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कुपोषण के चलते दो भाइयों को छोड़ना पड़ा स्कूल, गरीबी में नहीं मिल रहा पोषित आहार

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Published : Nov 23, 2019, 10:21 AM IST

छतरपुर में कुपोषण के कारण दो सगे भाइयों के पेरों में कमजोरी आ गई है. जिसके चलते उन्हें चलने फिरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दोनों को इसी कारण अपनी पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी.

कुपोषण

छतरपुर (मध्य प्रदेश): भारत को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए सरकारें दम भरती आई हैं, लेकिन अगर देश का भविष्य कुपोषण के अंधकार में हो तो भारत का कैसे वैश्विक शक्ति बन सकता है. देश के दिल मध्यप्रदेश में भी कुपोषण के हालात गंभीर हैं. कुछ ऐसा ही हाल छतरपुर जिले के गढ़ी मलहरा के वार्ड नंबर 6 में रहने वाले एक परिवार के दो बच्चों का है.

कुपोषण के शिकार दो सगे भाई

दोनों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जिसके चलते दोनों भाइयों के पैर पतले हो गए हैं. वे दौड़-भाग नहीं पाते, साथ ही चलने में भी दिक्कत होती हैं. कुपोषित बच्चा महेंद्र बताता है कि वह पहले ठीक था लेकिन अचानक उसे कमजोरी आ गई और अब वह चल नहीं पाता है. चलने में पैर दर्द देते हैं, पैर मुड़ने भी लगे हैं, लेकिन कोई भी उसका इलाज ठीक से नहीं करा रहा है.

पैर हुए कमजोर, कैसे जाएं स्कूल

दूसरा बच्चा कृष्णा यादव 5 साल का है उसका कहना है कि वह चल तो लेता है लेकिन दौड़ नहीं लगा पाता है, क्योंकि बेहद कमजोर है और पैर पतले हैं. जिससे उसके पैरों में बहुत दर्द होता है और इसी वजह से दोनों भाइयों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया.

इन दोनों बच्चों का परिवार बेहद गरीब है. बच्चों की मां जानकी बाई बताती हैं कि परिवार की आर्थिक तंगी के चलते वह बच्चों को ठीक से खाना नहीं खिला पाती हैं, बच्चे दिन भर नमक और रोटी खाकर ही रहते हैं. लेकिन सरकार ने उनके परिवार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. जानकी कहती हैं कि अगर नगर परिषद गढ़ी मलहरा उनका राशन कार्ड बनवा दे, तो शायद बच्चों को ठीक से खाना मिल सकेगा और बच्चे कुपोषण मुक्त हो पाएंगे.

अधिकारी दे रहे गोलमोल जवाब

मामले में जब ईटीवी भारत ने परियोजना अधिकारी मंजू जैन से बात की तो उनका कहना था कि सरकार तमाम प्रकार की योजनाएं चला रही है एक योजना यह भी चला जाती है कि नगर परिषद या ग्रामीण या शहर के जो गणमान्य लोग हैं वह ऐसे बच्चों को गोद ले लेते हैं और धीरे-धीरे उन बच्चों की देखरेख होने लगती है.

सरकार की योजनाओं की हकीकत बताने के लिए यह काफी है कि कुपोषण के चलते 2 बच्चों ने बीच में ही अपनी पढ़ाई रोक दी और अधिकारियों को इनकी कोई सुध ही नहीं है. ऐसे में प्रदेश कब कुपोषण मुक्त होगा यह तो अब वख्त ही बता सकता है.

छतरपुर (मध्य प्रदेश): भारत को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए सरकारें दम भरती आई हैं, लेकिन अगर देश का भविष्य कुपोषण के अंधकार में हो तो भारत का कैसे वैश्विक शक्ति बन सकता है. देश के दिल मध्यप्रदेश में भी कुपोषण के हालात गंभीर हैं. कुछ ऐसा ही हाल छतरपुर जिले के गढ़ी मलहरा के वार्ड नंबर 6 में रहने वाले एक परिवार के दो बच्चों का है.

कुपोषण के शिकार दो सगे भाई

दोनों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जिसके चलते दोनों भाइयों के पैर पतले हो गए हैं. वे दौड़-भाग नहीं पाते, साथ ही चलने में भी दिक्कत होती हैं. कुपोषित बच्चा महेंद्र बताता है कि वह पहले ठीक था लेकिन अचानक उसे कमजोरी आ गई और अब वह चल नहीं पाता है. चलने में पैर दर्द देते हैं, पैर मुड़ने भी लगे हैं, लेकिन कोई भी उसका इलाज ठीक से नहीं करा रहा है.

