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जलते जंगल को रोकने के लिए कितना तैयार था वन विभाग? देखें रिपोर्ट

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Published : Apr 7, 2021, 5:49 PM IST

Updated : Apr 17, 2021, 2:52 PM IST

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग विकराल रूप ले चुकी है. आधे से ज्यादा जिलों में आग की घटनाएं लगातार आ रही हैं. वहीं हाईकोर्ट ने भी बढ़ती आग की घटनाओं पर सरकार की तैयारियों को लेकर जवाब मांगा है. फिलहाल आग बुझाने के लिए वायुसेना की मदद ली जा रही है.

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देहरादून

देहरादूनः उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग को लेकर सरकार लगातार सवालों के घेरे में हैं. अब तक पहाड़ की करोड़ों की वन संपदा राख हो चुकी है. साथ ही कई जंगली और पालतु जानवर भी इन भयावह आग की चपेट आ चुके हैं. आखिरकार उत्तराखंड सरकार इससे निजात पाने के लिए क्यों कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही है? ऐसा पहली बार नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि सरकार को इस बारे में नहीं पता ये घटना हर साल होती है.

जलते जंगल को रोकने के लिए कितना तैयार था वन विभाग?
  • कॉर्बेट को नुकसान

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की सुर्खियां नेशनल मीडिया तक पहुंच गई हैं. जिसके बाद उत्तराखंड के पर्यटन पर भी असर का अंदेशा लगाया जा रहा है. नेचर टूरिज्म पर सबसे असर बताया जा रहा है. हालांकि वन विभाग से जब यह सवाल पूछा गया तो नोडल अधिकारी मान सिंह ने बताया कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के पर्यटन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है. कॉर्बेट पार्क के पेरीफेरल में कुछ जगहों पर घटनाएं रिपोर्ट की गई है लेकिन कॉर्बेट के अंदरूनी इलाकों में लोगों का बसेरा न होने से आग की घटनाएं नहीं हुई हैं. फॉरेस्ट फायर नोडल अधिकारी मानसिंह ने बताया कि प्रदेश की 1266 जगहों पर लगी आग की घटनाओं में से वाइल्डलाइफ क्षेत्र में केवल 30 से 35 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं.

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उत्तराखंड के जलते जंगल
  • तैयारियां और रणनीति

उत्तराखंड में वन अग्नि से निपटने के सवाल पर वन विभाग की माने तो विभाग ने अक्टूबर से फॉरेस्ट फायर से निपटने की तैयारी शुरू कर ली थी. पूरी तैयारियां के साथ वन विभाग फॉरेस्ट फायर से लड़ने के लिए तैयार हो गया था. वन विभाग के तकरीबन 5000 कर्मचारी और 10,000 फायर वर्कर इस वक्त प्रदेश में आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं भारतीय वायुसेना से बुझाई जा रही आग से भी वनाग्नि से निपटने में काफी मदद मिल रही है.

  • एक तिहाई मिल रहा बजट

वन विभाग की वनाग्नि शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर के लिए तकरीबन 110 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट है. लेकिन हर साल तकरीबन केंद्र और राज्य से मिलाकर 30 करोड़ का बजट मिलता है. पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में फॉरेस्ट फायर के लिए राज्य से 19 करोड़, केंद्र से दो करोड़ और कैंपा योजना के तहत 10 करोड़ का बजट खर्च किया गया. तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी तकरीबन 20 करोड़ राज्य सरकार की तरफ से, एक करोड़ केंद्र और 10 करोड़ कैंपा योजना के तहत फॉरेस्ट फायर के लिए दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं में आग बुझाने आया हेलीकॉप्टर बैरंग लौटा, धुएं ने नहीं भरने दी उड़ान

उधर बागेश्वर जिले के जंगलों से भी आ रही आग की तस्वीरें भयावह नजर आ रही हैं. जंगलों में लगी भीषण आग को लेकर सरकार लगातार सवालों के कठघरे में खड़ी होती नजर आ रही है. आग से बागेश्वर के कपकोट के ऐठाण गांव में दर्जनों बीघा गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई. इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है.

