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उत्तराखंड में बढ़ते साइबर फ्रॉड को मामलों में एक्शन, पांच सालों में 27 करोड़ से अधिक की रिकवरी

इन दिनों साइबर ठगी के मामले बढ़ गए हैं. जिसे देखते हुए उत्तराखंड साइबर पुलिस भी लगातार एक्शन में है. उत्तराखंड साइबर पुलिस ने पांच सालों में 27 करोड़ से अधिक की धनराशि इन मामलों में रिकवर की गई है.

cyber fraud cases in uttarakhand
उत्तराखंड में साइबर फ्रॉड के मामले
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Published : Jun 4, 2022, 5:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार लोग ऐसे गिरोह का शिकार हो रहा है जो पलक झपकते ही रात के खातों से पैसे इस तरह से उड़ा लेते हैं. अगर इन अपराधियों से पैसे के रिकवरी रेट को देखा जाए तो उत्तराखंड पुलिस का काफी हद तक एक्शन में दिखाई देती है. उत्तराखंड साइबर पुलिस ने फ्रॉड का शिकार लोगों को अब तक 27 करोड़ 44 लाख 517 रुपए वापस करवाये हैं.

उत्तराखंड जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में भी साइबर अपराधी लोगों को नहीं बख्शा रहे हैं. सबसे ज्यादा इन लोगों के टारगेट पर देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों के लोग हैं. ज्यादातर लोग बैंक द्वारा की गई फ्रॉड कॉल का शिकार हो जाते हैं. या फिर ऑनलाइन सामान खरीदने में भी लोगों से धोखा खा जाते हैं. तमाम मामलों को देखते हुए उत्तराखंड में 2017 में साइबर सेल का गठन किया गया. तब से साइबर सेल लगातार एक्शन में है.

cyber fraud cases in uttarakhand
उत्तराखंड में साइबर ठगी

पढ़ें- Uttarakhand Weather Report: प्रदेश में आज ऐसा रहेगा मौसम का मिजाज

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार और तराई के इलाकों में हर एक हफ्ते में दो से तीन लोग फ्रॉड कॉल का शिकार हो रहे हैं. इस एवज में ₹10000 से लेकर से ₹200000 की रकम यह लोग ऐसे ही गंवा रहे हैं. इनमें से कुछ लोग तो साइबर थाने में शिकायत कर रहे हैं, तो कुछ चुपचाप बैठ जाते हैं. पुलिस के अधिकारी मानते हैं कि कई लोग सामने ही नहीं आते, लेकिन जो लोग आते हैं उन मामलों की पुलिस गहनता से जांच करती है.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

अब तक इतने करोड़ करवाएं वापस: साइबर सेल का गठन होने के बाद से लेकर आज तक उत्तराखंड साइबर सेल पुलिस ने 27 करोड़ 56 लाख 44 हजार 517 रुपए लोगों के वापस करवाए हैं. पुलिस के अनुसार 10705 शिकायतें पुलिस को अब तक मिली हैं. जिसमें पुलिस ने 27 करोड़ से भी अधिक की धनराशि उन लोगों को वापस की गई है जो लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं. इतना ही नहीं पैसे वापस करवाने के साथ-साथ साइबर सेल ने मोबाइल रिकवर भी करवाये हैं.

इतने मोबाइल हुए बरामद: साइबर पुलिस ने लगभग 2490 लोगों के मोबाइल भी वापस करवाए हैं. पुलिस के पास मोबाइल से जुड़ी 10685 शिकायतें अब तक आई हैं. यह वह शिकायतें हैं जो साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दी गई हैं. उत्तराखंड पुलिस लगातार जनता के लिए कैंपेन चला रही है ताकि लोग सोशल मीडिया और दूसरे संसाधनों पर साइबर क्राइम का शिकार ना हो.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

पढ़ें- नौकरी का झांसा देकर साइबर ठग बना रहे शिकार, जानें बचने के तरीके

अकाउंट से पैसे उड़ें तो ये करें: अगर बैंक से किसी तरह का फ्रॉड हो जाता है तो इसकी जानकारी तत्काल बैंक के संबंधित अधिकारी और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के फाइनेंशियल फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 में देनी आवश्यक है. जिससे समय रहते जमा पूंजी को रिकवर किया जा सके. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बैंक या अन्य तरफ से ऑनलाइन साइबर ठगी होने की काफी देर बाद शिकायत दर्ज कराई जाती है. जिसके कारण सबसे बड़ी समस्या धोखाधड़ी में गंवाई गई धनराशि को रिकवरी करने में आती है.

साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, बैंक से किसी तरह का भी फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 से साइबर क्राइम पुलिस को सूचना दें. उसके तत्काल बाद ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी. उस क्राइम में बैंक कर्मी भी शामिल होता है तो उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

पढ़ें- क्रेडिट कार्ड की डिटेल जानकारी के लिए युवक ने किया फोन, साइबर ठगों ने खाता किया साफ
एप डाउनलोड करने से पहले ये जान लें: वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार हर एक बैंक के ऑनलाइन एप को डाउनलोड करने के लिए कई तरह की सुरक्षित जानकारियां भी दी जाती हैं. मसलन संबंधित बैंक एप का ओरिजिनल Logo बैंक से जुड़े स्पेशल कंटेंट जैसे आवश्यक जानकारी वास्तविक एप की पहचान है. वहीं, बैंक के ऑरिजनल एप डाउनलोड करने में एक और जानकारी आवश्यक है जो बैंक की वास्तविक ऐप होगी उसकी डाउनलोड की संख्या हजारों और लाखों में होगी, जबकि फेक एप जो इंटरनेट सर्च इंजन से डाउनलोड होता है, उसकी संख्या महज 200-300 तक हो सकती है. ऐसे संबंधित ऑनलाइन बैंक एप डाउनलोड करने का तरीका बैंक जाकर ऑफिशल एप को डाउनलोड करने में सुरक्षा है.

