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पर्यावरण संरक्षण पर कार्यशाला का आयोजन, विभागीय अधिकारियों ने किया मंथन

देहरादून में उत्तराखंड वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया. इस दौरान तमाम विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे. कार्यशाला में पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जाय इस पर मंथन किया गया.

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Published : Jun 4, 2022, 7:11 PM IST

discussion on environmental protection
पर्यावरण संरक्षण पर मंथन

देहरादून: दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता की जा रही है. वहीं, विश्व पर्यावरण दिवस से ठीक एक दिन पहले पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर मंथन किया. इस दौरान तमाम विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे.

देहरादून में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी विभाग के वक्ताओं ने अपने विचार साझा किया. पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जाय इस पर मंथन किया. इस दौरान जनता में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैला कर उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गयी.

ये भी पढ़ें: CM धामी को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद बड़े बदलाव की तैयारी, शासन से लेकर योजनाओं तक में दिखेगा असर

वक्ताओं ने कहा वन एवं पर्यावरण में हाड़ और मांस का संबंध है. एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है. पर्यावरण के बिना धरती पर जीवन का अस्तित्व असंभव है, लेकिन विडंबना है कि मानव जाति की सुविधावादी जीवन शैली और विकास की होड़ के कारण पर्यावरण संकट ग्रस्त है.

कार्यशाला में विकास के साथ पर्यावरण को कैसे मेंटेन किया जाए, इस पर ठोस नीति बनाने की दिशा पर विचार साझा किया गया. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा इस दिशा में साल 2021 में 2 लाख 57 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए गए. साथ ही 1 लाख 16 हजार वृक्षारोपण प्रस्तावित हैं.

वहीं, पर्यावरण पर वनाग्नि का नकारात्मक प्रभाव को लेकर भी चर्चा हुई. कार्यशाला में कहा गया कि राज्य में वनाग्नि एक बहुत बड़ी समस्या है. इस पर प्रदेश वासियों के सहयोग से नियंत्रण किया जा सकता है.

देहरादून: दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता की जा रही है. वहीं, विश्व पर्यावरण दिवस से ठीक एक दिन पहले पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया. जिसमें वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर मंथन किया. इस दौरान तमाम विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे.

देहरादून में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी विभाग के वक्ताओं ने अपने विचार साझा किया. पर्यावरण को कैसे संरक्षित किया जाय इस पर मंथन किया. इस दौरान जनता में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैला कर उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गयी.

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वक्ताओं ने कहा वन एवं पर्यावरण में हाड़ और मांस का संबंध है. एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है. पर्यावरण के बिना धरती पर जीवन का अस्तित्व असंभव है, लेकिन विडंबना है कि मानव जाति की सुविधावादी जीवन शैली और विकास की होड़ के कारण पर्यावरण संकट ग्रस्त है.

कार्यशाला में विकास के साथ पर्यावरण को कैसे मेंटेन किया जाए, इस पर ठोस नीति बनाने की दिशा पर विचार साझा किया गया. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा इस दिशा में साल 2021 में 2 लाख 57 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए गए. साथ ही 1 लाख 16 हजार वृक्षारोपण प्रस्तावित हैं.

वहीं, पर्यावरण पर वनाग्नि का नकारात्मक प्रभाव को लेकर भी चर्चा हुई. कार्यशाला में कहा गया कि राज्य में वनाग्नि एक बहुत बड़ी समस्या है. इस पर प्रदेश वासियों के सहयोग से नियंत्रण किया जा सकता है.

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