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हिमाचल फतह से उत्तराखंड कांग्रेस को मिली संजीवनी, निकाय और लोकसभा चुनाव में दिख सकता है असर

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का जोश हाई है. हिमाचल चुनाव का रण जीतना उत्तराखंड समेत कई राज्यों में कांग्रेस को संजीवनी के तौर पर मिला है. ऐसे में उत्तराखंड में आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेसी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रक्रिया में उतरने जा रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा के लिए परेशानियां बढ़ सकती है.

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Published : Dec 11, 2022, 2:22 PM IST

Updated : Dec 11, 2022, 2:37 PM IST

देहरादूनः हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद उत्तराखंड की राजनीतिक पार्टियां आगामी नगर निकाय और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. हिमाचल प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. क्योंकि हिमाचल और उत्तराखंड की राजनीतिक पृष्ठभूमि एक सी है.

हिमाचल फतह से उत्तराखंड कांग्रेस को मिली संजीवनी.

यूं तो राजनीतिक पार्टियां हमेशा से ही चुनावी मूड में रहती है. इसी क्रम में प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टी भाजपा और कांग्रेस आगामी निकाय और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. हालांकि, जहां एक ओर भाजपा को हिमाचल में हार का सामना करना पड़ा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली है. हिमाचल में कांग्रेस को मिली यह जीत कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी संजीवनी साबित हो रही है. संजीवनी इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी अभी भी चुनाव जीतकर सत्ता में वापस लौटने का दम रखती है.

कांग्रेस की बढ़ी उम्मीदः हाल ही में देश भर में 3 बड़े चुनाव संपन्न हुए. इसमें सबसे पहले दिल्ली में नगर निकाय के चुनाव में जहां आप ने जीत हासिल की. दो दूसरी तरफ गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार रिपीट की है. वहीं, सबसे खास बात ये है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव का रण कांग्रेस ने जीता है. इसी के साथ हिमाचल में बारी-बारी से सत्ता पर काबिज होने का मिथक बरकरार बना हुआ है. लेकिन इससे एक बार फिर कांग्रेस की उत्तराखंड में उम्मीद बढ़ गई है.

अब बदली राजनीतिक परिस्थितियांः दरअसल, उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां, पड़ोसी राज्य हिमाचल से मिलती जुलती है. सत्ता पर काबिज होने का जो मिथक उत्तराखंड राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव तक था वैसा ही मिथक हिमाचल में भी था. लेकिन उत्तराखंड भाजपा संगठन ने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बाजी मार मिथक को तोड़ दिया है. जबकि हिमाचल में कांग्रेस की वापसी से मिथक बरकरार बना हुआ है. इसीलिए कहा जा रहा है कि उत्तराखंड और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां भले ही समान हो, लेकिन अब राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई हैं.

आगामी लोकसभा चुनाव अहमः राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत बताते हैं कि हाल ही में 2 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश में संपन्न हुए चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाला लोकसभा चुनाव काफी अहम रहने वाला है. क्योंकि भाजपा संगठन के हाथ से हिमाचल चला गया है. हिमाचल में कांग्रेस को मिली जीत से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एक बड़ी संजीवनी मिली है. ऐसे में, अब कांग्रेस नेता चुनाव में पूरी ताकत झोंकते नजर आएंगे. दूसरी तरफ आगामी चुनाव में भाजपा डबल मेहनत से साथ उतरेगी.

कांग्रेसियों को मिली संजीवनीः उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल में संपन्न हुए चुनाव के सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि हिमाचल चुनाव ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को संजीवनी देने का काम किया है. इस जीत से कांग्रेसी कार्यकर्ता काफी उत्साहित होंगे. इसके साथ ही यह संजीवनी देशभर के कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने वाली है. आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत अभी से ही संगठन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

बागी नेताओं ने हराया चुनावः वहीं, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने का कहना है कि हिमाचल में हार की मुख्य वजह बागी नेता रहे हैं. क्योंकि अगर समय रहते इन नेताओं को मना लिया जाता तो आज हिमाचल में भाजपा की सरकार होती. हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

देहरादूनः हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद उत्तराखंड की राजनीतिक पार्टियां आगामी नगर निकाय और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं. हिमाचल प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. क्योंकि हिमाचल और उत्तराखंड की राजनीतिक पृष्ठभूमि एक सी है.

हिमाचल फतह से उत्तराखंड कांग्रेस को मिली संजीवनी.

यूं तो राजनीतिक पार्टियां हमेशा से ही चुनावी मूड में रहती है. इसी क्रम में प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टी भाजपा और कांग्रेस आगामी निकाय और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. हालांकि, जहां एक ओर भाजपा को हिमाचल में हार का सामना करना पड़ा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली है. हिमाचल में कांग्रेस को मिली यह जीत कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी संजीवनी साबित हो रही है. संजीवनी इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी अभी भी चुनाव जीतकर सत्ता में वापस लौटने का दम रखती है.

कांग्रेस की बढ़ी उम्मीदः हाल ही में देश भर में 3 बड़े चुनाव संपन्न हुए. इसमें सबसे पहले दिल्ली में नगर निकाय के चुनाव में जहां आप ने जीत हासिल की. दो दूसरी तरफ गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार रिपीट की है. वहीं, सबसे खास बात ये है कि हिमाचल विधानसभा चुनाव का रण कांग्रेस ने जीता है. इसी के साथ हिमाचल में बारी-बारी से सत्ता पर काबिज होने का मिथक बरकरार बना हुआ है. लेकिन इससे एक बार फिर कांग्रेस की उत्तराखंड में उम्मीद बढ़ गई है.

अब बदली राजनीतिक परिस्थितियांः दरअसल, उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां, पड़ोसी राज्य हिमाचल से मिलती जुलती है. सत्ता पर काबिज होने का जो मिथक उत्तराखंड राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव तक था वैसा ही मिथक हिमाचल में भी था. लेकिन उत्तराखंड भाजपा संगठन ने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बाजी मार मिथक को तोड़ दिया है. जबकि हिमाचल में कांग्रेस की वापसी से मिथक बरकरार बना हुआ है. इसीलिए कहा जा रहा है कि उत्तराखंड और हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां भले ही समान हो, लेकिन अब राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई हैं.

आगामी लोकसभा चुनाव अहमः राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत बताते हैं कि हाल ही में 2 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश में संपन्न हुए चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाला लोकसभा चुनाव काफी अहम रहने वाला है. क्योंकि भाजपा संगठन के हाथ से हिमाचल चला गया है. हिमाचल में कांग्रेस को मिली जीत से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एक बड़ी संजीवनी मिली है. ऐसे में, अब कांग्रेस नेता चुनाव में पूरी ताकत झोंकते नजर आएंगे. दूसरी तरफ आगामी चुनाव में भाजपा डबल मेहनत से साथ उतरेगी.

कांग्रेसियों को मिली संजीवनीः उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल में संपन्न हुए चुनाव के सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि हिमाचल चुनाव ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को संजीवनी देने का काम किया है. इस जीत से कांग्रेसी कार्यकर्ता काफी उत्साहित होंगे. इसके साथ ही यह संजीवनी देशभर के कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने वाली है. आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत अभी से ही संगठन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

बागी नेताओं ने हराया चुनावः वहीं, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने का कहना है कि हिमाचल में हार की मुख्य वजह बागी नेता रहे हैं. क्योंकि अगर समय रहते इन नेताओं को मना लिया जाता तो आज हिमाचल में भाजपा की सरकार होती. हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

Last Updated : Dec 11, 2022, 2:37 PM IST
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