माह से सीजन शुरु होते ही निगम तैयारी कर रहा है. इसके तहत निगम ने फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने की औपचारिकताएं शुरु कर दी है. जबकि, हरिद्वार में एनजीटी द्वारा बंद कराए गए खनन को भी खुलवाने के प्रयास किये जा रहे हैं. वन विकास निगम के घाटे में जाने की एक बड़ी वजह निगम में फैला भ्रष्टाचार भी है.

पढ़ें:अगले 24 घंटों में उत्तराखंड के इन जिलों में होगी भारी बारिश, पहाड़ों पर बढ़ सकती हैं मुश्किलें

हाल ही में ईटीवी भारत ने भी निगम में 50 लाख के घोटाले की खबर प्रकाशित की थी. निगम में ऐसे ही कई मामले हैं जिसके कारण लगातार इसकी स्थिति बिगड़ती जा रही रही है. चिंता इस बात की है कि करोड़ों के घाटे में जा रहा निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह दे पाने की स्थिति में भी नहीं है. ऐसे में घाटे के उबरने के लिए वन विकास निगम ठोस कदम उठाने जा रहा है.

Intro:Summary- उत्तराखंड वन विकास निगम ने खनिज चुगान को लेकर मानसून के दौरान ही तैयारी शुरू कर दी है..इस तहत निगम फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने के प्रयास में जुट गया है...


प्रदेश में करोड़ों का घाटा झेल रहे वन विकास निगम को अब खनिज चुगान से बड़ी उम्मीद है... शायद इसीलिए सीजन शुरू होने से पहले ही निगम ने चुगान से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा करना शुरू कर दिया है। 




Body:उत्तराखंड के फायदे में चल रहे गिने-चुने निगमों में शुमार रहे वन विकास निगम के हालात अब पहले जैसे नहीं रहे...साल 2017-18 में जहां निगम को होने वाले घाटे का आंकड़ा करीब 07 करोड़ तक था वहीं मौजूदा साल में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। मौजूदा समय में निगम की आय जहां 1000 करोड़ तक हो सकती है वहीं इसके खर्चे 1030 करोड़ अनुमानित माने गए हैं। हालांकि वन विकास निगम के बढ़ रहे घाटे को देखते हुए प्रबंध निदेशक के स्तर पर खासे गंभीर कदम उठाएं जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आय के बड़े स्रोत खनिज चुगान की दिशा में पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई है। आपको बता दें कि वन विकास निगम 11 जगह पर नदियों में खनिज चुगान करता है। इसमें 6 जगह गढ़वाल तो 5 कुमाऊं में स्थित है। हालांकि मानसून के चलते मई माह से ही खनिज का काम बंद है लेकिन अक्टूबर माह से सीजन शुरू होते ही निगम तैयारी कर रहा है। इसके तहत निगम ने फॉरेस्ट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेने की औपचारिकताएं शुरू कर दी है।  जबकि हरिद्वार में एनजीटी द्वारा बंद करवाए गए खनन को भी खुलवाने के प्रयास शुरू किए हैं। 


बाइट -मोनिष मल्लिक, प्रबंध निदेशक,  उत्तराखंड वन विकास निगम


 वन विकास निगम के घाटे में जाने की एक बड़ी वजह निगम में फैला भ्रष्टाचार भी है हाल ही में ईटीवी भारत ने भी 5000000 का खाना अधिकारियों द्वारा डकारने की खबर भी प्रकाशित की गई थी.. निगम में ऐसे ही कई मामले हैं जिसके कारण लगातार इसकी स्थिति खराब होती जा रही है। 




Conclusion:उत्तराखंड में वन विकास निगम के हालात धीरे धीरे बिगड़ रहे हैं...चिंता ये है कि करोड़ों के घाटे में जा रहा निगम तनख्वाह न दे पाने की स्थिति में न चला जाये..हालाकिं फिलहाल इससे उबरने के प्रयास किये जा रहे हैं।
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