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Teachers Day 2019: उत्तराखंड के इन राजनेताओं ने बतौर शिक्षक शुरू किया था अपना करियर - उत्तराखंड के सफल राजनेता

आज पूरा देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. इस दिन को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. लेकिन ईटीवी भारत शिक्षक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट में बतागा कि उत्तराखंड में कौन-कौन से वो सफल राजनेता हैं जो पहले शिक्षक थे.

शिक्षक दिवस स्पेशल
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Published : Sep 5, 2019, 10:28 AM IST

Updated : Sep 5, 2019, 12:52 PM IST

देहरादून: आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है. शिक्षक दिवस देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में हमें और आपको वे शिक्षक याद आते हैं, जो कभी कान पकड़ कर उठक-बैठक करवाते थे या फिर छड़ी से पिटाई कर ज्ञान पिलाते थे. लेकिन आज हम आपको ऐसे शिक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं. जो न केवल एक सफल शिक्षक रहे बल्कि, राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम बनाया है.

शिक्षक दिवस स्पेशल

सबसे पहले बात करते हैं मोदी सरकार में HRD मिनिस्ट्री संभाल रहे डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की. निशंक सक्रिय राजनीति में आने से पहले शिक्षक ही थे, उन्होंने साल 1982 में देहरादून स्थित जगमोहन सरस्वती शिशु मंदिर बतौर सहायक अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी. जिसके बाद वो जोशीमठ और श्रीनगर में भी कार्यरत रहे. और आज वे मानव संसाधन मंत्रालय जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

इसी कड़ी में दूसरा नाम इंदिरा हृदयेश का आता है. जो कांग्रेस की एक कद्दावर नेता है. और कांग्रेस शासनकाल में वित्त विभाग जैसे कई महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाल चुकी है. इंदिरा हृदयेश उत्तरप्रदेश के समय में शिक्षकों के कोटे से एमएलसी भी रह चुकी हैं. वहीं, राज्य गठन के बाद साल 2002 में उत्तराखंड की राजनीति में सर्वाधिक पावरफुल मंत्री भी रहीं. और वर्तमान में वो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही हैं.

पढ़ें- मिसाल: कभी दाने-दाने को थीं मोहताज, आज डेढ़ करोड़ का है टर्नओवर

शिक्षक से उत्तराखंड की राजनीति में मुकाम बनाने वालों में तीसरा नाम हरक सिंह रावत का है. जो त्रिवेंद्र सरकार में बतौर वन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. हरक सिंह रावत ने एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अपने करियर की शुरुआत की थी. बतौर शिक्षक हरक सिंह रावत बच्चों को पढ़ाते थे. और वर्तमान समय में हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर है.

वहीं, भगवानपुर विधायक ममता राकेश भी राजनीति में कदम रखने से पहले शिक्षिका के रूप में शाहपुर विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत थी. ममता राकेश ने पति के निधन के बाद भगवानपुर सीट पर हुए उपचुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची थी. और अब वर्तमान समय में वो कांग्रेस विधायक है. यही नहीं, उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक और भी हैं. जिन्होंने सक्रिय राजनीति में मुकाम बनाया है. जो कि काबिले तारीफ है.

उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक हैं जो सक्रिय राजनीति की राह पर चल पड़े. जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष रही मधु चौहान, चकराता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि, इन्हें जीत नसीब नहीं हुई. इसके साथ ही साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने के लिए शूरवीर लाल ने वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय हुए और घनसाली से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. प्रोफेसर जीतराम, यशपाल बेनाम, गंगा पंचोली, शैलारानी रावत समेत कई शिक्षक सक्रिय राजनीति में पहुंचे हैं.

देहरादून: आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है. शिक्षक दिवस देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में हमें और आपको वे शिक्षक याद आते हैं, जो कभी कान पकड़ कर उठक-बैठक करवाते थे या फिर छड़ी से पिटाई कर ज्ञान पिलाते थे. लेकिन आज हम आपको ऐसे शिक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं. जो न केवल एक सफल शिक्षक रहे बल्कि, राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम बनाया है.

शिक्षक दिवस स्पेशल

सबसे पहले बात करते हैं मोदी सरकार में HRD मिनिस्ट्री संभाल रहे डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की. निशंक सक्रिय राजनीति में आने से पहले शिक्षक ही थे, उन्होंने साल 1982 में देहरादून स्थित जगमोहन सरस्वती शिशु मंदिर बतौर सहायक अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी. जिसके बाद वो जोशीमठ और श्रीनगर में भी कार्यरत रहे. और आज वे मानव संसाधन मंत्रालय जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

इसी कड़ी में दूसरा नाम इंदिरा हृदयेश का आता है. जो कांग्रेस की एक कद्दावर नेता है. और कांग्रेस शासनकाल में वित्त विभाग जैसे कई महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाल चुकी है. इंदिरा हृदयेश उत्तरप्रदेश के समय में शिक्षकों के कोटे से एमएलसी भी रह चुकी हैं. वहीं, राज्य गठन के बाद साल 2002 में उत्तराखंड की राजनीति में सर्वाधिक पावरफुल मंत्री भी रहीं. और वर्तमान में वो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही हैं.

पढ़ें- मिसाल: कभी दाने-दाने को थीं मोहताज, आज डेढ़ करोड़ का है टर्नओवर

शिक्षक से उत्तराखंड की राजनीति में मुकाम बनाने वालों में तीसरा नाम हरक सिंह रावत का है. जो त्रिवेंद्र सरकार में बतौर वन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. हरक सिंह रावत ने एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अपने करियर की शुरुआत की थी. बतौर शिक्षक हरक सिंह रावत बच्चों को पढ़ाते थे. और वर्तमान समय में हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर है.

