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शर्मनाक! स्वास्थ्य मंत्री के जिले की ये तस्वीर, गत्ते में बंद किया बच्ची का फ्रैक्चर हाथ - उत्तराखंड डीजी हेल्थ शैलजा भट्ट

सोशल मीडिया पर एक स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची की तस्वीर वायरल हो रही है. हाथ में बंधी हुई सफेद पट्टी गले में है और हाथ एक गत्ते के अंदर है. इस तस्वीर के वायरल होने के बाद प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को लोग जमकर कोस रहे हैं. राज्य आंदोलनकारी और सीपीआई (एमएल) के गढ़वाल संयोजक इंद्रेश मैखुरी ने इस पर रोष जताया. तो वहीं, उत्तराखंड डीजी हेल्थ शैलजा भट्ट ने इस मामले पर बेतुका बयान दिया है.

girls hand in cardboard
कार्डबोर्ड में बच्ची का हाथ
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Published : May 24, 2022, 12:59 PM IST

Updated : May 24, 2022, 4:12 PM IST

देहरादून: बीते दिनों प्रदेश के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा. लेकिन जिस राज्य में टूटी हड्डी का इलाज गत्ता बांधकर हो रहा हो, वहां ये कैसे संभव होगा. दरअसल, सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही एक तस्वीर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है इसकी तस्दीक कर रही है. यह तस्वीर स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की है, जिसके हाथ में बंधी हुई सफेद पट्टी गले में है और हाथ एक गत्ते के अंदर है.

सोशल मीडिया पर चर्चा है कि यह वायरल तस्वीर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रिखणीखाल की है. खबर है कि रिखणीखाल में एक्सरे करने की व्यवस्था नहीं है और हड्डी रोग विशेषज्ञ भी अस्पताल में नहीं है. इसलिए उन्होंने बच्ची के हाथ को गत्ते में पैक कर दिया. सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल होने के बाद लोग प्रदेश सरकार को जमकर कोस रहे हैं. इसके साथ ही बड़बोड़े स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत पर भी लोग तंज कस रहे हैं.

कांग्रेस नेता अनुकृति गुसाईं की सीएम धामी से अपील.

डीजी हेल्थ का बेतुका बयान: इस मामले पर उत्तराखंड डीजी हेल्थ शैलजा भट्ट (DG Health Shailja Bhatt) का बेतुका बयान आया है. उन्होंने कहा हमारे पास वहां पर कोई ऑर्थोपेडिक डॉक्टर नहीं है और ना ही वहां पर उसकी कोई पोस्ट है, क्योंकि हर गांव में उनको अप्वॉइंट नहीं किया जा सकता. लेकिन जिस भी डॉक्टर ने उस बिटिया का हाथ देखा है. उसने अपने अनुभव के आधार पर बहुत अच्छा काम किया है. उसे जो लगा उसने अपने अनुभव के आधार पर ऐसा किया है. हालांकि, पूरे मामले पर वहां के सीएमओ से आख्या मांगी है कि पूरा मामला क्या है?

तो वहीं, इस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं बेहद खराब हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे हाथ पर कार्डबोर्ड लगाना बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि लैंसडाउन के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की ओर जाता ही नहीं है. ऐसे में उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत से इस मुद्दे पर ध्यान देने की बात कही है.

दरअसल, पौड़ी जनपद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत (Health Minister Dr Dhan Singh Rawat) का गृह जनपद है, जब उनके जिले में ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का ये हाल है तो प्रदेश के अन्य दूर दराज के क्षेत्रों का क्या हाल होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है?
पढ़ें- देवभूमि में महफूज नहीं बेटियां!, कुमाऊं में हर 24 घंटे में एक बेटी से होता है दुराचार, US नगर सबसे बदनाम

इंद्रेश मैखुरी ने जताया रोष के साथ अफसोस: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और सीपीआई (एमल) के गढ़वाल संयोजक इंद्रेश मैखुरी ने इस तस्वीर पर अफसोस जताया है. उन्होंने लिखा है- यह भी जान लीजिये कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा का कोई अलग-थलग मामला नहीं है, ना ही यह अपवाद है. बल्कि यह अपवाद न हो कर नियम है. स्वास्थ्य सेवाओं की यह बदहाली निरंतर बनी हुई है.

