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राज्य आंदोलनकारियों का चढ़ा पारा, कल राजभवन का करेंगे घेराव - 14 जुलाई को राजभवन कूच कार्यक्रम

अपनी मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारी 14 जुलाई यानी कल राजभवन का घेराव करेंगे. जिसके लिए राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मोर्चा के जनसंपर्क अभियान चलाकर राजभवन घेराव में अपना योगदान देने की अपील की.

rajy andolankariyo
राजभवन कूच
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Published : Jul 13, 2021, 11:07 AM IST

देहरादून: विभिन्न मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारियों के केंद्रीय नेतृत्व ने बुधवार यानी 14 जुलाई को राजभवन घेराव का निर्णय लिया है. जिसे लेकर राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मोर्चा ने जनसंपर्क अभियान चलाते हुए राज्य आंदोलनकारियों से राजभवन घेराव में अपना योगदान देने की अपील की है. राज्य आंदोनकारियों का आरोप है कि राज्य सरकार उनकी मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है.

बता दें कि, प्रदेश के विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने 14 जुलाई को राजभवन घेराव का आह्वान किया है. वहीं वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मोर्चा के अध्यक्ष विनोद अस्वाल ने बताया कि 14 जुलाई के राजभवन घेराव कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए मोर्चा ने बीते 10 जुलाई से पूरे प्रदेश में जनसंपर्क अभियान चलाया और सभी राज्य आंदोलनकारियों से अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की अपील की है.

आंदोलनकारी राजभवन का करेंगे घेराव.

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वहीं, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण एक्ट पिछले 6 साल से राजभवन में लंबित पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी करने में लगी हुई है. राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर बार-बार राज्यपाल से समय मांगने के बावजूद उन्हें उनसे मिलने का समय नहीं मिल पाया. प्रदीप कुकरेती का कहना है कि जिन लोगों ने इस राज्य के लिए अपना संघर्ष और बलिदान दिया है उनके साथ राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. इसके विरोध में सभी आंदोलनकारी आगामी 14 तारीख को प्रदर्शन करने जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: रोडवेज कर्मचारियों की चेतावनी के बाद जागा प्रबंधन, संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया

राजभवन कूच को लेकर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि लाठी-गोली खाकर जिन्होंने इस राज्य को बनाया है, उनकी दुर्गति आज बीजेपी सरकार ने की है. बीजेपी के शासनकाल में एक भी आंदोलनकारियों की पेंशन नहीं बढ़ाई गई और न ही उनको आर्थिक सहायता देकर सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि भाजपा संगठन ने प्रदेश में दो-दो मुख्यमंत्री बदल डाले, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आंदोलनकारीयों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करेंगे.

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बता दें कि, विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की मांगों की लगातार अनदेखी की है. राजभवन से बीते 3 सालों से वार्ता करने के लिए समय मांगा जा रहा है, न तो उन्हें समय दिया गया और न ही एक्ट पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं. इसके विरोध में और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारियों के विभिन्न संगठनों को 14 जुलाई को राजभवन घेराव करने के लिए बाध्य होना पड़ा है.

देहरादून: विभिन्न मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारियों के केंद्रीय नेतृत्व ने बुधवार यानी 14 जुलाई को राजभवन घेराव का निर्णय लिया है. जिसे लेकर राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मोर्चा ने जनसंपर्क अभियान चलाते हुए राज्य आंदोलनकारियों से राजभवन घेराव में अपना योगदान देने की अपील की है. राज्य आंदोनकारियों का आरोप है कि राज्य सरकार उनकी मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है.

बता दें कि, प्रदेश के विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने 14 जुलाई को राजभवन घेराव का आह्वान किया है. वहीं वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मोर्चा के अध्यक्ष विनोद अस्वाल ने बताया कि 14 जुलाई के राजभवन घेराव कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए मोर्चा ने बीते 10 जुलाई से पूरे प्रदेश में जनसंपर्क अभियान चलाया और सभी राज्य आंदोलनकारियों से अपना महत्वपूर्ण योगदान देने की अपील की है.

आंदोलनकारी राजभवन का करेंगे घेराव.

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वहीं, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण एक्ट पिछले 6 साल से राजभवन में लंबित पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी करने में लगी हुई है. राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर बार-बार राज्यपाल से समय मांगने के बावजूद उन्हें उनसे मिलने का समय नहीं मिल पाया. प्रदीप कुकरेती का कहना है कि जिन लोगों ने इस राज्य के लिए अपना संघर्ष और बलिदान दिया है उनके साथ राज्य सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. इसके विरोध में सभी आंदोलनकारी आगामी 14 तारीख को प्रदर्शन करने जा रहे हैं.

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राजभवन कूच को लेकर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि लाठी-गोली खाकर जिन्होंने इस राज्य को बनाया है, उनकी दुर्गति आज बीजेपी सरकार ने की है. बीजेपी के शासनकाल में एक भी आंदोलनकारियों की पेंशन नहीं बढ़ाई गई और न ही उनको आर्थिक सहायता देकर सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि भाजपा संगठन ने प्रदेश में दो-दो मुख्यमंत्री बदल डाले, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आंदोलनकारीयों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करेंगे.

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बता दें कि, विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की मांगों की लगातार अनदेखी की है. राजभवन से बीते 3 सालों से वार्ता करने के लिए समय मांगा जा रहा है, न तो उन्हें समय दिया गया और न ही एक्ट पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं. इसके विरोध में और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारियों के विभिन्न संगठनों को 14 जुलाई को राजभवन घेराव करने के लिए बाध्य होना पड़ा है.

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