वहीं, भगवानपुर विधायक ममता राकेश भी राजनीति में कदम रखने से पहले शिक्षिका के रूप में शाहपुर विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत थी. ममता राकेश ने पति के निधन के बाद भगवानपुर सीट पर हुए उपचुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची थी. और अब वर्तमान समय में वो कांग्रेस विधायक है. यही नहीं, उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक और भी हैं. जिन्होंने सक्रिय राजनीति में मुकाम बनाया है. जो कि काबिले तारीफ है.

उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक हैं जो सक्रिय राजनीति की राह पर चल पड़े. जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष रही मधु चौहान, चकराता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि, इन्हें जीत नसीब नहीं हुई. इसके साथ ही साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने के लिए शूरवीर लाल ने वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय हुए और घनसाली से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. प्रोफेसर जीतराम, यशपाल बेनाम, गंगा पंचोली, शैलारानी रावत समेत कई शिक्षक सक्रिय राजनीति में पहुंचे हैं.

Intro:नोट - फाइल फुटेज ftp से भी भेजी गयी है.........uk_deh_03_teacher's_day_vis_7205803   

जब शिक्षक दिवस की बात करते है हमेशा आपके और हमारे जहन में वह शिक्षक आ जाते हैं जिन्होंने कान पकड़ कर उट्ठक-बैठक कराया हो या फिर छड़ी से पिटाई कर ज्ञान दिया हो। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे शिक्षकों की कहानी बताने जा रहे हैं जो ना केवल छात्रों को पढ़ाया करते थे, बल्कि आज वह अपना पेशा छोड़कर राजनीति में बड़े मुकाम पर काबिज है।  जी हां उत्तराखंड की राजनीति में अपना नाम बना चुके विधायक,  मंत्री, मुख्यमंत्री भी आज से पहले शिक्षक थे। यह संख्या एक-दो नहीं बल्कि कई है। चलिए हम आपको बताते हैं कि उत्तराखंड में विधायक मंत्री और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए कौन-कौन से ऐसे नेता हैं जो राजनीति की पारी शुरू करने से पहले एक शिक्षक हुआ करते थे। देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट............


Body:जब देश के बड़े-बड़े राजनितिक दिग्गजों की बात करते है तो उनके द्वारा देश के लिए किये गए कामो और राजनितिक सफर पर भी जिक्र करते है लेकिन भारत की राजनीती में परचम लहराने वाले राजनेताओ की बात करे तो कई राजनेता  अलग- अलग क्षेत्र से राजनीती में आकर अपना वर्चस्व कायम किया है। इसी तरह उत्तराखंड की राजनीती में भी कई दिग्गज नेता ऐसे भी है, जिन्होंने टीचर बनकर करियर की शुरूआत की और फिर इसे छोड़कर राजनीति की राह पकड़ ली। 


रमेश पोखरियाल 'निशंक' - साल 2019 में हुई लोकसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए रमेश पोखरियाल निशंक पहले एक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। यही नहीं  डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने साल 1982 में देहरादून स्थित जगमोहन सरस्वती शिशु मंदिर, मोती बाजार में  बतौर सहायक अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी। जिसके बाद जोशीमठ और श्रीनगर में बच्चों को भी पढ़ाया इसके बाद ही राजनीति की राह पकड़ ली। निशंक अपने काबिलयत के बल पर न सिर्फ विधायक और सांसद बने बल्कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके है। 


इंदिरा ह्रदयेश - उत्तराखंड की राजनीति में इंदिरा हृदयेश का एक कद्दावर नाम है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान मंत्रिमंडल में शामिल होकर वित्त विभाग जैसे कई महत्त्वपूर्ण विभागों को संभल चुकी इंदिरा हृदयेश, उत्तरप्रदेश के समय में शिक्षकों के कोटे से एमएलसी भी रह चुकी है। यही नहीं उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2002 में उत्तराखंड की राजनीती में सर्वाधिक पावरफुल मंत्री भी थी। हालांकि वर्तमान समय में इंदिरा हृदयेश नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही है।  


हरक सिंह रावत - साल 2016 से पहले कांग्रेस शासनकाल में कैबिनेट मंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हरक सिंह रावत पहले शिक्षक थे। हरक सिंह रावत ने उत्तराखंड के श्रीनगर स्तिथ एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। और वहा हरक सिंह रावत बच्चों को पढ़ाते थे। हालांकि वर्तमान समय मे हरक सिंह रावत भाजपा शासनकाल में मंत्रिमंडल में शामिल है। 


ममता राकेश - ममता राकेश एक ऐसा नाम है जिन्होंने साल 2015 में अपने पति के निधन के बाद राजनीति में अपना सफर शुरू किया। हालांकि साल 2015 से पहले ममता राकेश, भगवानपुर के शाहपुर विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत थीं। और ममता के पति के निधन के बाद ममता ने भगवानपुर सीट पर हुए उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी। और वर्तमान समय मे कांग्रेस पार्टी से भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। 


यही नही उत्तराखंड राज्य के कई ऐसे शिक्षक भी है जिन्होंने शिक्षक की लाइन से अलग सक्रिय राजनीति की राह पर चल पड़े। जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष रही मधु चौहान, चकराता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी है। हालांकि इन्हें जीत नशीब नही हुआ। इसके साथ ही साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने के लिए शूरवीर लाल ने वीआरएस लेकर राजनीति में सक्रिय हुए और घनसाली से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। यही नही प्रोफेसर जीतराम, यशपाल बेनाम, गंगा पंचोली, शैलारानी रावत समेत कई शिक्षक भी टीचर से सक्रिय राजनीति में पहुंचे हैं।  




Conclusion:
Last Updated : Sep 5, 2019, 12:52 PM IST
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