देहरादून: कोरोना काल के दौरान जिस तरह से डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती आई, उसी तरह इस जानलेवा कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन के वक्त पुलिस महकमे के सामने भी दोहरी भूमिका वाली अकल्पनीय चुनौती सामने आयी. चुनौती भी ऐसी जिससे निपटने के लिए पुलिस के पास आज तक के इतिहास में ऐसा कोई तजुर्बा पहले का नहीं था. इसके बावजूद उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में लॉकडाउन के दौरान संकट के समय ऐसा मानवता भरा कार्य किया, जिसने ब्रिटिश काल से चली आ रही पुलिस की नकारात्मक छवि को सकारात्मक रूप में बदल दिया. ईटीवी भारत ने उत्तराखंड पुलिस विभाग में डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार से खास बात की.
डीजी अशोक कुमार की मानें तो लॉकडाउन में आने वाली तमाम चुनौतियों और इस वैश्विक आपदा से निपटने के लिए कोई अनुभव या तैयारी नहीं थी, बावजूद इसके, यह बात अच्छी रही कि हर कान्स्टेबल से लेकर सभी अधिकारी अपनी भूमिका एक योद्धा की तरह निभाना चाहता है. लॉकडाउन की पहली सुबह से ही सड़क पर मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी पर खड़ा नजर आया.
लॉकडाउन के हर चरण में बढ़ी पुलिस की चुनौतियां
डीजी अशोक कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के पहले चरण में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती लॉकडाउन को लागू कराने से लेकर रोजी- रोटी के संकट में जूझ रहे लोगों तक खाना और खाद्य सामग्री पहुंचाना था. ऐसे में पुलिस को जनता, मीडिया और तमाम लोगों का साथ मिलना शुरू हुआ, जिसके बाद पुलिस ने पहले चरण में गरीब-असहाय मजबूर और सीनियर सिटीजन तक खाना पहुंचाने के साथ ही मेडिकल और आवश्यक सेवाओं को खुद घर-घर जाकर पहुंचाया.
दूसरे चरण में जमाती थे कठिन चुनौती
डीजी के मुताबिक, लॉकडाउन के दूसरे चरण में जमातियों को लेकर सबसे कठिन चुनौती सामने थी. इसके बावजूद प्रदेश के सभी जिले के पुलिस प्रभारियों को एकजुट कर जमातियों को चिन्हित करने का काम किया गया. साथ ही उनको क्वारंटाइन और सैंपल कराने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया. तीसरे चरण के लॉकडाउन में बाजार व दुकाने खुलने की छूट मिलने के उपरांत पुलिस को उन गाइडलाइंस का पालन कराना भी एक बड़ी चुनौती थी. जिसमें पुलिस के जवान से लेकर अधिकारियों ने दिन-रात जुटकर इस कार्य को अंजाम दिया.
लॉकडाउन में रोल मॉडल बनी देहरादून पुलिस
डीजी अशोक कुमार ने माना कि कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम के साथ-साथ तमाम तरह के बचाव और नियमों को पालन कराने में प्रदेश के सभी 13 जिलों की पुलिस ने अबतक बेहतर काम किया है. हालांकि, देहरादून जिला कोविड-19 कंट्रोल रूम में पुलिस ने एक रोल मॉडल के रूप में बहुत सारे ऐसे कार्य किए जो जनता के द्वारा काफी बड़े स्तर पर सराहे गए. देहरादून पुलिस की तर्ज पर राज्य के अन्य जिलों में भी इस संकटकाल में सेवाएं बदस्तूर जारी रही.
लॉकडाउन 4.0 में सतर्क रहने की जरूरत
तीसरे चरण के लॉकडाउन में छूट मिलने से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ना शुरू हुआ. अब चौथे चरण में काफी हद तक ज्यादातर बाजार, दुकानें और प्रवासियों की घर वापसी से कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वर्तमान समय में जनता को सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण से सतर्क रहने की आवश्यकता है. उत्तराखंड मूल के लोग देश के अलग-अलग महानगरों से लगातार लौट रहे हैं. ऐसे में अपनों का स्वागत करने के साथ-साथ पहले से कई गुना अधिक सावधान रहने की जरूरत है.
लॉकडाउन में किसी भी पुलिसकर्मी ने नहीं किया कोई बहाना
महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि अभी तक के लॉकडाउन को सफल बनाने में राज्य के हर पुलिसकर्मी का पूर्ण रूप से सहयोग मिला है. ऐसा पहली बार देखने में आया है जब किसी भी पुलिसकर्मी ने इस संकटकाल में ड्यूटी न करने का कोई बहाना बनाया हो. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी रही कि पुलिस की सेवा और कार्यशैली को इस दौरान चारों तरफ से शाबासी और मनोबल मिला.
डीजी ने माना कि जिस तरह से इस लॉकडाउन में गरीब-असहाय मजदूर जैसे तमाम लोगों की दयनीय स्थिति सामने आई, उसे लेकर पुलिस ने अपनी पूरी कार्यशैली ही मानव सेवा वाली बना ली. ऐसे में पुलिस का सकारात्मक रवैये वाला नया चेहरा आज जनता के सामने है. इसके साथ ही उन्होंने माना कि साल के अंत तक कोरोना महामारी से निजात पाकर स्थितियां सामान्य होंगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले साल में पहले कावड़ और 2021 के महाकुंभ आयोजन का हाल क्या होगा, इसको लेकर अभी संशय बरकरार है?