इंद्रेश मैखुरी लिखते हैं- फ्रैक्चर का इलाज गत्ता बांध कर करने वाला यह नायाब कारनामा तो है ही, लेकिन समाचार पत्रों में दो और खबरें हैं, जिनसे उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत समझी जा सकती है. अल्मोड़ा से खबर है कि वहां के जिला अस्पताल में आईसीयू तो है लेकिन न तो आईसीयू संचालन करने वाले विशेषज्ञ डाक्टर हैं और ना ही अन्य स्टाफ. जिला अस्पताल में चार बेड का आईसीयू वार्ड बनाया गया है, लेकिन इसमें डॉक्टर और अन्य स्टाफ न होने से, यह सफ़ेद हाथी बना हुआ है. एक अन्य खबर है कि हल्द्वानी में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में डाक्टरों के प्रमोशन के बाद रिलीव होने से वहां स्वास्थ्य सेवाओं का संकट और बढ़ गया है.

गौर कीजिये कि नौ में सात डाक्टरों के रिलीव होने से संकट बढ़ने की बात कही जा रही है, संकट पैदा होने की नहीं ! इसका आशय है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट तो वहां पहले से ही था, अब थोड़ा और बढ़ गया है. यह संकट इसलिए है क्यूंकि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल ट्रस्ट और उसके द्वारा संचलित सरकारी मेडिकल कॉलेज डाक्टरों की कमी से जूझ रहा है. खबरों के अनुसार हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज 53 प्रतिशत से अधिक डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यानि डाक्टरों के आधे से ज्यादा पद खाली हैं. खबर के अनुसार रेडियोलॉजी विभाग पूरी तरह से खाली हैं, इसलिए अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं.

इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीते बरस केदारनाथ आए तो उन्होंने कहा कि सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तो यह भाषण के लिए स्थायी जाप मिल गया है, वे जब-तब,जहां-तहां - सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा-मंत्र का जाप करते रहते हैं. प्रश्न यह है कि बिना डाक्टरों वाले मेडिकल कॉलेज और टूटी हड्डी का इलाज गत्ता बांधने के फॉर्मूले से सदी पर अपने नाम का शिलापट्ट चस्पा करने का यह ख्वाब किस आधार पर देखा और दिखाया जा रहा है?

देहरादून: बीते दिनों प्रदेश के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा. लेकिन जिस राज्य में टूटी हड्डी का इलाज गत्ता बांधकर हो रहा हो, वहां ये कैसे संभव होगा. दरअसल, सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही एक तस्वीर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है इसकी तस्दीक कर रही है. यह तस्वीर स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की है, जिसके हाथ में बंधी हुई सफेद पट्टी गले में है और हाथ एक गत्ते के अंदर है.

सोशल मीडिया पर चर्चा है कि यह वायरल तस्वीर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रिखणीखाल की है. खबर है कि रिखणीखाल में एक्सरे करने की व्यवस्था नहीं है और हड्डी रोग विशेषज्ञ भी अस्पताल में नहीं है. इसलिए उन्होंने बच्ची के हाथ को गत्ते में पैक कर दिया. सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल होने के बाद लोग प्रदेश सरकार को जमकर कोस रहे हैं. इसके साथ ही बड़बोड़े स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत पर भी लोग तंज कस रहे हैं.

कांग्रेस नेता अनुकृति गुसाईं की सीएम धामी से अपील.

डीजी हेल्थ का बेतुका बयान: इस मामले पर उत्तराखंड डीजी हेल्थ शैलजा भट्ट (DG Health Shailja Bhatt) का बेतुका बयान आया है. उन्होंने कहा हमारे पास वहां पर कोई ऑर्थोपेडिक डॉक्टर नहीं है और ना ही वहां पर उसकी कोई पोस्ट है, क्योंकि हर गांव में उनको अप्वॉइंट नहीं किया जा सकता. लेकिन जिस भी डॉक्टर ने उस बिटिया का हाथ देखा है. उसने अपने अनुभव के आधार पर बहुत अच्छा काम किया है. उसे जो लगा उसने अपने अनुभव के आधार पर ऐसा किया है. हालांकि, पूरे मामले पर वहां के सीएमओ से आख्या मांगी है कि पूरा मामला क्या है?

