देहरादून: उत्तराखंड इन दिनों कुछ बयानवीरों के कारण खूब चर्चा में है. इन बयानवीरों में न केवल मुख्यमंत्री बल्कि उनके मंत्री और साथी भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. इस रेस में सीएम तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) अकेले नहीं है बल्कि उनको सबसे बड़ी टक्कर उन्हीं के मंत्रिमंडल के सदस्य सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) दे रहे हैं. महाराज आए दिन अपने बयानों से न केवल अपने लिए बल्कि अपनी सरकार के लिए भी मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं.
वर्तमान उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज अपने एक बयान को लेकर सबसे अधिक चर्चाओं में आए, जब उन्होंने देहरादून-हरिद्वार के बीच एक नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की बात कही थी. हालांकि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बयान दिया था, कि उनकी केंद्रीय उड्डयन मंत्री से बातचीत हो गई है और वह इस प्रोजेक्ट के लिए 12 सौ करोड़ रुपए देने को भी तैयार हैं.
इसके अलावा महाराज ने कहा कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने को लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से भी बात हुई है, लेकिन सतपाल महाराज के इस बयान की बात शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने साफ इनकार कर दिया. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के दावों में कितना दम है यह तो भविष्य में ही पता चल पाएगा.
कोविड टूरिस्ट बीमा शुरू करने की बात
महाराज यहीं नहीं रुके उन्होंने महाकुंभ के दौरान कोविड टूरिस्ट बीमा शुरू करने की बात कही. उस दौरान महाराज ने तर्क दिया था कि विदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो और वे कोरोना संक्रमण से भयमुक्त होकर कुंभ में शामिल हो इसके लिए पर्यटन विभाग, कोविड टूरिस्ट बीमा शुरू करने जा रही है. लेकिन कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कोविड टूरिस्ट बीमा लागू करने का बयान भी हवा हवाई ही साबित हुआ.
मौनी बाबा का अनशन समाप्त करने की झूठी बात
बदरीनाथ धाम के दर्शन को लेकर आमरण अनशन कर रहे मौनी बाबा एवं बाबा धर्मबीर भारती के अनशन समाप्त होने को लेकर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बयान जारी किया था कि उन्होंने अनशन समाप्त करा दिया है, लेकिन वास्तव में ऐसा हुआ ही नहीं था. सच्चाई यह है कि अगले दिन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के आग्रह के बाद मौनी बाबा ने अपना आमरण अनशन समाप्त किया था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक दिन पहले मौनी बाबा के अनशन समाप्त का बयान क्यों जारी किया गया? जबकि वह अनशन पर बैठे हुए थे.
पढ़ें: पर्यटन व्यापारियों को राहत देने के लिए योजना तैयार, पर्यटकों को लगेगी स्पूतनिक वैक्सीन
चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं के तीन टेस्ट कराने की बात
इसी साल अप्रैल महीने में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बयान जारी कर चारधाम आने वाले यात्रियों को तीन टेस्ट (कार्ट्रिज आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (CBNAAT), रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट (RTPCR) और टीवी डायग्नोसिस टेस्ट (TRUENAT) कराने की बाध्यता रखी थी. मामले को बढ़ता देख महाराज ने इन तीन टेस्ट की जगह सिर्फ एक टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया. उस दौरान महाराज ने तर्क दिया था कि इस बार चारधाम की यात्रा पूरी तरह से प्रभावित ना हो इसे देखते हुए मात्र एक टेस्ट अनिवार्य किया है.
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर पिछले साल लागू लॉकडाउन की वजह से तमाम श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर नहीं आ पाए थे. इसे देखते हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने ऑनलाइन पूजा कराने और फिर प्रसाद घर भिजवाने की योजना शुरू करने की बात कही थी. हालांकि, जैसे-तैसे ऑनलाइन पूजा तो शुरू हुई लेकिन श्रद्धालुओं को प्रसाद नहीं भेजा जा सका.
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज समय-समय पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों और मुख्यमंत्री को अपने सुझाव देते रहते हैं. हालांकि उनके पत्रों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
हाल ही में केंद्रीय मंत्रियों को भेजे गए पत्र में सतपाल महाराज ने ट्रेन और हवाई जहाज टिकटों के कैंसिलेशन के बाद पूरी शुल्क वापस करने की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई तो दूर विचार भी नहीं किया गया.
स्पूतनिक वैक्सीन पर दिया बयान
हाल ही में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटकों को स्पूतनिक बी वैक्सीन लगाने की योजना को लेकर बयान दिया था. इसमें महाराज ने यह कहा था कि स्पूतनिक बी वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत 2500 रुपये है. इसे देखते हुए प्रदेश के बड़े होटल व्यवसायियों से बातचीत भी की गई है. बातचीत में कहा गया कि अगर कोई पर्यटक उत्तराखंड आना चाहता है तो उसे स्पूतनिक बी वैक्सीन की पहली डोज होटल में प्रवेश करते ही लगायी जाए और फिर 14 दिन बाद जब पर्यटक उत्तराखंड से जाने लगे, तो उसे स्पूतनिक बी वैक्सीन की दूसरी डोज भी लगा दी जाए. ऐसे में पर्यटक स्पूतनिक बी वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद वह उत्तराखंड में कहीं भी भ्रमण कर सकेगा. इससे पर्यटन की गतिविधियों में रुकावट नहीं आएगी.