जानकारी के मुताबिक कपकोट रेंज में 5, बागेश्वर रेंज में 2, बैजनाथ रेंज के एक जंगल में आग लगी है. शीतकाल से अब तक बागेश्वर के जंगलों में आग लगने की 122 घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें 175 हेक्टेयर जंगल जल चुका है. बीते 24 घंटों में जंगलों की आग की 8 घटनाओं में साढ़े 16 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है.

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बागेश्वर के जंगलों में आग की घटनाएं

देहरादूनः उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग को लेकर सरकार लगातार सवालों के घेरे में हैं. अब तक पहाड़ की करोड़ों की वन संपदा राख हो चुकी है. साथ ही कई जंगली और पालतु जानवर भी इन भयावह आग की चपेट आ चुके हैं. आखिरकार उत्तराखंड सरकार इससे निजात पाने के लिए क्यों कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही है? ऐसा पहली बार नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि सरकार को इस बारे में नहीं पता ये घटना हर साल होती है.

जलते जंगल को रोकने के लिए कितना तैयार था वन विभाग?
  • कॉर्बेट को नुकसान

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की सुर्खियां नेशनल मीडिया तक पहुंच गई हैं. जिसके बाद उत्तराखंड के पर्यटन पर भी असर का अंदेशा लगाया जा रहा है. नेचर टूरिज्म पर सबसे असर बताया जा रहा है. हालांकि वन विभाग से जब यह सवाल पूछा गया तो नोडल अधिकारी मान सिंह ने बताया कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के पर्यटन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है. कॉर्बेट पार्क के पेरीफेरल में कुछ जगहों पर घटनाएं रिपोर्ट की गई है लेकिन कॉर्बेट के अंदरूनी इलाकों में लोगों का बसेरा न होने से आग की घटनाएं नहीं हुई हैं. फॉरेस्ट फायर नोडल अधिकारी मानसिंह ने बताया कि प्रदेश की 1266 जगहों पर लगी आग की घटनाओं में से वाइल्डलाइफ क्षेत्र में केवल 30 से 35 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं.

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उत्तराखंड के जलते जंगल
  • तैयारियां और रणनीति

उत्तराखंड में वन अग्नि से निपटने के सवाल पर वन विभाग की माने तो विभाग ने अक्टूबर से फॉरेस्ट फायर से निपटने की तैयारी शुरू कर ली थी. पूरी तैयारियां के साथ वन विभाग फॉरेस्ट फायर से लड़ने के लिए तैयार हो गया था. वन विभाग के तकरीबन 5000 कर्मचारी और 10,000 फायर वर्कर इस वक्त प्रदेश में आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं भारतीय वायुसेना से बुझाई जा रही आग से भी वनाग्नि से निपटने में काफी मदद मिल रही है.

  • एक तिहाई मिल रहा बजट

वन विभाग की वनाग्नि शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर के लिए तकरीबन 110 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट है. लेकिन हर साल तकरीबन केंद्र और राज्य से मिलाकर 30 करोड़ का बजट मिलता है. पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में फॉरेस्ट फायर के लिए राज्य से 19 करोड़, केंद्र से दो करोड़ और कैंपा योजना के तहत 10 करोड़ का बजट खर्च किया गया. तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में भी तकरीबन 20 करोड़ राज्य सरकार की तरफ से, एक करोड़ केंद्र और 10 करोड़ कैंपा योजना के तहत फॉरेस्ट फायर के लिए दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं में आग बुझाने आया हेलीकॉप्टर बैरंग लौटा, धुएं ने नहीं भरने दी उड़ान

उधर बागेश्वर जिले के जंगलों से भी आ रही आग की तस्वीरें भयावह नजर आ रही हैं. जंगलों में लगी भीषण आग को लेकर सरकार लगातार सवालों के कठघरे में खड़ी होती नजर आ रही है. आग से बागेश्वर के कपकोट के ऐठाण गांव में दर्जनों बीघा गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई. इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है.

जानकारी के मुताबिक कपकोट रेंज में 5, बागेश्वर रेंज में 2, बैजनाथ रेंज के एक जंगल में आग लगी है. शीतकाल से अब तक बागेश्वर के जंगलों में आग लगने की 122 घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें 175 हेक्टेयर जंगल जल चुका है. बीते 24 घंटों में जंगलों की आग की 8 घटनाओं में साढ़े 16 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है.

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बागेश्वर के जंगलों में आग की घटनाएं
Last Updated : Apr 17, 2021, 2:52 PM IST
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