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अब टाइगर रिजर्व में पेयजल को लेकर पुराने कुएं बने उम्मीद, पार्क में सर्वेक्षण का काम शुरू

Rajaji Tiger Reserve राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए पुराने कुओं में पानी की तलाश की जाएगी. साथ ही जिन कुओं में पानी नहीं है, उन्हें बंद किया जाएगा. जिसके लिए वन विभाग ने कसरत तेज कर दी है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 2, 2024, 8:29 AM IST

Updated : Jan 2, 2024, 9:56 AM IST

टाइगर रिजर्व में पेयजल को लेकर पुराने कुएं बने उम्मीद

देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए यहां मौजूद पुराने कुएं एक बड़ी उम्मीद बनते दिखाई दे रहे हैं. टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने पार्क में मौजूद पुराने कुओं का सर्वेक्षण करने की तैयारी कर ली है. जिसके जरिए वन क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता को खोजा जा रहा है.

वन क्षेत्र में वन्यजीवों के वास स्थल को बेहतर करने के लिए वन विभाग प्रयासरत रहता है. इसी कड़ी में राजाजी टाइगर रिजर्व में भी यहां मौजूद तमाम वन्यजीव प्रजातियों के लिए पेयजल को लेकर बेहतर व्यवस्थाएं बनाने के प्रयास हो रहे हैं.इसी प्रयास के तहत टाइगर रिजर्व में पुराने कुओं का सर्वेक्षण करने का काम शुरू किया गया है. इसके तहत वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी टाइगर रिजर्व में सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र का अध्ययन करेंगे और इसमें पुराने कुओं की मौजूदगी को देखने के साथ ही इनमें मौजूद पानी की भी व्यवस्थाओं को देखा जाएगा. यानी जिन कुओं में पानी मौजूद है और जिनमें नहीं सभी को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें अलग-अलग वर्गीकृत करके इन पर काम किया जाएगा.
पढ़ें-शख्स का वीडियो वायरल, वन विभाग ने की ये अपील

दरअसल राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पूर्व में अलग-अलग जगह पर कई लोग रहते थे और ऐसे में यहां कई जगहों पर कुओं की मौजूदगी भी है, इन्हीं कुओं की स्थितियों को देखा जा रहा है. क्योंकि ऐसे कई कुएं हैं जिनमें पानी ही नहीं है. ऐसे में इन कुओं को ऊपर से ढक कर बंद करने के आदेश दिए गए हैं. ताकि वन्य जीवों को इससे कोई नुकसान ना हो. उधर जिन कुओं में पानी की मौजूदगी पाई जाएगी उन्हें वन्यजीवों के लिए पेयजल उपलब्धता के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. वन विभाग द्वारा बनाए गए तमाम कुओं में इससे पानी निकाल कर रखा जाएगा, ताकि यहां रहने वाले वन्य जीवों को आसानी से पानी की उपलब्धता अलग-अलग जगह पर कराई जा सके.
पढ़ें-गुलदार और बाघ की धमक से सहमे लोग, लगातार हो रही घटनाओं से लोगों में आक्रोश, जानिए क्या कह रहे जिम्मेदार

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला के अनुसार वन विभाग लगातार वन्यजीवों के वास स्थल को बेहतर करने के प्रयास करता रहा है और इसी कड़ी में अब इस नए अध्ययन को भी शुरू किया गया है. इसमें फिलहाल सर्वेक्षण का काम चल रहा है और इसके बाद कुओं में पानी की उपलब्धता के आधार पर वन्यजीवों के लिए वन विभाग द्वारा बनाए गए कुओं में पानी को उपलब्ध कराया जा सकेगा. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ से लेकर लेपर्ड और हाथी की मौजूदगी है. इसके अलावा काला भालू और चीतल, सांभर जैसे वन्य जीव भी यहां मौजूद हैं. यह क्षेत्र काफी बड़ा है और यहां पर सभी जगह वन्यजीवों को पानी उपलब्ध कराना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. टाइगर रिजर्व द्वारा कराए गए इस अध्ययन को वास स्थल में बेहतर हालत बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

टाइगर रिजर्व में पेयजल को लेकर पुराने कुएं बने उम्मीद

देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए यहां मौजूद पुराने कुएं एक बड़ी उम्मीद बनते दिखाई दे रहे हैं. टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने पार्क में मौजूद पुराने कुओं का सर्वेक्षण करने की तैयारी कर ली है. जिसके जरिए वन क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता को खोजा जा रहा है.

वन क्षेत्र में वन्यजीवों के वास स्थल को बेहतर करने के लिए वन विभाग प्रयासरत रहता है. इसी कड़ी में राजाजी टाइगर रिजर्व में भी यहां मौजूद तमाम वन्यजीव प्रजातियों के लिए पेयजल को लेकर बेहतर व्यवस्थाएं बनाने के प्रयास हो रहे हैं.इसी प्रयास के तहत टाइगर रिजर्व में पुराने कुओं का सर्वेक्षण करने का काम शुरू किया गया है. इसके तहत वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी टाइगर रिजर्व में सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र का अध्ययन करेंगे और इसमें पुराने कुओं की मौजूदगी को देखने के साथ ही इनमें मौजूद पानी की भी व्यवस्थाओं को देखा जाएगा. यानी जिन कुओं में पानी मौजूद है और जिनमें नहीं सभी को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें अलग-अलग वर्गीकृत करके इन पर काम किया जाएगा.
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दरअसल राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पूर्व में अलग-अलग जगह पर कई लोग रहते थे और ऐसे में यहां कई जगहों पर कुओं की मौजूदगी भी है, इन्हीं कुओं की स्थितियों को देखा जा रहा है. क्योंकि ऐसे कई कुएं हैं जिनमें पानी ही नहीं है. ऐसे में इन कुओं को ऊपर से ढक कर बंद करने के आदेश दिए गए हैं. ताकि वन्य जीवों को इससे कोई नुकसान ना हो. उधर जिन कुओं में पानी की मौजूदगी पाई जाएगी उन्हें वन्यजीवों के लिए पेयजल उपलब्धता के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. वन विभाग द्वारा बनाए गए तमाम कुओं में इससे पानी निकाल कर रखा जाएगा, ताकि यहां रहने वाले वन्य जीवों को आसानी से पानी की उपलब्धता अलग-अलग जगह पर कराई जा सके.
पढ़ें-गुलदार और बाघ की धमक से सहमे लोग, लगातार हो रही घटनाओं से लोगों में आक्रोश, जानिए क्या कह रहे जिम्मेदार

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला के अनुसार वन विभाग लगातार वन्यजीवों के वास स्थल को बेहतर करने के प्रयास करता रहा है और इसी कड़ी में अब इस नए अध्ययन को भी शुरू किया गया है. इसमें फिलहाल सर्वेक्षण का काम चल रहा है और इसके बाद कुओं में पानी की उपलब्धता के आधार पर वन्यजीवों के लिए वन विभाग द्वारा बनाए गए कुओं में पानी को उपलब्ध कराया जा सकेगा. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ से लेकर लेपर्ड और हाथी की मौजूदगी है. इसके अलावा काला भालू और चीतल, सांभर जैसे वन्य जीव भी यहां मौजूद हैं. यह क्षेत्र काफी बड़ा है और यहां पर सभी जगह वन्यजीवों को पानी उपलब्ध कराना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. टाइगर रिजर्व द्वारा कराए गए इस अध्ययन को वास स्थल में बेहतर हालत बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

Last Updated : Jan 2, 2024, 9:56 AM IST
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