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AIIMS में बना प्रदेश का पहला येलो फीवर टीकाकरण केंद्र, निदेशक ने गिनाई उपलब्धियां

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Published : Aug 17, 2021, 9:53 PM IST

एम्स ऋषिकेश तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर फोकस कर लगातार नए-नए उपलब्धियों को छू रहा है. अब येलो फीवर टीकाकरण केंद्र वाला राज्य का पहला संस्थान बन गया है.

aiims rishikesh
एम्स ऋषिकेश

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है. इसी कड़ी में एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा स्वास्थ्य संस्थान बन गया है, जहां चिकित्सा शिक्षा में पुनर्जागरण शुरू किया गया है. साथ ही एम्स येलो फीवर टीकाकरण केंद्र वाला संस्थान बन गया है. इतना ही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में यह संस्थान तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर विशेष फोकस कर रहा है. ताकि संस्थान एडवांस स्किल्स वाले विश्वस्तरीय डॉक्टरों को तैयार कर उन्हें स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उपलब्ध करा सके.

एम्स ऋषिकेश ने कोविडकाल के दौरान कई नई सुविधाओं की शुरुआत की है. जबकि कोविड की दूसरी लहर के दौरान चुनौतियों से निपटते हुए मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई. एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान के खाते में जुड़ी इन उपलब्धियों के लिए टीम भावना को सर्वोपरि बताया. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश का तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर ही प्राथमिक फोकस है.

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इसके लिए उन्होंने संस्थान के डॉक्टरों से आह्वान किया कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए एडवांस स्किल्स के साथ प्राइमरी और सेकेंडरी केयर में पारंगत होना पड़ेगा. इसके विकास के लिए उन्होंने विचारों की स्वतंत्रता विकसित करने की आवश्यकता बताई. निदेशक एम्स ने कहा कि जब हम स्वतंत्रता की बात करते हैं तो हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी स्वतंत्रता लानी होगी और यह तभी संभव हो सकेगा जब देश के प्रत्येक जिला चिकित्सालय में पीजीआई चंडीगढ़ जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित होंगी.

निदेशक ने एम्स के कल्चर पर जोर देते हुए कहा कि समय से पहले आना और नियत समय के बाद ऑफिस से घर जाने की प्रवृति प्रत्येक स्टाफ को अपनानी चाहिए. इस कार्य पद्धति को अपनाने से सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है. उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विकसित देशों से हमें उनकी कार्य पद्धति को समझने और जानने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ेंः AIIMS पहुंचीं राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, सिम्युलेशन लैब का किया निरीक्षण

एम्स निदेशक रविकांत ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के भयावह खतरे के बावजूद एम्स संस्थान ने अभी तक 3 लाख 51 हजार से अधिक कोविड नमूनों का परीक्षण किया है, जो एक रिकॉर्ड है. अब तक लगभग 16 हजार से अधिक कोविड संदिग्ध और कोविड पॉजिटिव मरीज इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती के बाद स्वास्थ्य का लाभ ले चुके हैं.

उन्होंने बताया कि इस दौरान संस्थान में उत्तराखंड का पहला ’येलो फीवर टीकाकरण केंद्र’ भी स्थापित किया गया है. संस्थान में अतिरिक्त अत्याधुनिक बाईपलेन कैथ लैब, एडवांस यूरोलॉजी सेंटर, ऑक्सीन उत्पादन प्लांट और लॉ इनर्जी लाइनर एक्सीलेरेटर मशीन की स्थापना किए जाने आदि को उन्होंने इस साल की उपलब्धि बताया.

