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शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करेगी त्रिवेंद्र सरकार, जल्द जारी हो सकता है शासनादेश

स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की तरफ से 24 नवंबर को शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने का फैसला लिया गया था. जिसे लेकर तैयार की गई फाइल पर अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का अनुमोदन भी मिल गया है.

शिवालिक एलीफेंट
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Published : Dec 24, 2020, 10:44 PM IST

Updated : Dec 25, 2020, 3:35 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में हाथियों का एकमात्र अभयारण्य शिवालिक एलिफेंट रिजर्व को खत्म करने के फैसले से जुड़ी फाइल पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन कर दिया है. अब जल्द ही शासन से इसको लेकर आदेश होने की उम्मीद है. यह सब तब है जब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के इस फैसले के बाद से हजारों लोग सोशल मीडिया पर इस आदेश के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं.

स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की तरफ से 24 नवंबर को शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने का फैसला लिया गया था. जिसे लेकर तैयार की गई फाइल पर अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का अनुमोदन भी मिल गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने का सरकार की तरफ से शासनादेश किया जा सकता है.

पढ़ें- सुयाल नदी में मृत पाई गईं संरक्षित प्रजाति की सैकड़ों मछलियां

बता दें कि शिवालिक एलीफेंट रिजर्व खत्म करने से क्षेत्र में विकास कार्यों को किया जा सकेगा, लेकिन वन्यजीव प्रेमियों की आशंका है कि इससे हाथियों की इस क्षेत्र में गतिविधियां प्रभावित होंगी और वन्यजीवों को इसका नुकसान होगा. इन्हीं आशंकाओं के बाद सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है. इस विरोध से जुड़े अभियान में अब तक 12,000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं.

हालांकि, इस अभियान में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के कारण वनों के कटान का विरोध विषय भी जुड़ गया है. माना जा रहा था कि इस विरोध के चलते सरकार को अपने इस फैसले को वापस नहीं जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इससे जुड़ी फाइल को स्वीकृति देकर भी साफ कर दिया है कि शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को जल्द ही खत्म किए जाने का आदेश जारी होने जा रहा है. इससे पहले साल 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए इसे एलीफेंट रिजर्व घोषित किया था. जिसे अब त्रिवेंद्र सरकार निरस्त करने जा रही है.

क्या है मामला

शिवालिक एलिफेंट रिजर्व उत्तराखंड में हाथियों का एकमात्र अभ्यारण्य है. उत्तराखंड का ये क्षेत्र करीब पांच हजार वर्ग किलोमीटर का है, जहां एशियाई हाथियों की मौजूदगी है. 28 अक्तूबर 2002 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे एलिफेंट रिजर्व घोषित किया था. प्रदेश के 17 वन प्रभागों में से 14 प्रभाग इस रिजर्व में शामिल हैं. प्रदेश सरकार के मुताबिक इस शिवालिक रिजर्व की अधिसूचना निरस्त करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अधिकतर क्षेत्र अब भी संरक्षित वन क्षेत्र का हिस्सा है.

क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा ने लगाई थी गुहार

13 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे का कहना है कि उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का निर्णय लिया है. सरकार ने इस निर्णय को लेने से पहले जंगलों की वनस्पति और वन जीवन के बारे में सोचा तक नहीं. यह निर्णय वन जीवन संरक्षण अधिनियम की हत्या है. कोरोना जैसी महामारी ने हमें यह सिखा दिया है कि पर्यावरण और प्रकृति से छेड़छाड़ इंसान पर ही भारी पड़ता है.

देहरादूनः उत्तराखंड में हाथियों का एकमात्र अभयारण्य शिवालिक एलिफेंट रिजर्व को खत्म करने के फैसले से जुड़ी फाइल पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन कर दिया है. अब जल्द ही शासन से इसको लेकर आदेश होने की उम्मीद है. यह सब तब है जब स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के इस फैसले के बाद से हजारों लोग सोशल मीडिया पर इस आदेश के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं.

स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की तरफ से 24 नवंबर को शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने का फैसला लिया गया था. जिसे लेकर तैयार की गई फाइल पर अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का अनुमोदन भी मिल गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही एलीफेंट रिजर्व को खत्म करने का सरकार की तरफ से शासनादेश किया जा सकता है.

पढ़ें- सुयाल नदी में मृत पाई गईं संरक्षित प्रजाति की सैकड़ों मछलियां

बता दें कि शिवालिक एलीफेंट रिजर्व खत्म करने से क्षेत्र में विकास कार्यों को किया जा सकेगा, लेकिन वन्यजीव प्रेमियों की आशंका है कि इससे हाथियों की इस क्षेत्र में गतिविधियां प्रभावित होंगी और वन्यजीवों को इसका नुकसान होगा. इन्हीं आशंकाओं के बाद सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है. इस विरोध से जुड़े अभियान में अब तक 12,000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं.

हालांकि, इस अभियान में जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के कारण वनों के कटान का विरोध विषय भी जुड़ गया है. माना जा रहा था कि इस विरोध के चलते सरकार को अपने इस फैसले को वापस नहीं जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इससे जुड़ी फाइल को स्वीकृति देकर भी साफ कर दिया है कि शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को जल्द ही खत्म किए जाने का आदेश जारी होने जा रहा है. इससे पहले साल 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए इसे एलीफेंट रिजर्व घोषित किया था. जिसे अब त्रिवेंद्र सरकार निरस्त करने जा रही है.

क्या है मामला

शिवालिक एलिफेंट रिजर्व उत्तराखंड में हाथियों का एकमात्र अभ्यारण्य है. उत्तराखंड का ये क्षेत्र करीब पांच हजार वर्ग किलोमीटर का है, जहां एशियाई हाथियों की मौजूदगी है. 28 अक्तूबर 2002 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसे एलिफेंट रिजर्व घोषित किया था. प्रदेश के 17 वन प्रभागों में से 14 प्रभाग इस रिजर्व में शामिल हैं. प्रदेश सरकार के मुताबिक इस शिवालिक रिजर्व की अधिसूचना निरस्त करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. अधिकतर क्षेत्र अब भी संरक्षित वन क्षेत्र का हिस्सा है.

क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा ने लगाई थी गुहार

13 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे का कहना है कि उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का निर्णय लिया है. सरकार ने इस निर्णय को लेने से पहले जंगलों की वनस्पति और वन जीवन के बारे में सोचा तक नहीं. यह निर्णय वन जीवन संरक्षण अधिनियम की हत्या है. कोरोना जैसी महामारी ने हमें यह सिखा दिया है कि पर्यावरण और प्रकृति से छेड़छाड़ इंसान पर ही भारी पड़ता है.

Last Updated : Dec 25, 2020, 3:35 PM IST
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