पैर हुए कमजोर, कैसे जाएं स्कूल

दूसरा बच्चा कृष्णा यादव 5 साल का है उसका कहना है कि वह चल तो लेता है लेकिन दौड़ नहीं लगा पाता है, क्योंकि बेहद कमजोर है और पैर पतले हैं. जिससे उसके पैरों में बहुत दर्द होता है और इसी वजह से दोनों भाइयों ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया.

इन दोनों बच्चों का परिवार बेहद गरीब है. बच्चों की मां जानकी बाई बताती हैं कि परिवार की आर्थिक तंगी के चलते वह बच्चों को ठीक से खाना नहीं खिला पाती हैं, बच्चे दिन भर नमक और रोटी खाकर ही रहते हैं. लेकिन सरकार ने उनके परिवार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. जानकी कहती हैं कि अगर नगर परिषद गढ़ी मलहरा उनका राशन कार्ड बनवा दे, तो शायद बच्चों को ठीक से खाना मिल सकेगा और बच्चे कुपोषण मुक्त हो पाएंगे.

अधिकारी दे रहे गोलमोल जवाब

मामले में जब ईटीवी भारत ने परियोजना अधिकारी मंजू जैन से बात की तो उनका कहना था कि सरकार तमाम प्रकार की योजनाएं चला रही है एक योजना यह भी चला जाती है कि नगर परिषद या ग्रामीण या शहर के जो गणमान्य लोग हैं वह ऐसे बच्चों को गोद ले लेते हैं और धीरे-धीरे उन बच्चों की देखरेख होने लगती है.

सरकार की योजनाओं की हकीकत बताने के लिए यह काफी है कि कुपोषण के चलते 2 बच्चों ने बीच में ही अपनी पढ़ाई रोक दी और अधिकारियों को इनकी कोई सुध ही नहीं है. ऐसे में प्रदेश कब कुपोषण मुक्त होगा यह तो अब वख्त ही बता सकता है.

Intro:(कुपोषण_असाइन स्टोरी)

मासूम बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकारें भले ही तमाम वादे एवं दावे कर रही है लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है ग्रामीण क्षेत्र में आज भी कई ऐसे बच्चे हैं जो ना सिर्फ कुपोषित हैं बल्कि अति कुपोषित जैसी भयंकर बीमारी से जूझ रहे हैं बावजूद इसके स्थानीय अधिकारी एवं प्रदेश सरकारें मूकदर्शक बनी हुई है!


Body:तस्वीरों में आप जिन बच्चों को रेंगते हुए देख रहे हैं यह आने वाले समय में भारत का भविष्य है अब जरा सोचिए आने वाले समय का भविष्य अगर ऐसा है तो इस कुपोषित भविष्य से हम दुनिया के सामने किस तरह से भारत के आधुनिक होने की बात एवं कदम से कदम मिलाने की बात कह पाएंगे यह बच्चे उस भारत के हैं जिसका डंका पूरी दुनिया में घूमता है आसमान से लेकर धरती के तमाम देशों के कोने कोने में भारत आज अपना लोहा मनवा चुका है लेकिन कुपोषण जैसे कलंक से अभी भी भारत को छुटकारा नहीं मिला है!

तस्वीरें छतरपुर जिले के गढ़ी मलहरा के वार्ड नंबर 6 की है जहां एक यादव परिवार रहता है जिसमें एक बेटी दो बेटे एवं उनकी मां उनके साथ रहती है गरीबी का आलम यह है कि घर में 6 सालों से लाइट नहीं है बच्चों ने महीनों से ठीक से खाना नहीं खाया सब्जी किसे कहते हैं मानव जैसे ही है बच्चे भूल ही गए हो दो वक्त की रोटी भी इन्हें ठीक से नसीब नहीं हो रही है!

गढ़ी मलहरा के वार्ड नंबर 6 में रहने वाला यह परिवार बेहद गरीब है परिवार की मुखिया जानकी यादव दूसरों के खेतों में सौ दो सौ रुपये में मजदूरी करती हैं जिससे उनकी परिवार की रोजी रोटी चलती है परिवार में ज्यादातर खाने में रोटियां ही बनती हैं सब्जी सिर्फ त्योहारों पर ही बनाई जाती है!

