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एक नजर में देखें अयोध्या से लंका तक 'राजाराम' का सफर - श्रीलंका पहुंचकर राम ने रावण का वध किया

दीवाली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश 'राजाराम', जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. भगवान राम ने अपना ये सफर अयोध्या से शुरू किया और दंडकारण्य से उनका वनवास शुरू हुआ, एक नजर में देखिए भगवान राम का अयोध्या से लेकर लंका (श्रीलंका) तक का सफर सिर्फ ईटीवी भारत मध्यप्रदेश पर..

एक नजर में देखें अयोध्या से लंका तक 'राजाराम' का सफर.
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Published : Oct 20, 2019, 8:14 AM IST

भोपाल: अयोध्या से सरयू नदी पार कर राम वन की तरफ निकले और प्रयागराज (इलाहबाद) में केवट से मिले, जिसने उन्हें गंगा पार कराई. कुरई गांव में भी भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और धर्म पत्नी सीता के साथ ठहरे उसके बाद चित्रकूट पहुंचे, जहां उनके भाई भरत ने उन्हें अयोध्या वापस चलकर राजपाट संभालने के लिए मनाया.

एक नजर में देखें अयोध्या से लंका तक 'राजाराम' का सफर.

खरगोन के महेश्वर में भी श्री राम ने लंबा समय बिताया और फिर होशंगाबाद में मां नर्मदा की आराधना की , विदिशा जिले में बेतवा नदी किनारे चरण तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर आज भी श्री राम के पद चिन्ह मौजूद हैं, यहां तक के सफर के बाद दंडकारण्य से भगवान राम का वनवास शुरू हुआ. दण्डकारण्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में फैला है.

दण्डकारण्य से राम अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे. आंध्रप्रदेश के खम्माम जिले में स्थित है पर्णशाला, जहां से लंका नरेश रावण ने सीता का हरण किया. माता सीता को खोजते हुए भगवान राम तुंगभद्रा और कावेरी नदियों के तट पर पहुंचे. राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वर में भगवान शिव की आराधना की. श्रीलंका पहुंचकर राम ने रावण का वध किया, श्रीलंका में नुवारा एलिया नाम की पर्वत श्रृंखला के मध्य में रावण के महल का जिक्र वाल्मीकि जी ने रामायण में किया है.

भोपाल: अयोध्या से सरयू नदी पार कर राम वन की तरफ निकले और प्रयागराज (इलाहबाद) में केवट से मिले, जिसने उन्हें गंगा पार कराई. कुरई गांव में भी भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और धर्म पत्नी सीता के साथ ठहरे उसके बाद चित्रकूट पहुंचे, जहां उनके भाई भरत ने उन्हें अयोध्या वापस चलकर राजपाट संभालने के लिए मनाया.

एक नजर में देखें अयोध्या से लंका तक 'राजाराम' का सफर.

खरगोन के महेश्वर में भी श्री राम ने लंबा समय बिताया और फिर होशंगाबाद में मां नर्मदा की आराधना की , विदिशा जिले में बेतवा नदी किनारे चरण तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर आज भी श्री राम के पद चिन्ह मौजूद हैं, यहां तक के सफर के बाद दंडकारण्य से भगवान राम का वनवास शुरू हुआ. दण्डकारण्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में फैला है.

दण्डकारण्य से राम अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे. आंध्रप्रदेश के खम्माम जिले में स्थित है पर्णशाला, जहां से लंका नरेश रावण ने सीता का हरण किया. माता सीता को खोजते हुए भगवान राम तुंगभद्रा और कावेरी नदियों के तट पर पहुंचे. राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वर में भगवान शिव की आराधना की. श्रीलंका पहुंचकर राम ने रावण का वध किया, श्रीलंका में नुवारा एलिया नाम की पर्वत श्रृंखला के मध्य में रावण के महल का जिक्र वाल्मीकि जी ने रामायण में किया है.

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अयोध्या से सरयू नदी पार कर राम वन को चले



प्रयागराज- प्रयागराज में केवट ने गंगा पार कराया



कुरई गांव- गंगा पार कर श्रीराम कुरई गांव में रुके



चित्रकूट- कुरई से चित्रकूट पहुंचे राम को भरत मनाने पहुंचे



ओरछा- ओरछा में श्रीराम राजा के रुप में महल में विराजे



खरगोन- महेश्वर में श्रीराम ने लंबा समय बिताया



होशंगाबाद- होशंगाबाद में श्रीराम ने नर्मदा की आराधना की



विदिशा- विदिशा में वेतवा किनारे रुके राम के पदचिह्न आज भी हैं मौजूद



दंडकारण्य- दंडकारण्य से राम का वनवास शुरु हुआ, एमपी, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में फैला है दंडकारण्य.



पंचवटी- दण्डकारण्य से राम अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे.



पर्णशाला-  आंध्रप्रदेश के खम्माम जिले में है पर्णशाला, जहां से रावण ने सीता का हरण किया.

 

तुंगभद्रा- राम माता सीता की खोज में तुंगभद्रा और कावेरी नदियों के तट पर पहुंचे.



कोडीकरई- राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वर में भगवान शिव की आराधना की.



श्रीलंका- श्रीलंका पहुंचकर राम ने रावण का वध किया. श्रीलंका में नुवारा एलिया नाम की इस पर्वत श्रृंखला के मध्य में रावण के महल का जिक्र वाल्मीकि जी ने रामायण में किया है.


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