देहरादून: विधानसभा में बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को भोजन अवकाश के बाद सदन काफी हंगामेदार रहा. जिला विकास प्राधिकरण के मुद्दे पर सरकार की तरफ से संतुष्टि भरा जवाब न मिलने पर विपक्ष के विधायक वेल में उतर आए और बजट की कॉपी फाड़ दी. विपक्ष के विधायकों ने सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरदस्ती किए जाने का भी आरोप लगाया.
प्राधिकरण के मुद्दे पर कांग्रेस का हंगामा: विधानसभा सत्र की आज तीसरे दिन की कार्यवाही भोजन अवकाश के बाद काफी हंगामेदार रही. जिला विकास प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर लेकर नियम 58 के तहत चल रही चर्चा के दौरान जब संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की तरफ से संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो विपक्ष के सभी विधायक वेल में उतर आए और जमकर हंगामा हुआ. जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण खत्म करने को लेकर विपक्ष का अड़ा रहा. हंगामे के बीच सदन शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने जो जिला विकास प्राधिकरण बनाए थे, वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं. कांग्रेसी विधायकों ने सदन में पूर्व में चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित हुई कमेटी की रिपोर्ट की मांग की. इसके जवाब में संसदीय कार्य एवं शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने विपक्ष ने कहा कि, जो पैसा प्राधिकरण कमाते हैं, वो पैसा उस क्षेत्र में अवस्थापना से जुड़े कामों में लगता है. साल 2016 के बाद जो क्षेत्र जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में शामिल हुए थे, वहां नक्शा पास कराने की अनिवार्यता नहीं है. इसके बाद मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट के आधार पर तमाम राहत दी गई हैं. हालांकि, मंत्री के जवाब के बीच भी कांग्रेस का हंगामा जारी रहा, जिसके चलते सदन की कार्यवाही कुछ देर रोकनी भी पड़ी.
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मार्शलों के साथ हुई धक्का-मुक्की: इसी बीच विधायक अनुपमा रावत और सुमित हृदयेश की मार्शलों से धक्का-मुक्की भी हुई. इस हंगामे के दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन में बजट की कॉपियां भी फाड़ी. ऐसी ही स्थिति में हंगामे के बीच बजट पर चर्चा की गई और हंगामा के बीच हुई विभागवार चर्चा हुई.
कांग्रेस ने सरकार पर लगाये गंभीर आरोप: सदन स्थगित होने के बाद कांग्रेस की महिला विधायक अनुपमा रावत ने सदन से बाहर आकर अपने हाथों पर पड़े निशानों को दिखाते हुए कहा कि उनके साथ सदन के भीतर सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरदस्ती की गई है. अनुपमा ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार ग्रामीण में प्राधिकरण के कार्यालयों में लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं, लेकिन सरकार कुछ भी सुनने के लिए राजी नहीं है.
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'सरकार जनहित के मुद्दों पर गंभीर नहीं': सदन स्थगित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार प्रदेश के जनहित वाले मुद्दों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. सरकार किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है. प्राधिकरणों का विषय बेहद गंभीर है, पूरे प्रदेश की जनता प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान है लेकिन सरकार का उदासीन रवैया बताता है कि सरकार की चर्चा भी इस भ्रष्टाचार में मौजूद है. इसके अलावा अल्मोड़ा से कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि, पहाड़ी जनपदों में जिस तरह से प्राधिकरण के नाम पर आम जनता को लूटा जा रहा है वो बेहद निराशाजनक है. पहाड़ी जनपद में जब भी कोई निम्न तबके का व्यक्ति अपनी भूमि पर मकान बनाता है तो उसे बैंक से लोन लेने के लिए नक्शा पास करवाना पड़ता है और ये नक्शा पास करवाने के लिए उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं.
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वहीं, दूसरी ओर सरकार की ओर से इस पूरे प्रकरण पर जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि, विपक्ष सदन को शांतिपूर्वक ढंग से चलाने के मन में नहीं है और चर्चा की जगह हंगामे पर उतर आया है. जिस तरह से विपक्ष के विधायक सदन की गरिमा को भंग कर रहे हैं ये बेहद शर्मनाक है. वहीं, जिला प्राधिकरण के विषय पर उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में सदन में ही जिला प्राधिकरण के विषय पर समिति गठित की गई थी जिसकी रिपोर्ट के अनुसार ही यह व्यवस्था लागू की गई थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में भवन बनाने के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य नहीं है बल्कि विकल्प स्वरूप है, लेकिन विपक्ष चर्चा करने के लिए राजी नहीं है. इसी के चलते आज विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और सदन में बजट पर जो चर्चा लंबे समय तक होनी थी उसे विपक्ष के हंगामे के चलते बेहद कम समय में पूरा किया गया.