देहरादूनः आज से उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (winter session of uttarakhand assembly) शुरू हो गया है, जो आगामी 5 दिसंबर 2022 तक चलेगा. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने कानून व्यवस्था पर नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की. कांग्रेस के कुछ विधायक नाराज होकर सदन के बाहर धरने पर भी बैठे. शाम लंच के बाद वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने ₹5440.42 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया. इससे पहले प्रदेश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 सदन में पेश किया गया.
राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण विधेयक: सबसे पहले आज सचिव विधानसभा ने राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाला विधेयक सदन के पटल पर रखा. जिसके बाद उत्तराखंड में 6 विधेयक अधिनियम बनाए गए. जिसमें उत्तराखंड विनियोग विधेयक 2022 बना पांचवां अधिनियम बनाया गया. उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा (संशोधन) विधेयक 2022 को छठवां अधिनियम बनाया गया. उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि ब्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक 2022 सातवां अधिनियम बनाया गया.
सदन में उत्तराखंड उधम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक 2022 बना आठवां अधिनियम बनाया गया. औद्योगिक विवाद (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2020 बना नवां अधिनियम बनाया गया. उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन) विधेयक 2021 बना दसवां अधिनियम बनाया गया.
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- सदन में पुर्नस्थापित किये गए 9 विधेयक- बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन एवं अनुपूरक उपबंध) विधेयक 2022 पुर:स्थापित किया गया.
- उत्तराखंड दुकान एवं स्थापन (रोजगार विनियमन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2022 सदन में पुर:स्थापित किया गया.
- पेट्रोलियम विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को भी सदन में पुर: स्थापित गया.
- उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक को भी सदन में पुर:स्थापित किया गया.
- भारतीय स्टांप (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक को भी सदन में पुर:स्थापित किया गया.
- उत्तराखंड माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक को भी सदन में पुर:स्थापित किया गया.
- उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध ( संशोधन ) विधेयक 2022 को भी सदन में पुर:स्थापित किया गया.
- उत्तराखंड जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक 2022 को सदन के पटल पर पुर:स्थापित किया गया.
- उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2022 को पुर:स्थापित किया गया.
वहीं, इस दौरान उत्तराखंड-उत्तरप्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901 संशोधन अध्यादेश, 2022 सदन के पटल पर रखा गया. साथ ही उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के विनियमों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया. वहीं, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2020-2021 के वार्षिक लेख की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई. इस अलावा राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र कि चीनी मिल किच्छा की वित्तीय वर्ष 2020-21 की वार्षिक लेखा प्रतिवेदन और अनुसूचित जनजाति आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन में सदन के पटल पर रखा गया.
साथ ही पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन और उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग वार्षिक प्रतिवेदन 20-21 सदन के पटल पर रखा गया. इस मौके पर उत्तराखंड कैंपा के 2017-18, 2018-19 का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखा गया. साथ ही उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का 21वां वार्षिक प्रतिवेदन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों, उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2015 , उत्तराखंड विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन नियमावली के अंतर्गत सदन के पटल पर रखा गया.
हृदयेश ने उठाया विशेषाधिकार हनन का मामला: प्रश्नकाल के दौरान हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि विधायक के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है. उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्ययोजनाओं से दूर रखा जाता है. ऐसे में उन्होंने इस मसले पर कार्रवाई की मांग उठाई है. लिहाजा, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह इस मामले की जांच के आदेश देते हैं.
विधायक का आरोप था कि हल्द्वानी में बड़ी कार्ययोजना योजना तैयार की जा रही है, जिसकी 12 बैठकें हो चुकी हैं और दो बार डीपीआर भी तैयार की जा चुकी है, करीब 800 करोड़ की यह योजना में एक भी बार स्थानीय विधायक को बैठक में नहीं बुलाया गया, जिसको लेकर उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान विशेषाधिकार हनन का प्रश्न रखा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में तारांकित प्रश्न में जवाब मांगा जाएगा.
इसके साथ ही हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने नैनीताल जिले में टूटी सड़कों और क्षतिग्रस्त पुलों का मामला भी उठाया. हृदयेश ने रिंग रोड बनाये जाने की मुख्यमंत्री की घोषणा का प्रश्न उठाया, इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि रिंग रोड एनएएचआई के तहत बन रही है.
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प्रीतम सिंह ने भी विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया: कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं है. उनका जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा सरकार चाहती है कि सभी सदस्यों का मान-सम्मान बना रहे. विधानसभा अध्यक्ष ने पूरी तरह से परीक्षण कराने के बाद निर्णय लेने की बात कही.
कांग्रेस ने सरकार को घेरा: इस मौके पर विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि कार्यमंत्रणा की बैठक के उलट काम हो रहा है. सरकार सदन नहीं चलाना चाहती है और सदन को जल्द खत्म करना चाहती है. कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने पुरोला विधानसभा में मुख्यमंत्री की 132 घोषणाओं का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि मार्च में इस योजनाओं का शासनादेश जारी हुआ और 5 करोड़ की धनराशि भी योजनाओं के लिए आवंटित की गई. जिसके बाद में इन योजनाओं को विलोपित कर दिया जाता है. इन कार्यों को लेकर जांच कमेटी भी बनाई गई, लेकिन हुआ कुछ नहीं.
प्रीतम सिंह ने सरकार के सबका साथ सबका विकास नारे पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अपनो का विकास करने में लगी है. सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है. वहीं, विपक्ष के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. सरकारें आती हैं चली जाती हैं, हमेशा आप सत्ता में नहीं रहेंगे. वहीं, प्रीतम सिंह ने बंशीधर भगत पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि वह भूल गए हैं, अब वह मंत्री नहीं है, मंत्रियों को इसका जवाब देने दें. मुख्यमंत्री को चाहिए कि उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दें.
