देहरादून: उत्तराखंड में महिला एवं बाल विकास विभाग को नई नियमावली का इंतजार है. यह नियमावली महकमे को विशेष शुल्क के रूप में मिले 8 करोड़ रुपयों के खर्च से जुड़ी होगी. हैरानी की बात यह है कि विभाग के अधिकारियों के स्तर पर तय समय सीमा में इस नियमावली को अब तक नहीं तैयार किया गया है. ऐसे में विभागीय मंत्री ने भी अफसरों को एक हफ्ते का समय देते हुए अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है.
एक तरफ तमाम विभागों में बजट की कमी विभिन्न योजनाओं के लिए मुसीबत बनी रहती है तो वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग में नियमावली ना होने के कारण करोड़ों रुपए के बजट को खर्च नहीं किया जा पा रहा है. खास बात यह है कि इस मामले में विभागीय मंत्री ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.यही नहीं अफसरों को भी अल्टीमेटम देते हुए नियमावली तैयार करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया गया है. दरअसल, राज्य में आबकारी विभाग के माध्यम से अतिरिक्त शुल्क के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग को बजट देने की व्यवस्था तय की गई है.
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इसके तहत प्रत्येक बोतल पर ₹1 का शुल्क आबकारी विभाग को महिला एवं बाल विकास विभाग को देना होगा. आबकारी विभाग द्वारा दिए जाने वाले इस बजट के जरिये महिला एवं बाल विकास से जुड़े कार्यों को किया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा आबकारी विभाग के लिए तय किए गए इन नियमों के तहत ही आबकारी विभाग ने महिला कल्याण कोष के लिए 8 करोड़ रुपए दिए हैं. ऐसे में इस बजट को खर्च करने के लिए भी एक अलग नियमावली बनानी होगी, ताकि अतिरिक्त शुल्क के रूप में मिलने वाले इस बजट के निश्चित योजनाओं और कार्यक्रमों में खर्च करने के लिए तय नियम बनाए जा सके.
इसके लिए विभागीय मंत्री के स्तर पर 15 दिन का समय अधिकारियों को दिया गया था, लेकिन इतने समय में विभागीय अधिकारी इस बजट को खर्च करने के लिए कोई नियमावली नहीं बना सके. इसी स्थिति को देखते हुए विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अफसरों को अब एक हफ्ते का समय दिया है, इतने समय में अब अधिकारियों को बजट खर्च को लेकर बनने वाली नियमावली को तैयार करना होगा, ताकि आगामी कैबिनेट में इस नियमावली को रखकर पास किया जा सके. इसके बाद ही 8 करोड़ रुपए के इस बजट को विभाग विभिन्न योजनाओं में खर्च कर पाएगा.
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नियमावली में हो रही लेट लतीफी के कारण इसका सीधा असर विभिन्न योजनाओं पर भी पड़ेगा, ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसके बिना यह बजट खर्च नहीं हो पाएगा और जितनी देरी से नियमावली तैयार होगी, उतनी ही देरी में इस बजट को खर्च किया जा सकेगा. जबकि विभाग महिलाओं के उत्थान से लेकर आपदा जैसी स्थिति में अनाथ हुए बच्चों को भी इस बजट के जरिए लाभान्वित कर सकता है.