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वेतन-भत्तों को फिजूलखर्ची बताने पर भड़का सचिवालय संघ, सरकार को बताया फेल - उत्तराखंड सरकार का फैसला

सरकार द्वारा वेतन-भत्तों को फिजूलखर्ची बताने पर सचिवालय संघ के कर्मचारी भड़क गए हैं. संघ ने भत्तों की कटौती का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार आर्थिक मोर्चे पर फेल है.

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कर्मचारियों ने किया विरोध
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Published : Jun 12, 2020, 12:07 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 1:32 PM IST

देहरादून: फिजूलखर्ची कटौती पर सरकार द्वारा लिए गए फैसले का सचिवालय संघ के कर्मचारियों ने विरोध किया है. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार कोरोना को हथियार बनाकर केवल कर्मचारियों के भत्तों पर कैंची चला रही है. सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से फेल है.

भत्तों की कटौती का सचिवालय संघ कर्मचारियों ने किया विरोध

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी कामकाज में किए जाने वाले तकरीबन 20 से ज्यादा खर्चों में कटौती की है. कर्मचारियों का कहना है कि फिजूलखर्ची कटौती केवल कर्मचारियों के अधिकारों पर कैंची चलाकर हुई है. सरकार कोरोना की आड़ में लगातार कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात कर रही है.

ये भी पढ़ें: फिजूल खर्ची पर उत्तराखंड सरकार सख्त, नए दिशा-निर्देश जारी

सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि सरकार आर्थिक मोर्चे पर फेल हो चुकी है. अब केवल अपनी साख बचाने के लिए कर्मचारियों के वेतन-भत्तों और तमाम तरह के खर्चों को फिजूलखर्ची के नाम पर कटौती कर रही है. अगर सरकार से राज्य नहीं संभाला जा रहा है तो वह इस्तीफा दे दे और केंद्र से उत्तराखंड को केंद्र शासित राज्य बनाने की मांग करे.

आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सरकार को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. उत्तराखंड सरकार ने फिजूलखर्ची पर लगाम लगाते हुए 22 बिंदुओं का शासनादेश जारी किया है. शासनादेश सभी सरकारी विभागों और कार्यालयों के साथ-साथ समस्त सार्वजनिक उपक्रमों और राज्य विश्वविद्यालयों पर भी समान रूप से लागू होगा.

शासनादेश के मुख्य बिंदु:

  • विभागों का कंप्यूटरीकरण होने के बाद कार्य प्रणाली में व्यापक परिवर्तन आया और कार्यभार में कमी आई है. लिहाजा विभागों के अनुपयोगी पदों को चिन्हित कर समाप्त किया जाएगा. ऐसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को अन्य पदों में समायोजित किया जाएगा.
  • वित्तीय वर्ष 2020-21 में किसी भी पद का वेतनमान उच्चीकरण नहीं किया जाएगा.
  • चिकित्सा और पुलिस विभाग को छोड़ अन्य सभी विभागों में नए पद सृजित नहीं किए जाएंगे.
  • चतुर्थ श्रेणी के पदों के साथ-साथ तकनीकी कार्य के लिए सृजित वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, मिस्त्री, एसी मैकेनिक और अन्य किसी भी प्रकार से रिक्त होने वाले पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं की जाएंगी.
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के संचालन के लिए कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों को ही अनुमान दरों के अनुरूप ही मानदेय के अतिरिक्त टीए-डीए, एचआरए, सीसीए, एलटीसी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति आदि का भुगतान होगा.
  • राजकीय भोज पांच सितारा होटल में आयोजित नहीं किया जाएगा.
  • किसी भी अधिकारी को विदेशों में आयोजित होने वाली कार्यशाला या सेमिनार में प्रतिभाग करने की अनुमति नहीं होगी, जिसके लिए राज्य सरकार को खर्च वहन करना पड़े.
  • नए वर्ष और अन्य अवसरों पर शासकीय पेपर बधाई संदेशों को भेजने, कैलेंडर-डायरी और पर्सनल लेटर आदि के मुद्रण और वितरण को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया गया है.
  • निजी होटलों में बैठकों और सम्मेलन पर रोक. अब सरकारी भवन और परिसर में ही बैठक और सम्मेलन होंगे.
  • सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को छोड़ नए वाहन क्रय पर रोक.
  • प्राथमिक शिक्षा में अध्यापक-छात्र अनुपात का कड़ाई से पालन कराने का निर्देश. अध्यापकों के पठन-पाठन की कार्यशैली का विश्लेषण हर 3 महीने में किया जाएगा.

