देहरादून: राज्य में आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 को देखते हुए बजट सत्र को देखते हुए आज बजट पेश किया गया. हर साल राज्य सरकारें आगामी वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले ही आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आय व्यय का ब्यौरा सदन में पेश करती हैं. यह वो बजट होता है जिसके अनुसार आगामी वित्तीय वर्ष में किन विभागों को कितना बजट एलॉट किया जाएगा और राज्य सरकार को किन किन स्रोतों से कितना राजस्व एकत्र करेगी, इसमें इसका पूरा लेखा-जोखा होता है.बावजूद इसके वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले उस वित्तीय वर्ष के लिए अनुपूरक बजट लाया जाता है. आखिर किन परिस्थितियों में अनुपूरक बजट लाने की जरूरत होती है, क्या है उत्तराखंड राज्य के वर्तमान वित्तीय वर्ष की स्थिति? देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
क्या होता है अनुपूरक बजट
मुख्य रूप से अनुपूरक बजट राज्य सरकार विपरीत परिस्थितियों में ही पेश करती है. यानी जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशि कम पड़ जाती है तो ऐसे में राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही अनुपूरक बजट ले आती हैं. हालांकि, यह अनुपूरक बजट जब लाया जाता है तो उस दौरान इन बातों को भी रखा जाता है कि जितना अनुपूरक बजट लाया गया है उतनी धनराशि, किन स्रोतों से राजस्व के रूप में राज्य सरकार को मिलेगा.
क्या होता है बजट
वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा ने बताया कि जो सरकारी विकास के प्रति गंभीर होती हैं और जिनके पास विकास का रोड मैप होता है इस बात पर भी गौर करती है कि उनकी सरकार काम कर रही है इसका मैसेज जनता के बीच जाये. लिहाजा, मार्च महीने में जो बजट पेश किया जाता है वह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए होता है. वह आगामी वित्तीय वर्ष का मुख्य बजट होता है।.जिसमें राज्य सरकारें अपनी पिछले साल की उपलब्धियों के साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष में अपने विकास के रोडमैप के एजेंडे के साथ ही वित्तीय प्रावधान को सदन के पटल पर रखती हैं. जिसमें राज्य के जरूरी खर्चे और नॉन प्लान खर्चों समेत अन्य परियोजनाओं के खर्चों को भी शामिल किया जाता है.
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अनुपूरक बजट पेश करने के हैं दो पहलू
साथ ही भगीरथ शर्मा बताते हैं कि वित्तीय वर्ष समाप्ति से पहले जब राज्य सरकारों को ऐसा लगता है कि जो बजट, सदन से पारित कराया गया था उसका तमाम विभागों जा योजनाओं में बजट की कमी हो रही है, ऐसे में राज्य सरकार सप्लीमेंट्री बजट लेकर आती हैं. उसे सदन से पास करा लेती हैं. साथ ही कहा कि सप्लीमेंट्री बजट पेश करने को दो रूप से देखा जा सकता है. पहला सप्लीमेंट्री बजट अगर राज्य कार्य पेश करती हैं तो इसका मतलब मुख्य बजट पेश करने के दौरान होमवर्क में कमी रह गई, जिसकी वजह से दोबारा बजट का प्रोविजन कराना पड़ रहा है. इसके साथ ही इसका दूसरा पहलू यह है कि वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने पूरी गंभीरता से काम किया, जिसके चलते बजट की कमी हो गई और फिर राज्य सरकार ने सप्लीमेंट्री बजट पेश कर बजट का प्रोविजन किया.
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विभागों के बजट खर्च पर ध्यान देने की है जरूरत
इन बजट प्रावधानों के साथ ही राज्य सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए कि बजट में जो व्यय का प्रावधान किया गया था, यानी जो विभागों को बजट आवंटित की गई थी वह खर्च की गई या नहीं, क्योंकि अमूमन तौर पर देखा जाता है कि साल के अंत में जब विभागों को दिए गए बजट की जानकारी ली जाती है तो उस दौरान यह निकल कर सामने आता है कि तमाम विभाग अपने बजट को खर्च नहीं कर पाए. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 की बात करें तो तमाम विभाग ऐसे जिन्हें जितना बजट आवंटित किया गया था उसके सापेक्ष 50 फीसदी बजट भी खर्च नहीं कर पाए हैं. जबकि वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है.
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विभागों को धनराशि जारी करने में दिखाई जाए तत्परता
हालांकि, इस बात पर भी गौर कर सकते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक की वजह से विभाग बजट खर्च नहीं कर पाये हैं. इससे पिछले वित्तीय वर्ष पर अगर ध्यान दें तो उस समय भी कुछ आंकड़ा ऐसा ही रहा. लिहाजा, राज्य सरकारों को चाहिए कि जब बजट पेश होता है तो उसी के साथ बजट का आवंटन और विभागों को जारी करने में तत्परता दिखानी चाहिए, ताकि सही समय पर विभागों को बजट जारी हो सके. कई बार दिक्कत यह भी होती हैं कि वित्तीय संसाधन या फिर ओवरड्राफ्ट की वजह से पैसा जारी नहीं हो हो पाता. ऐसे में राज्य सरकारों को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है कि जिस अनुपात में कार्य आगे बढ़ रहा है उस अनुपात में धनराशि जारी की जाती रहे.