नंदा देवी की चोटी पर रेडियोएक्टिव प्लूटोनियम होने का दावा
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, नंदा देवी की चोटी पर रेडियोएक्टिव प्लूटोनियम के गायब होने को लेकर कई मर्तबा बयान दे चुके हैं. हालांकि, कुछ महीने पहले इस मामले पर महाराज ने बयान दिया था कि उन्होंने साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बाबत पत्र लिखा था ताकि एक बार फिर से इसे ढूंढने की पहल शुरू की जाए. जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार नंदा देवी की चोटी पर कोई भी रेडियोएक्टिव प्लूटोनियम है ही नहीं.
पढ़ें: कैबिनेट मंत्री महाराज के हरिद्वार में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की घोषणा से सरकार भी हैरान
मंदिरों को एक सर्किट में लाने का दावा
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश के भीतर तमाम सर्किट बनाने की बात कही थी और इसको लेकर बयान दिया था कि राज्य के भीतर मौजूद सभी मंदिरों को सर्किट के भीतर लाया जाएगा. लेकिन अभी तक एक भी सर्किट तैयार नहीं हो पाया है. इसके अलावा महाराज ने पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार की बात भी की थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बीटल्स आश्रम एवं चौरासी कुटिया को संवारने को लेकर बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि यहां आने वाले देश-विदेश के पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलेगी. इसके लिए मेमोरेंडम तैयार कर प्रधानमंत्री को भेजा गया है. लेकिन अभी तक इस पर कोई अपडेट सामने नहीं आया.
इसके अलावा उन्होंने चौरासी कुटिया में शौचालय समेत म्यूजियम बनाने को लेकर प्रदेश के वन मंत्री हरक सिंह रावत से बातचीत होने की पुष्ठि की थी, लेकिन अब तक जमीन पर इसमें कोई काम नहीं हो पाया है.
मेडिकल टूरिज्म बनाने की झूठी बात
प्रदेश में मौजूद तमाम तरह के टूरिज्म के बीच मंत्री जी ने मेडिकल टूरिज्म को विकसित करने की बात कही थी. पिछले साल दिए गए इस बयान में उन्होंने कहा था कि मेडिकल टूरिज्म को शुरू करने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से चर्चा हुई है. महाराज के अनुसार, भारत में विदेशों के मुकाबले एक चौथाई से भी कम लागत पर इलाज हो जाता है और घूमना भी हो जाता है. महाराज ने कहा था कि उत्तराखंड राज्य, मेडिकल टूरिज्म के लिए सबसे उपयुक्त प्रदेश है. लिहाजा प्रदेश में पर्यटन के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म को भी विकसित करने की जरूरत है. हालांकि, अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं किया गया है.
शीतकाल में चारधाम की यात्रा कराने के दावे
शीतकाल के दौरान भी श्रद्धालु चारों धामों के मंदिरों का दर्शन कर सकें, इसको लेकर महाराज ने बयान दिया था. महाराज के अनुसार राज्य में हमेशा से ही ग्रीष्मकालीन के दौरान टूरिज्म पीक पर रहता है, लेकिन शीतकाल के दौरान पर्यटकों की संख्या घट जाती है. ऐसे में पर्यटन महकमा शीतकाल टूरिज्म पर जोर दे रहा है, जिसके तहत ऐसे कैफेटेरिया और प्वाइंट्स बनाए जाएंगे, जहां से शीतकाल के दौरान भी उत्तराखंड चारधाम के मंदिरों का दर्शन किया जा सके. लेकिन अभी तक इस पर कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई.
पढ़ें: बदरीनाथ-केदारनाथ धाम से प्रसाद घर भेजने की तैयारी, 427 श्रद्धालु करा चुके है ऑनलाइन पूजा
ट्रैवल टूरिज्म पर दिया बयान
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश के भीतर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए ट्रैवल टूरिज्म पर जोर देने को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री से बातचीत की थी. इस पर उन्होंने बयान भी दिया था कि ट्रैवल टूरिज्म में टूरिस्टों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था के साथ इम्यूनिटी बूस्टर फूड भी परोसा जाएगा. यही नहीं, इसमें तिब्बत के व्यापार से जुड़ी संस्कृतियां भी रखी जाएंगी. साथ ही राज्य सरकार ट्रैवल टूरिस्टों को एक सर्टिफिकेट भी देगी जो उत्तराखंड के सीमांत गांव में रुकेंगे. अभी तक यह योजना मात्र बयान तक ही सीमित रह गई.
ऐसा मास्क बनाने की मांग जिससे सोशल डिस्टेंसिंग कम हो
पिछले साल कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक बयान जारी किया था. उन्होंने डीआरडीओ के चेयरमैन से आग्रह किया कि एक ऐसे मास्क का निर्माण कराया जाए, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग कम हो जाये, और हवाई जहाज, बस, कार समेत अन्य वाहनों से सुगमता पूर्वक यात्रा की जा सके. उनका यह बयान भी हवा हवाई ही साबित हुआ क्योंकि ऐसा संभव नहीं है.
कोविड संबंधित संदेशों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने एक बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि उन्होंने एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक को एक सुझाव दिया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए और लोगों को इस वायरस के प्रति जागरूक करने के लिए जारी किए गए एहतियात को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. लेकिन इस बयान पर ना तो एचआरडी मिनिस्टर ने कभी बात की और ना ही कभी दोबारा कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने इस पर चर्चा की.
सतपाल महाराज एक लोकप्रिय कैबिनेट मंत्री हैं, जिन्हें जनता पसंद करती है. इसलिए उन्हें ऐसे हवा-हवाई घोषणाएं करने से बचना चाहिए क्योंकि यह पब्लिक है सब जानती है. ऐसे बयानों से सतपाल महाराज की विश्वसनीयता भी प्रभावित हो रही है.