कांग्रेस विधायक ने आत्मदाह की चेतावनी दी: वहीं, विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर जसपुर विधायक आदेश चौहान ने सदन में आपबीती सुनाई. उन्होंने कहा कि उधम सिंह नगर पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इस मामले की जांच का भरोसा दिया है. विधायक आदेश चौहान ने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वह आत्मदाह को मजबूर होंगे.
उत्तराखंड विधानसभा में गूंजा नशे का मुद्दा: विपक्ष ने सदन में पहाड़ों पर स्मैक, ड्रग के फैलते मकड़जाल का मुद्दा उठाया. विपक्ष के विधायकों का आरोप है कि पहाड़ों पर स्मैक का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी विपक्ष के विधायकों ने सवाल उठाए और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन में सरकार को घेरा. इस दौरान हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि हल्द्वानी में सबसे अधिक स्मैक का कारोबार फैल रहा है. हृदयेश ने स्मैक के धंधे पर अंकुश लगाने के लिए स्पेशल टीम गठित करने की मांग उठाई.
प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के सवाल: सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल में विपक्ष के विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सवाल उठाए. विपक्ष की ओर से प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर नियम 310 में उठाए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव पर नियम 58 में चर्चा की जाएगी.
झबरेड़ा विधायक नरेंद्र ने इकबालपुर नहर परियोजना का मामला उठाया. उनका कहना था कि साल 2013-14 में रुड़की गंगनहर से निकालकर यह परियोजना स्वीकृत की गई थी लेकिन ये परियोजना आज तक बनकर तैयार नहीं हुई. इस परियोजना से इस क्षेत्र के तकरीबन 75 गांव सिंचाई से लाभान्वित होंगे. लेकिन ये परियोजना अभी यूपी-उत्तराखंड के बीच फंसी है.
उधर, विधायक विक्रम सिंह नेगी ने टिहरी झील में फैली गंदगी को हटाने पर सवाल किया था, जिसके जवाब में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि टिहरी झील में फैली गंदगी को हटाने के लिए नई व्यवस्था बनेगी. बरसात के सीजन में लकड़ी, जानवरों के शव और कूड़ा करकट हटाने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है.
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विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने गढ़वाली-कुमाऊंनी जौनसारी बोली को लेकर सवाल पूछा. पंवार ने पूछा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या तैयारी कर रही है. भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने पंवार का जवाब दिया लेकिन विधायक मंत्री के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए.
विधायक संजय डोभाल ने वन प्रभागों में दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूरों का मामला उठाया. उनका कहना था कि मजदूर वर्षों से कम मानदेय पर काम कर रहे हैं. इन मजदूरों को नियमित होना चाहिए. संजय डोभाल ने प्रसाद योजना को लेकर धर्मस्व मंत्री से भी सवाल पूछा. उन्होंने पूछा कि यमुनोत्री धाम में प्रसाद योजना के अंतर्गत कितने धन की व्यवस्था की गई है?
कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत राजाजी रिजर्व पार्क में गुज्जर के पशुओं को चुगान और लोपिंग के परमिट का मामला उठाया. अनुपमा रावत ने कहा कि हरिद्वार ग्रामीण में काफी संख्या में वन गुज्जर निवास कते हैं, जिनको पशु चुनाग के परमिट नहीं दिए गए हैं.
अपने विधायक ने किया असहज: वहीं, सदन के भीतर विकासनगर से बीजेपी विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने वन गुर्जरों को लेकर प्रश्न पूछा, जिस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.
अनुपूरक बजट पेश: लंच के बाद विधानसभा में ₹5440 करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया गया. वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बजट की कॉपी लेकर विधानसभा पहुंचे थे. वहीं, उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन सरकार की तरफ से महिला आरक्षण बिल सदन के पटल पर रखा गया.
क्या है महिला आरक्षण बिल: उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई 2001 को तत्कालीन नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी थी. इसके बाद कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने इसे 30 फीसदी कर दिया था. तभी से सिर्फ एक जीओ के आधार पर यह लाभ दिया जा रहा था. हालांकि, यह लाभ देने के लिए विधानसभा के पटल पर इसे विधेयक के रूप में लाना जरूरी था, जिसे अब सरकार ने पूरा किया है.
महिला आरक्षण पर क्या था बवाल: उत्तराखंड सम्मिलत राज्य सिविल एवं प्रवर अधीनस्थ सेवा प्री परीक्षा नतीजों के बाद हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत दूसरे राज्य की महिला अभ्यर्थियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ धामी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड की स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण को बरकरार रखा.
फोनिया को श्रद्धांजलि: उत्तराखंड विधानसभा सत्र शुरू होते ही सबसे पहले सदन ने दिवंगत पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया को श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा आज उनकी स्मृतियां, भूमिका और राज्य के विकास में उनका योगदान हम सभी को प्रेरित करता है. उनका जाना एक अपूर्णीय क्षति है. हम सभी कांग्रेसजन उनके परिवार को अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं.
इस मौके पर भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि केदार सिंह फोनिया के साथ उत्तर प्रदेश की विधानसभा से कार्य करने का अनुभव मिला. उनसे हमेशा जनहित से जुड़े मुद्दों पर उनसे चर्चा होती थी. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में उनकी चर्चाओं और बहस को अपनी किताब का हिस्सा बनाया. वहीं, आज सदन की कार्यवाही देखने के लिए कोटद्वार आर्य कन्या इंटर कॉलेज की छात्राएं पहुंची थीं.