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योगी की राह पर सीएम त्रिवेंद्र, कांग्रेस को भी अब लगने लगा ये मामला गलत

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला इकलौता राज्य नहीं है. नई जानाकरी के मुताबिक मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी यही प्रथा है.

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Published : Sep 17, 2019, 9:02 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 12:21 PM IST

देहरादून: उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड पर 19 साल बाद भी कर्ज का बोझ कम नहीं हुआ है. इतना है कि हर सरकार इससे निजात पाने के लिए प्रयास तो करती है, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे ही प्रदेश पर कर्ज को बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रदेश के नेताओं को इस बात से कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है.

योगी की राह पर सीएम त्रिवेंद्र.

इसका जीता-जागता उदाहरण तब सामने आया जब उत्तर प्रदेश से यह खबर आयी की मुख्यमंत्री योगी से लेकर सभी मंत्री अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरते हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य नहीं है कि जहां पर सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री और मंत्रियों का इनकम टैक्स भरा जाता है, बल्कि इसमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं.

पढ़ें- फ्री में बकरी का दूध बांट रहे शरीफ अहमद, जानिए क्या है इसके पीछे मकसद

उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल होने को है, लेकिन बजट के अभाव में आज भी प्रदेश में कई छोटी-बड़ी परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं. 19 सालों में लगभग 8 मुख्यमंत्री बने और इन मुख्यमंत्रियों के साथ ही तमाम कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा. हालाकि यह मामला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में जैसे ही आया, उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस व्यवस्था को बंद करने के आदेश दिए. अब उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले पर पहल करने का विचार किया है.

मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी फैसले का स्वागत किया है. त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री की तरफ से आदेश होता है तो वह इस आदेश का स्वागत करेंगे. इतना ही नहीं राज्य में पर्यटन मंत्री की कमान संभाल रहे सतपाल महाराज ने भी इस पहल का स्वागत किया है.

उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें जहां तक ध्यान है कि इनकम टैक्स वह खुद ही भरते हैं, लेकिन अगर यह बात सही है कि सरकारी खजाने से इनकम टैक्स भरा जा रहा है तो उसकी तत्काल प्रभाव से जांच करवाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान जरूर दिया है. बताया जा रहा है कि जल्द ही उत्तर प्रदेश के योगी सरकार की तरह ही त्रिवेंद्र सरकार भी इस अमल कर सकती है.

पढ़ें- मौसम साफ होते ही बाबा केदार के दर लगा श्रद्धालुओं का तांता, आंकड़ा 8.64 लाख के पार

मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरने का ये कानून 1981 में बनाया गया था. जब वीपी सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उनकी सरकार में कानून मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेज ऐंड मिसलेनीअस एक्ट बनाया गया था. उत्तराखंड में यह कानून इसलिए भी अब तक चलता आया है, क्योंकि उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था.

इतने लंबे समय तक इस कानून के मजे लूटने के बाद विपक्ष में बैठी कांग्रेस को भी इसकी याद आने लगी है. अब कांग्रेस को लगता है कि यह गलत है और जनता की गाढ़ी कमाई से अगर मुख्यमंत्री और मंत्री अपना इनकम टैक्स भरते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से बंद करना चाहिए. यह अलग बात है कि सत्ता में रहते हुआ कांग्रेस को कभी इस बात का ध्यान नहीं आया.

पढ़ें- पंचायत चुनाव के लिए पिथौरागढ़ में 4000 कर्मियों की तैनाती, ब्लाक स्तर पर तैनात हुए रिटर्निंग ऑफिसर

क्योंकि मामला सीधे-सीधे जनता के पैसों से जुड़ा है. लिहाजा आम जनता भी इस पर मुखर होकर सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ खड़ी होती दिखाई दे रही है. आम जनता का कहना है कि यह कानून उस वक्त बना था, जब माननीय के वेतन बहुत कम हुआ करते थे. लेकिन आज की परिस्थितियों में नेताओं के वेतन आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के बराबर हैं. लिहाजा ऐसे में जनता की कमाई से इनकम टैक्स भरा जाना बिल्कुल भी सही नहीं हो सकता. लिहाजा सरकार को जल्द इस बारे में फैसला लेकर इस कार्य को बंद करना चाहिए.

मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन भत्ते, 2018 के मुताबिक

मुख्यमंत्री 3,42,500 रुपए
कैबिनेट मंत्री 3,42,500 रुपए
राज्य मंत्री 3,36,500

बता दें की मौजूदा समय में उत्तराखंड में एक मुख्यमंत्री के साथ 8 मंत्री है.