इतना ही नहीं स्थानीय प्रशासन एवं अधिकारियों ने मदद करना तो दूर परिवार को एक राशन कार्ड तक नहीं दिला पाए जिससे उन्हें राशन भी खरीद कर लेना पड़ता है आसपास के लोगों की माने तो यह परिवार बेहद तंगी में अपना जीवन गुजर-बसर कर रहा है दो वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल से ही मिल पाती है यही वजह है कि दोनों लड़के कुपोषण का शिकार हो गए!

कुपोषित बच्चा महेंद्र बताता है कि वह पहले ठीक था स्कूल भी जाता था लेकिन अचानक उसे कमजोरी आ गई और अब वह चल नहीं पाता है चलने में पैर दर्द देते हैं पैर मोड़ने भी लगे हैं लेकिन कोई भी उसका इलाज ठीक से नहीं करा रहा है इसलिए 2 महीने हो गए हैं जिसके वजह से वह और उसका भाई स्कूल नहीं जा पा रहे हैं हालांकि महेंद्र 5 साल से अधिक उम्र का है इसलिए आंगनबाड़ी भी उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है!

बाइट_महेंद्र यादव कुपोषित बच्चा

दूसरा बच्चा कृष्णा यादव 5 साल का है उसका कहना है कि वह चल तो लेता है लेकिन दौड़ नहीं लगा पाता है क्योंकि बेहद कमजोर है और पैर पतले हैं जिससे उसके पैरों में बहुत दर्द होता है और इसी वजह से दोनों भाइयों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है!

बाइट_कृष्णा यादव कुपोषित बच्चा

परिवार की मुखिया एवं बच्चों की मां जानकी बाई बताती हैं कि परिवार की आर्थिक तंगी के चलते वह बच्चों को ठीक से खाना नहीं खिला पाती हैं घर में केवल सूखी रोटी ही बनती है बच्चे दिन भर नमक एवं रोटी खाकर ही रहते हैं यही वजह है कि उनके बच्चे कुपोषित हो गए सरकार ने भी उनके परिवार की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है जानकी कहती हैं कि अगर नगर परिषद गढ़ी मलहरा उनका राशन कार्ड बनवा देती है तो शायद बच्चों को ठीक से खाना मिल सकेगा और बच्चे कुपोषण मुक्त हो सकते हैं!

बाइट_जानकी बच्चों की माँ

बच्चों की दादी की मानें तो बच्चे ठीक से खाना नहीं मिल पाने की वजह से कुपोषित हो गए हैं राशन कार्ड भी नहीं बना है तो खाना ठीक से नहीं मिल पा रहा है उनका इलाज अगर ठीक से हो जाता है तो निश्चित ही यह बच्चे ठीक हो सकते हैं!

वहीं मामले में जब हमने परियोजना अधिकारी से बात की तो उन्होंने गोलमोल बात करते हुए जवाब देना शुरू कर दिया परियोजना अधिकारी मंजू जैन से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि सरकार तमाम प्रकार की योजनाएं चला रही है एक योजना यह भी चला जाती है कि नगर परिषद या ग्रामीण या शहर के जो गणमान्य लोग हैं वह ऐसे बच्चों को गोद ले लेते हैं और धीरे-धीरे उन बच्चों की देखरेख होने लगती है लेकिन जब हम उनसे पूछा कि आपका विभाग इस ओर क्या पहल करेगा तो उनका कहना था कि उनके आला अधिकारी अभी जिले में मौजूद नहीं है जैसे ही वह आते हैं इस मामले में चर्चा कर कर निश्चित ही बच्चों से मिला जाएगा!

बाइट_मंजू जैन परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास



Conclusion: अब भले ही जिला प्रशासन एवं अधिकारी मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हो लेकिन हकीकत तस्वीरों ने बयां कर दी है दो मासूम बच्चों ने अति कुपोषण के चलते स्कूल जाना बंद कर दिया है मामला जब सामने आया तो महिला बाल विकास लीपापोती करने में लग गया है ऐसे में जरूरत है कि ना सिर्फ ऐसे बच्चों को पोषण दिया जाए बल्कि उन्हें जरूरत की तमाम चीजें भी दी जाए जिससे यह बच्चे जल्द से जल्द स्वस्थ हो और वापस अपने स्कूल जा सके!

सोचने वाली बात यह भी है कि इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है कि कुपोषण के चलते 2 बच्चों ने बीच में ही अपनी पढ़ाई रोक दी और अधिकारी दकियानूसी बातें कर मामले को घुमा रहे हैं!
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