तो वहीं, इस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं बेहद खराब हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे हाथ पर कार्डबोर्ड लगाना बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि लैंसडाउन के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की ओर जाता ही नहीं है. ऐसे में उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत से इस मुद्दे पर ध्यान देने की बात कही है.

दरअसल, पौड़ी जनपद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत (Health Minister Dr Dhan Singh Rawat) का गृह जनपद है, जब उनके जिले में ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का ये हाल है तो प्रदेश के अन्य दूर दराज के क्षेत्रों का क्या हाल होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है?
पढ़ें- देवभूमि में महफूज नहीं बेटियां!, कुमाऊं में हर 24 घंटे में एक बेटी से होता है दुराचार, US नगर सबसे बदनाम

इंद्रेश मैखुरी ने जताया रोष के साथ अफसोस: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और सीपीआई (एमल) के गढ़वाल संयोजक इंद्रेश मैखुरी ने इस तस्वीर पर अफसोस जताया है. उन्होंने लिखा है- यह भी जान लीजिये कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा का कोई अलग-थलग मामला नहीं है, ना ही यह अपवाद है. बल्कि यह अपवाद न हो कर नियम है. स्वास्थ्य सेवाओं की यह बदहाली निरंतर बनी हुई है.

इंद्रेश मैखुरी लिखते हैं- फ्रैक्चर का इलाज गत्ता बांध कर करने वाला यह नायाब कारनामा तो है ही, लेकिन समाचार पत्रों में दो और खबरें हैं, जिनसे उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत समझी जा सकती है. अल्मोड़ा से खबर है कि वहां के जिला अस्पताल में आईसीयू तो है लेकिन न तो आईसीयू संचालन करने वाले विशेषज्ञ डाक्टर हैं और ना ही अन्य स्टाफ. जिला अस्पताल में चार बेड का आईसीयू वार्ड बनाया गया है, लेकिन इसमें डॉक्टर और अन्य स्टाफ न होने से, यह सफ़ेद हाथी बना हुआ है. एक अन्य खबर है कि हल्द्वानी में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में डाक्टरों के प्रमोशन के बाद रिलीव होने से वहां स्वास्थ्य सेवाओं का संकट और बढ़ गया है.

गौर कीजिये कि नौ में सात डाक्टरों के रिलीव होने से संकट बढ़ने की बात कही जा रही है, संकट पैदा होने की नहीं ! इसका आशय है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट तो वहां पहले से ही था, अब थोड़ा और बढ़ गया है. यह संकट इसलिए है क्यूंकि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल ट्रस्ट और उसके द्वारा संचलित सरकारी मेडिकल कॉलेज डाक्टरों की कमी से जूझ रहा है. खबरों के अनुसार हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज 53 प्रतिशत से अधिक डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यानि डाक्टरों के आधे से ज्यादा पद खाली हैं. खबर के अनुसार रेडियोलॉजी विभाग पूरी तरह से खाली हैं, इसलिए अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं.

इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीते बरस केदारनाथ आए तो उन्होंने कहा कि सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तो यह भाषण के लिए स्थायी जाप मिल गया है, वे जब-तब,जहां-तहां - सदी का अगला दशक उत्तराखंड का होगा-मंत्र का जाप करते रहते हैं. प्रश्न यह है कि बिना डाक्टरों वाले मेडिकल कॉलेज और टूटी हड्डी का इलाज गत्ता बांधने के फॉर्मूले से सदी पर अपने नाम का शिलापट्ट चस्पा करने का यह ख्वाब किस आधार पर देखा और दिखाया जा रहा है?

Last Updated : May 24, 2022, 4:12 PM IST
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