देहरादून: उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड पर 19 साल बाद भी कर्ज का बोझ कम नहीं हुआ है. इतना है कि हर सरकार इससे निजात पाने के लिए प्रयास तो करती है, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे ही प्रदेश पर कर्ज को बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रदेश के नेताओं को इस बात से कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है.

योगी की राह पर सीएम त्रिवेंद्र.

इसका जीता-जागता उदाहरण तब सामने आया जब उत्तर प्रदेश से यह खबर आयी की मुख्यमंत्री योगी से लेकर सभी मंत्री अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरते हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश अकेला ऐसा राज्य नहीं है कि जहां पर सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री और मंत्रियों का इनकम टैक्स भरा जाता है, बल्कि इसमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं.

पढ़ें- फ्री में बकरी का दूध बांट रहे शरीफ अहमद, जानिए क्या है इसके पीछे मकसद

उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल होने को है, लेकिन बजट के अभाव में आज भी प्रदेश में कई छोटी-बड़ी परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं. 19 सालों में लगभग 8 मुख्यमंत्री बने और इन मुख्यमंत्रियों के साथ ही तमाम कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा. हालाकि यह मामला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में जैसे ही आया, उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस व्यवस्था को बंद करने के आदेश दिए. अब उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले पर पहल करने का विचार किया है.

मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी फैसले का स्वागत किया है. त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री की तरफ से आदेश होता है तो वह इस आदेश का स्वागत करेंगे. इतना ही नहीं राज्य में पर्यटन मंत्री की कमान संभाल रहे सतपाल महाराज ने भी इस पहल का स्वागत किया है.

उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें जहां तक ध्यान है कि इनकम टैक्स वह खुद ही भरते हैं, लेकिन अगर यह बात सही है कि सरकारी खजाने से इनकम टैक्स भरा जा रहा है तो उसकी तत्काल प्रभाव से जांच करवाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान जरूर दिया है. बताया जा रहा है कि जल्द ही उत्तर प्रदेश के योगी सरकार की तरह ही त्रिवेंद्र सरकार भी इस अमल कर सकती है.

पढ़ें- मौसम साफ होते ही बाबा केदार के दर लगा श्रद्धालुओं का तांता, आंकड़ा 8.64 लाख के पार

मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरने का ये कानून 1981 में बनाया गया था. जब वीपी सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उनकी सरकार में कानून मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेज ऐंड मिसलेनीअस एक्ट बनाया गया था. उत्तराखंड में यह कानून इसलिए भी अब तक चलता आया है, क्योंकि उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था.

इतने लंबे समय तक इस कानून के मजे लूटने के बाद विपक्ष में बैठी कांग्रेस को भी इसकी याद आने लगी है. अब कांग्रेस को लगता है कि यह गलत है और जनता की गाढ़ी कमाई से अगर मुख्यमंत्री और मंत्री अपना इनकम टैक्स भरते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से बंद करना चाहिए. यह अलग बात है कि सत्ता में रहते हुआ कांग्रेस को कभी इस बात का ध्यान नहीं आया.

पढ़ें- पंचायत चुनाव के लिए पिथौरागढ़ में 4000 कर्मियों की तैनाती, ब्लाक स्तर पर तैनात हुए रिटर्निंग ऑफिसर

क्योंकि मामला सीधे-सीधे जनता के पैसों से जुड़ा है. लिहाजा आम जनता भी इस पर मुखर होकर सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ खड़ी होती दिखाई दे रही है. आम जनता का कहना है कि यह कानून उस वक्त बना था, जब माननीय के वेतन बहुत कम हुआ करते थे. लेकिन आज की परिस्थितियों में नेताओं के वेतन आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के बराबर हैं. लिहाजा ऐसे में जनता की कमाई से इनकम टैक्स भरा जाना बिल्कुल भी सही नहीं हो सकता. लिहाजा सरकार को जल्द इस बारे में फैसला लेकर इस कार्य को बंद करना चाहिए.

मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन भत्ते, 2018 के मुताबिक

मुख्यमंत्री 3,42,500 रुपए
कैबिनेट मंत्री 3,42,500 रुपए
राज्य मंत्री 3,36,500

बता दें की मौजूदा समय में उत्तराखंड में एक मुख्यमंत्री के साथ 8 मंत्री है.