देहरादून: उत्तराखंड में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार लोग ऐसे गिरोह का शिकार हो रहा है जो पलक झपकते ही रात के खातों से पैसे इस तरह से उड़ा लेते हैं. अगर इन अपराधियों से पैसे के रिकवरी रेट को देखा जाए तो उत्तराखंड पुलिस का काफी हद तक एक्शन में दिखाई देती है. उत्तराखंड साइबर पुलिस ने फ्रॉड का शिकार लोगों को अब तक 27 करोड़ 44 लाख 517 रुपए वापस करवाये हैं.

उत्तराखंड जैसे छोटे से पहाड़ी राज्य में भी साइबर अपराधी लोगों को नहीं बख्शा रहे हैं. सबसे ज्यादा इन लोगों के टारगेट पर देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों के लोग हैं. ज्यादातर लोग बैंक द्वारा की गई फ्रॉड कॉल का शिकार हो जाते हैं. या फिर ऑनलाइन सामान खरीदने में भी लोगों से धोखा खा जाते हैं. तमाम मामलों को देखते हुए उत्तराखंड में 2017 में साइबर सेल का गठन किया गया. तब से साइबर सेल लगातार एक्शन में है.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार और तराई के इलाकों में हर एक हफ्ते में दो से तीन लोग फ्रॉड कॉल का शिकार हो रहे हैं. इस एवज में ₹10000 से लेकर से ₹200000 की रकम यह लोग ऐसे ही गंवा रहे हैं. इनमें से कुछ लोग तो साइबर थाने में शिकायत कर रहे हैं, तो कुछ चुपचाप बैठ जाते हैं. पुलिस के अधिकारी मानते हैं कि कई लोग सामने ही नहीं आते, लेकिन जो लोग आते हैं उन मामलों की पुलिस गहनता से जांच करती है.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

अब तक इतने करोड़ करवाएं वापस: साइबर सेल का गठन होने के बाद से लेकर आज तक उत्तराखंड साइबर सेल पुलिस ने 27 करोड़ 56 लाख 44 हजार 517 रुपए लोगों के वापस करवाए हैं. पुलिस के अनुसार 10705 शिकायतें पुलिस को अब तक मिली हैं. जिसमें पुलिस ने 27 करोड़ से भी अधिक की धनराशि उन लोगों को वापस की गई है जो लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हुए हैं. इतना ही नहीं पैसे वापस करवाने के साथ-साथ साइबर सेल ने मोबाइल रिकवर भी करवाये हैं.

इतने मोबाइल हुए बरामद: साइबर पुलिस ने लगभग 2490 लोगों के मोबाइल भी वापस करवाए हैं. पुलिस के पास मोबाइल से जुड़ी 10685 शिकायतें अब तक आई हैं. यह वह शिकायतें हैं जो साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दी गई हैं. उत्तराखंड पुलिस लगातार जनता के लिए कैंपेन चला रही है ताकि लोग सोशल मीडिया और दूसरे संसाधनों पर साइबर क्राइम का शिकार ना हो.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

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अकाउंट से पैसे उड़ें तो ये करें: अगर बैंक से किसी तरह का फ्रॉड हो जाता है तो इसकी जानकारी तत्काल बैंक के संबंधित अधिकारी और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के फाइनेंशियल फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 में देनी आवश्यक है. जिससे समय रहते जमा पूंजी को रिकवर किया जा सके. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बैंक या अन्य तरफ से ऑनलाइन साइबर ठगी होने की काफी देर बाद शिकायत दर्ज कराई जाती है. जिसके कारण सबसे बड़ी समस्या धोखाधड़ी में गंवाई गई धनराशि को रिकवरी करने में आती है.

साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक, बैंक से किसी तरह का भी फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 से साइबर क्राइम पुलिस को सूचना दें. उसके तत्काल बाद ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी. उस क्राइम में बैंक कर्मी भी शामिल होता है तो उसे भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.

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उत्तराखंड में साइबर ठगी

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एप डाउनलोड करने से पहले ये जान लें: वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार हर एक बैंक के ऑनलाइन एप को डाउनलोड करने के लिए कई तरह की सुरक्षित जानकारियां भी दी जाती हैं. मसलन संबंधित बैंक एप का ओरिजिनल Logo बैंक से जुड़े स्पेशल कंटेंट जैसे आवश्यक जानकारी वास्तविक एप की पहचान है. वहीं, बैंक के ऑरिजनल एप डाउनलोड करने में एक और जानकारी आवश्यक है जो बैंक की वास्तविक ऐप होगी उसकी डाउनलोड की संख्या हजारों और लाखों में होगी, जबकि फेक एप जो इंटरनेट सर्च इंजन से डाउनलोड होता है, उसकी संख्या महज 200-300 तक हो सकती है. ऐसे संबंधित ऑनलाइन बैंक एप डाउनलोड करने का तरीका बैंक जाकर ऑफिशल एप को डाउनलोड करने में सुरक्षा है.

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