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सीता मंदिर निर्माण के लिए बनेगा ट्रस्ट, मुख्यमंत्री होंगे अध्यक्ष

पौड़ी में सीता माता का बनाए जाने को लेकर शासन ने तैयारियां पूरी कर ली है. मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनेगा. जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे.

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Published : Jan 14, 2020, 10:23 PM IST

सीता मंदिर
सीता मंदिर

देहरादूनः पौड़ी गढ़वाल के सीतोस्यूं में सीता माता मंदिर बनाए जाने को लेकर शासन स्तर पर कवायद तेज हो गयी है. मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीतोस्यूं में सीता माता मंदिर बनाये जाने के सबंध में अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि सीता माता के मन्दिर निर्माण के लिए एक राज्य स्तरीय ट्रस्ट बनाया जायेगा. जिसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होंगे. इसके अलावा मंदिर के समीप जटायु का मंदिर बनाने का भी निर्णय लिया गया है.

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने बताया कि यह मंदिर धार्मिक संस्थाओं एवं जन सहयोग से बनाया जायेगा. इस मन्दिर के लिए सीता माता से जुड़े सभी स्थानों की शिला, मिट्टी एवं जल लाया जायेगा. साथ ही उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से कुछ लोगों की कमेटी बनाकर उत्तराखंड के मंदिरों की शिला एवं मिट्टी सीता माता मंदिर के लिए लायी जायेगी. सितोंस्यू में जिस स्थान पर सीता माता ने समाधि ली थी, उस स्थान पर प्राचीन स्वरुप को वैसा ही रखा जायेगा. इसके साथ ही देवप्रयाग से सीतासैंण तक श्रद्धालुओं के यातायात के लिए उचित व्यवस्थाएं भी की जायेंगी.

पढ़ेंः हरदा का अनोखा अंदाज, महिलाओं संग किया झोड़ा-चाचरी डांस

बता दें कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित सीता माता मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी. जहां आज भी सीता माता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है. यही नहीं माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए. लक्ष्मण जी के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर के रुप में मौजूद है.

तीर्थपुरोहितों के अधिकारों से नहीं होगी छेड़छाड़
देवस्थानम् विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिल चुकी है. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा, लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार बरकरार रहेंगे.

पढ़ेंः हल्द्वानी: धूमधाम से मनाया गया उत्तरायणी पर्व, निकाली गई भव्य शोभायात्रा

इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा. साथ ही प्रदेश के चारधाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. लिहाजा, देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले और उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए यह विधेयक लाया गया है.

देहरादूनः पौड़ी गढ़वाल के सीतोस्यूं में सीता माता मंदिर बनाए जाने को लेकर शासन स्तर पर कवायद तेज हो गयी है. मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीतोस्यूं में सीता माता मंदिर बनाये जाने के सबंध में अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि सीता माता के मन्दिर निर्माण के लिए एक राज्य स्तरीय ट्रस्ट बनाया जायेगा. जिसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होंगे. इसके अलावा मंदिर के समीप जटायु का मंदिर बनाने का भी निर्णय लिया गया है.

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने बताया कि यह मंदिर धार्मिक संस्थाओं एवं जन सहयोग से बनाया जायेगा. इस मन्दिर के लिए सीता माता से जुड़े सभी स्थानों की शिला, मिट्टी एवं जल लाया जायेगा. साथ ही उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से कुछ लोगों की कमेटी बनाकर उत्तराखंड के मंदिरों की शिला एवं मिट्टी सीता माता मंदिर के लिए लायी जायेगी. सितोंस्यू में जिस स्थान पर सीता माता ने समाधि ली थी, उस स्थान पर प्राचीन स्वरुप को वैसा ही रखा जायेगा. इसके साथ ही देवप्रयाग से सीतासैंण तक श्रद्धालुओं के यातायात के लिए उचित व्यवस्थाएं भी की जायेंगी.

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बता दें कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित सीता माता मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी. जहां आज भी सीता माता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है. यही नहीं माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए. लक्ष्मण जी के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर के रुप में मौजूद है.

तीर्थपुरोहितों के अधिकारों से नहीं होगी छेड़छाड़
देवस्थानम् विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिल चुकी है. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा, लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार बरकरार रहेंगे.

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इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा. साथ ही प्रदेश के चारधाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. लिहाजा, देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले और उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए यह विधेयक लाया गया है.

Intro:पौड़ी गढ़वाल के सीतोंस्यू में सीता माता मंदिर बनाए जाने को लेकर शासन स्तर पर कवायत तेज हो गयी है।  मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीतोंस्यू में सीता माता मंदिर बनाये जाने के सबंध में संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि सीता माता के मन्दिर निर्माण के लिए एक राज्य स्तरीय ट्रस्ट बनाया जायेगा। जिसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही बैठक में सीता माता मंदिर के समीप जटायु का मंदिर बनाने का भी निर्णय लिया गया है। 





Body:आपको बता दे कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्तिथ सीता मंदिर कि धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने फलस्वाड़ी गांव में भू-समाधि ली थी। जहा आज भी आज भी सीता माता का पौराणिक मंदिर देखा जा सकता है। यही नही माता सीता को फल्सवाड़ी गांव के जंगल तक छोड़ने आए, लक्ष्मण जी के विश्राम करने का स्थान देवाल गांव में पौराणिक लक्षमण मंदिर भी मौजूद है।


वही बैठक के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने बताया कि यह मंदिर धार्मिक संस्थाओं एवं जन सहयोग से बनाया जायेगा। इस मन्दिर के लिए सीता माता से जुड़े सभी स्थानों की शिला, मिट्टी एवं जल लाया जायेगा। साथ ही उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों से कुछ लोगों की कमेटी बनाकर उत्तराखण्ड के मंदिरों की शिला एवं मिट्टी सीता माता मंदिर के लिए लायी जायेगी। और सीतोंस्यू में जिस स्थान पर सीता माता ने समाधि ली थी, उस स्थान पर प्राचीन स्वरूप को वैसा ही रखा जायेगा। इसके साथ ही देवप्रयाग से सीतासैंण तक श्रद्धालुओं के यातायात के लिए उचित व्यवस्थाएं भी की जायेंगी।


तीर्थपुरोहितों और हकहकूकधारियों के अधिकार रहेंगे यथावत: सीएम

देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा, लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार बरकरार रहेंगे। इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा। साथ ही बताया कि प्रदेश के चारधाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से श्रद्धालू आते है। लिहाजा देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले तथा उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए यह विधेयक लाया गया है।  




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