Intro:उत्तराखंड में भी सरकारी खजाने से भरे जा रहे है माननीयो के टैक्स

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एंकर - उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य पर 19 साल बाद भी कर्ज का बोझ इतना है कि हर सरकार इस से निजात पाने के लिए प्रयास तो करती है लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे ही कर्ज और बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके शायद, प्रदेश के नेताओं को इस बात से कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। जिसका जीता-जागता उदाहरण तब उजागर हुआ जब, उत्तरप्रदेश से यह खबर बाहर निकलकर आयी की यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्री अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरते हैं। यही नहीं यह जानकारी भी बाहर आयी कि उत्तरप्रदेश अकेला ऐसा राज्य नहीं है कि जहां पर सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री और मंत्रियो का इनकम टैक्स भरा जाता है बल्कि इसमें उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं।

वीओ - उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल होने को है बावजूद इसके राज्य आज भी बजट के आभाव के चलते कई छोटी बड़ी योजनाएं अधर में अटकी हुई है। 19 सालों में लगभग 8 मुख्यमंत्री बने, और इन मुख्यमंत्रियों के साथ ही तमाम कैबिनेट मंत्रियों ने भी अपना इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा। हलाकि यह मामला उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में जैसे ही आया, वैसे ही उन्होंने इसे तत्काल प्रभाव से इस व्यवस्था को बंद करने के आदेश दिए। अब उत्तरप्रदेश के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले पर पहल करने का विचार किया है।

Body:वीओ - लेकिन हैरानी की बात यह है कि उत्तरप्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड में यह कारनामा बीते कई सालों से चल आ रहा है, तो वही मौजूदा सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री की तरफ से आदेश होता है, तो वह इस आदेश का स्वागत करेंगे। इतना ही नहीं राज्य में पर्यटन की कमान संभाल रहे सतपाल महाराज ने भी इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्हें जहां तक ध्यान है, कि इनकम टैक्स वह खुद ही भरते हैं। लेकिन अगर यह बात सही है कि सरकारी खजाने से इनकम टैक्स भरा जा रहा है तो उसकी तत्काल प्रभाव से जांच करवाएंगे। हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान जरूर दिया है और बताया जा रहा है कि जल्द ही उत्तरप्रदेश के योगी सरकार की तरह ही इस आदेश को बंद करने का फैसला ले सकती है।

बाइट --अरविन्द पांडेय --शिक्षा मंत्री उत्तराखंड
बाइट--सतपाल महाराज --पर्यटन मंत्री उत्तराखंड

Conclusion:वीओ - आपको बता दें कि ऐसा कानून मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेज ऐंड मिसलेनीअस एक्ट, 1981 में बनाया गया था, जिस दौरान वीपी सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उत्तराखंड में यह कानून, इसलिए भी अब तक चलता आया है क्योंकि उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था।

वीओ --उधर इस पूरे मामले को लेकर राज्य में विपक्ष की सीट पर बैठी कांग्रेस पार्टी को भी अब इस बात की याद आ गई है, जबकि राज्य में बीजेपी और कांग्रेस की बराबर सरकार रही है, लेकिन अब कांग्रेस को लगता है कि यह गलत है और जनता की गाढ़ी कमाई से अगर मंत्री, मुख्यमंत्री अपना इनकम टैक्स भरते हैं तो उसे तत्काल प्रभाव से बंद करना चाहिए। यह बात अलग है कि कांग्रेस के नेताओं ने इस बात पर ध्यान पहले कभी दिया ही नहीं।

बाइट--सूर्यकान्त धस्माना -- प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तराखंड कांग्रेस

वीओ--क्योंकि मामला सीधे-सीधे जनता के पैसों से जुड़ा है लिहाजा आम जनता भी इस पर मुखर होकर सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ खड़ी होती दिखाई दे रही है। आम जनता का कहना है कि अगर यह कानून उस वक्त बना था, जब माननीय के वेतन बहुत कम हुआ करते थे। लेकिन आज की परिस्थितियों में नेताओं के वेतन आईएएस, पीसीएस अधिकारियों के बराबर हैं। लिहाजा ऐसे में जनता की कमाई से इनकम टैक्स भरा जाना कहीं भी सही नहीं हो सकता। लिहाजा सरकार को जल्द इस बारे में फैसला लेकर इस कार्य को बंद करना चाहिए।

बाइट--अजय कुमार --समाजसेवी देहरादून
बाइट --योगेंद्र मलिक --स्थानिये नागरिक


मुख्यमंत्री और मंत्रियो के वेतन भत्ते, 2018 के मुताबिक

मुख्यमंत्री - 3,42,500
कैबिनेट मंत्री - 3,42,500
राज्य मंत्री - 3,36,500

आपको बता दें की मौजूदा समय में उत्तराखंड में एक मुख्यमंत्री के साथ 8 मंत्री है

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Last Updated : Sep 18, 2019, 12:21 PM IST
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