देहरादून: कैबिनेट बैठक में आशा वर्कर्स और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकार के समझौते और प्रस्ताव के अनुरूप मानदेय बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन उनको निराश होना पड़ा. आशा वर्कर्स ने इसके विरोध में आगामी 13 तारीख से काली पट्टी बांधकर काम करने का निर्णय लिया है. वहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सीएम आवास के बाहर प्रदर्शन किया.
उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा वर्तमान में महंगाई को देखते हुए डेढ़ हजार रुपए तो कुछ भी नहीं है. स्वास्थ्य महानिदेशक और सचिव की सहमति से बने चार हजार रुपए मानदेय में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर कैबिनेट बैठक में विचार तक नहीं किया गया. उन्हें उम्मीद थी कि आशा वर्कर को ₹4000 प्रति माह से बढ़ाकर ₹11000 महीने मिलेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. कैबिनेट बैठक में आशाओं को केवल हजार रुपये मानदेय और 500 प्रोत्साहन राशि बढ़ाया जाने पर निराशा है.
आशाओं की प्रमुख मांगें: आशाओं की मांग है कि उन्हें सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाए. उनका न्यूनतम वेतन ₹21000 प्रतिमाह किया जाए. सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो. कोविड कार्य में लगी आशाओं को 50 लाख का बीमा, 19 लाख रुपए स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए.
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आंगनबाड़ी वर्करों का प्रदर्शन: वहीं, कैबिनट बैठक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हक में पूर्ण रूप से फैसला नहीं आने को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में आक्रोश है. जिसके विरोध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सेविका/मिनी कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने सीएम आवास के बाहर प्रदर्शन किया. जिसके बाद पुलिस ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया और पुलिस लाइन ले गई.
आंगनबाड़ी वर्कर्स की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि उनका मानदेय ₹18,000 किया जाए. मानदेय बढ़ोतरी को लेकर कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. तमाम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कैबिनेट बैठक से बड़ी उम्मीद थी कि उनका मानदेय बढ़ाया जाएगा, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को अनसुना कर दिया है.
प्रमुख मांगें: आंगनबाड़ी और हेल्पर को कर्मचारी घोषित करने तथा कार्यकत्रियों को ग्रेड 3 तथा हेल्पर को ग्रेड 4 का दर्जा दिया जाए. इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 21000 रुपए और हेल्पर को ₹18000 रुपए दिए जाएं.