देहरादून: फिजूलखर्ची कटौती पर सरकार द्वारा लिए गए फैसले का सचिवालय संघ के कर्मचारियों ने विरोध किया है. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार कोरोना को हथियार बनाकर केवल कर्मचारियों के भत्तों पर कैंची चला रही है. सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से फेल है.

भत्तों की कटौती का सचिवालय संघ कर्मचारियों ने किया विरोध

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी कामकाज में किए जाने वाले तकरीबन 20 से ज्यादा खर्चों में कटौती की है. कर्मचारियों का कहना है कि फिजूलखर्ची कटौती केवल कर्मचारियों के अधिकारों पर कैंची चलाकर हुई है. सरकार कोरोना की आड़ में लगातार कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात कर रही है.

ये भी पढ़ें: फिजूल खर्ची पर उत्तराखंड सरकार सख्त, नए दिशा-निर्देश जारी

सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि सरकार आर्थिक मोर्चे पर फेल हो चुकी है. अब केवल अपनी साख बचाने के लिए कर्मचारियों के वेतन-भत्तों और तमाम तरह के खर्चों को फिजूलखर्ची के नाम पर कटौती कर रही है. अगर सरकार से राज्य नहीं संभाला जा रहा है तो वह इस्तीफा दे दे और केंद्र से उत्तराखंड को केंद्र शासित राज्य बनाने की मांग करे.

आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सरकार को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. उत्तराखंड सरकार ने फिजूलखर्ची पर लगाम लगाते हुए 22 बिंदुओं का शासनादेश जारी किया है. शासनादेश सभी सरकारी विभागों और कार्यालयों के साथ-साथ समस्त सार्वजनिक उपक्रमों और राज्य विश्वविद्यालयों पर भी समान रूप से लागू होगा.

शासनादेश के मुख्य बिंदु:

  • विभागों का कंप्यूटरीकरण होने के बाद कार्य प्रणाली में व्यापक परिवर्तन आया और कार्यभार में कमी आई है. लिहाजा विभागों के अनुपयोगी पदों को चिन्हित कर समाप्त किया जाएगा. ऐसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को अन्य पदों में समायोजित किया जाएगा.
  • वित्तीय वर्ष 2020-21 में किसी भी पद का वेतनमान उच्चीकरण नहीं किया जाएगा.
  • चिकित्सा और पुलिस विभाग को छोड़ अन्य सभी विभागों में नए पद सृजित नहीं किए जाएंगे.
  • चतुर्थ श्रेणी के पदों के साथ-साथ तकनीकी कार्य के लिए सृजित वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, मिस्त्री, एसी मैकेनिक और अन्य किसी भी प्रकार से रिक्त होने वाले पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं की जाएंगी.
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के संचालन के लिए कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों को ही अनुमान दरों के अनुरूप ही मानदेय के अतिरिक्त टीए-डीए, एचआरए, सीसीए, एलटीसी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति आदि का भुगतान होगा.
  • राजकीय भोज पांच सितारा होटल में आयोजित नहीं किया जाएगा.
  • किसी भी अधिकारी को विदेशों में आयोजित होने वाली कार्यशाला या सेमिनार में प्रतिभाग करने की अनुमति नहीं होगी, जिसके लिए राज्य सरकार को खर्च वहन करना पड़े.
  • नए वर्ष और अन्य अवसरों पर शासकीय पेपर बधाई संदेशों को भेजने, कैलेंडर-डायरी और पर्सनल लेटर आदि के मुद्रण और वितरण को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया गया है.
  • निजी होटलों में बैठकों और सम्मेलन पर रोक. अब सरकारी भवन और परिसर में ही बैठक और सम्मेलन होंगे.
  • सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को छोड़ नए वाहन क्रय पर रोक.
  • प्राथमिक शिक्षा में अध्यापक-छात्र अनुपात का कड़ाई से पालन कराने का निर्देश. अध्यापकों के पठन-पाठन की कार्यशैली का विश्लेषण हर 3 महीने में किया जाएगा.
Last Updated : Jun 12, 2020, 1:32 PM IST
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