उन्होंने दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एम्स की ओर से संचालित आउटरीच सेल की स्वास्थ्य सुविधाओं को जनसामान्य के लिए विशेष लाभकारी बताया. इन सेवाओं के फलस्वरूप 1 लाख से अधिक लोगों ने आउटरीच सेल की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित शिविरों के माध्यम से ओपीडी सुविधा का लाभ उठाया है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में कोविड-19 का बढ़ता R-नॉट काउंट, जानिए इसका जानलेवा खतरा

निदेशक एम्स ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्पना साकार होने के कारण ही एम्स ऋषिकेश राज्य में वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. स्थापना से आज तक 30 लाख से अधिक ओपीडी, 1 लाख 70 हजार आईपीडी मरीज, 1 लाख 30 हजार ट्रॉमा मामले और 70 हजार से अधिक ऑपरेशन कर संस्थान ने देश के अग्रणीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में अपनी जगह बनाई है.

ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है. इसी कड़ी में एम्स ऋषिकेश देश का पहला ऐसा स्वास्थ्य संस्थान बन गया है, जहां चिकित्सा शिक्षा में पुनर्जागरण शुरू किया गया है. साथ ही एम्स येलो फीवर टीकाकरण केंद्र वाला संस्थान बन गया है. इतना ही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में यह संस्थान तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर विशेष फोकस कर रहा है. ताकि संस्थान एडवांस स्किल्स वाले विश्वस्तरीय डॉक्टरों को तैयार कर उन्हें स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उपलब्ध करा सके.

एम्स ऋषिकेश ने कोविडकाल के दौरान कई नई सुविधाओं की शुरुआत की है. जबकि कोविड की दूसरी लहर के दौरान चुनौतियों से निपटते हुए मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई. एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान के खाते में जुड़ी इन उपलब्धियों के लिए टीम भावना को सर्वोपरि बताया. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश का तृतीयक देखभाल (टर्सरी केयर) और रिसर्च पर ही प्राथमिक फोकस है.

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इसके लिए उन्होंने संस्थान के डॉक्टरों से आह्वान किया कि लक्ष्य को हासिल करने के लिए एडवांस स्किल्स के साथ प्राइमरी और सेकेंडरी केयर में पारंगत होना पड़ेगा. इसके विकास के लिए उन्होंने विचारों की स्वतंत्रता विकसित करने की आवश्यकता बताई. निदेशक एम्स ने कहा कि जब हम स्वतंत्रता की बात करते हैं तो हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी स्वतंत्रता लानी होगी और यह तभी संभव हो सकेगा जब देश के प्रत्येक जिला चिकित्सालय में पीजीआई चंडीगढ़ जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित होंगी.

निदेशक ने एम्स के कल्चर पर जोर देते हुए कहा कि समय से पहले आना और नियत समय के बाद ऑफिस से घर जाने की प्रवृति प्रत्येक स्टाफ को अपनानी चाहिए. इस कार्य पद्धति को अपनाने से सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है. उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विकसित देशों से हमें उनकी कार्य पद्धति को समझने और जानने की आवश्यकता है.

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एम्स निदेशक रविकांत ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर के भयावह खतरे के बावजूद एम्स संस्थान ने अभी तक 3 लाख 51 हजार से अधिक कोविड नमूनों का परीक्षण किया है, जो एक रिकॉर्ड है. अब तक लगभग 16 हजार से अधिक कोविड संदिग्ध और कोविड पॉजिटिव मरीज इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती के बाद स्वास्थ्य का लाभ ले चुके हैं.

उन्होंने बताया कि इस दौरान संस्थान में उत्तराखंड का पहला ’येलो फीवर टीकाकरण केंद्र’ भी स्थापित किया गया है. संस्थान में अतिरिक्त अत्याधुनिक बाईपलेन कैथ लैब, एडवांस यूरोलॉजी सेंटर, ऑक्सीन उत्पादन प्लांट और लॉ इनर्जी लाइनर एक्सीलेरेटर मशीन की स्थापना किए जाने आदि को उन्होंने इस साल की उपलब्धि बताया.

उन्होंने दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एम्स की ओर से संचालित आउटरीच सेल की स्वास्थ्य सुविधाओं को जनसामान्य के लिए विशेष लाभकारी बताया. इन सेवाओं के फलस्वरूप 1 लाख से अधिक लोगों ने आउटरीच सेल की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित शिविरों के माध्यम से ओपीडी सुविधा का लाभ उठाया है.

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