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14 जुलाई को गैरसैंण में हरीश रावत का हल्लाबोल, दलबदल को लेकर 'अपनों' पर किया हमला - symbolic lockout of harish rawat

हरीश रावत ने फेसबुक पेज पर गैरसैंण को लेकर एक लंबा पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने गैरसैंण को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. हरीश रावत ने कहा है कि वो 14 जुलाई को गैरसैंण जाएंगे और सरकार के प्रतीक एक कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर अपना विरोध जताएंगे और उत्तराखंड की जनता को एक संदेश देने का काम करेंगे.

Former CM Harish Rawat
देहरादून
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Published : Jul 3, 2022, 3:31 PM IST

देहरादून: पूर्व सीएम हरीश रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर धामी सरकार पर हमला बोला है. हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड से बड़े वादों में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी है. उन्होंने कहा कि जब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था, तब से यह ग्रीष्मकाल है. इन तीन सालों में गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना तो छोड़िए, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा है.

हरीश रावत ने कहा- 'सरकार के प्रतीक के रूप में वहां कोई बैठता नहीं है. 1 दिन भी रात रहकर वहां मंत्रिमंडल ने विचार-विमर्श नहीं किया है. मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवगण वहां गये भी हैं, मैंने ऐसा कोई समाचार देखा नहीं है. इससे और बड़ा अपमान राज्य की जनता का उसके मान-सम्मान की प्रतीक विधानसभा के पटल का और क्या हो सकता है कि घोषणा ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की और एक के बाद एक ग्रीष्म काल बीत रहे हैं. मगर सरकार है कि उस घोषणा पर अमल करने को तैयार नहीं है. लोगों से कह रही है, भूल जाओ.

मैंने भी तय किया है कि मैं इस सरकार को भूलने नहीं दूंगा. इनको याद दिलाने मैं 14 जुलाई, 2022 को क्योंकि 15 तारीख के बाद फिर ग्रीष्मकाल समाप्त हो जाएगा. 14 जुलाई को गैरसैंण जाऊंगा. सरकार के प्रतीक एक कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर उत्तराखंड के लोगों के आक्रोश को ध्वनि प्रदान करूंगा.

दलबदल को लेकर 'अपनों' पर हमला: हरीश रावत ने आगे लिखा है कि- 'खुद भी आहत हूं कि कुछ लोग 2016 में हमको छोड़कर के चले गये और मैं यह भी जानता हूं कि यदि वो लोग नहीं गये होते तो 2017 में कांग्रेस की सरकार बनी होती लेकिन उसके पीछे यह शक्ति कौन थी? जिसने यह दलबदल करवाया. उस दलबदल में पैसे का महत्व कितना था? क्या लालच था लोगों के सामने, वह सब दिन के उजाले की तरह साफ है. फिर चलो उत्तराखंड में तो हरीश रावत मुख्यमंत्री थे उनको संभालना चाहिए था.
पढ़ें- भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक Update : 'तेलंगाना में खत्म करेंगे वंशवाद की राजनीति'

बीजेपी पर करारा हमला: अरुणाचल, असम में क्या कहेंगे आप? मणिपुर में क्या कहेंगे? गोवा में क्या कहेंगे? कर्नाटक में जिस तरीके से सरकार गिराई गई उस पर क्या टिप्पणी करना चाहेंगे? जिस प्रकार से मध्य प्रदेश के अंदर सरकार गिराई गई और कांग्रेस से सत्ता का अपहरण किया गया उस पर क्या कहेंगे? महाराष्ट्र के अंदर जिस प्रकार से सत्ता बदल करवाया गया है उस पर क्या कहना चाहेंगे? क्या उस सबका भी हरीश रावत ही जिम्मेदार है?

सारा देश इस तथ्य को जानता है कि भाजपा, विपक्ष को समाप्त करने के लिए लोकतंत्र की हत्या के लिए एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए कांग्रेस को कमजोर करने के लिए नग्न धन का खेल कर रही है. ईडी सीबीआई, इनकम टैक्स आदि का दुरुपयोग कर रही है.

यदि हम कि किसी बात को इतनी सिंप्लफिकेशन से कहेंगे या यह आभास देने की कोशिश करेंगे कि 2016 में उत्तराखंड का दलबदल हरीश रावत के कारण हुआ, तो हम भाजपा को उसके पाप से लोकतंत्र की कई राज्यों में हत्या करने के पाप से मुक्त करेंगे. मैं समझता हूं मेरे कोई भी सहयोगी, कोई भी कांग्रेस जन, भाजपा को इस पाप से मुक्त नहीं करना चाहेगा?

देहरादून: पूर्व सीएम हरीश रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर धामी सरकार पर हमला बोला है. हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड से बड़े वादों में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का भी है. उन्होंने कहा कि जब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था, तब से यह ग्रीष्मकाल है. इन तीन सालों में गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना तो छोड़िए, मुख्यमंत्री ने एक रात वहां बिताना भी मुनासिब नहीं समझा है.

हरीश रावत ने कहा- 'सरकार के प्रतीक के रूप में वहां कोई बैठता नहीं है. 1 दिन भी रात रहकर वहां मंत्रिमंडल ने विचार-विमर्श नहीं किया है. मुख्य सचिव, प्रमुख सचिवगण वहां गये भी हैं, मैंने ऐसा कोई समाचार देखा नहीं है. इससे और बड़ा अपमान राज्य की जनता का उसके मान-सम्मान की प्रतीक विधानसभा के पटल का और क्या हो सकता है कि घोषणा ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की और एक के बाद एक ग्रीष्म काल बीत रहे हैं. मगर सरकार है कि उस घोषणा पर अमल करने को तैयार नहीं है. लोगों से कह रही है, भूल जाओ.

मैंने भी तय किया है कि मैं इस सरकार को भूलने नहीं दूंगा. इनको याद दिलाने मैं 14 जुलाई, 2022 को क्योंकि 15 तारीख के बाद फिर ग्रीष्मकाल समाप्त हो जाएगा. 14 जुलाई को गैरसैंण जाऊंगा. सरकार के प्रतीक एक कार्यालय में सांकेतिक तालाबंदी कर उत्तराखंड के लोगों के आक्रोश को ध्वनि प्रदान करूंगा.

दलबदल को लेकर 'अपनों' पर हमला: हरीश रावत ने आगे लिखा है कि- 'खुद भी आहत हूं कि कुछ लोग 2016 में हमको छोड़कर के चले गये और मैं यह भी जानता हूं कि यदि वो लोग नहीं गये होते तो 2017 में कांग्रेस की सरकार बनी होती लेकिन उसके पीछे यह शक्ति कौन थी? जिसने यह दलबदल करवाया. उस दलबदल में पैसे का महत्व कितना था? क्या लालच था लोगों के सामने, वह सब दिन के उजाले की तरह साफ है. फिर चलो उत्तराखंड में तो हरीश रावत मुख्यमंत्री थे उनको संभालना चाहिए था.
पढ़ें- भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक Update : 'तेलंगाना में खत्म करेंगे वंशवाद की राजनीति'

बीजेपी पर करारा हमला: अरुणाचल, असम में क्या कहेंगे आप? मणिपुर में क्या कहेंगे? गोवा में क्या कहेंगे? कर्नाटक में जिस तरीके से सरकार गिराई गई उस पर क्या टिप्पणी करना चाहेंगे? जिस प्रकार से मध्य प्रदेश के अंदर सरकार गिराई गई और कांग्रेस से सत्ता का अपहरण किया गया उस पर क्या कहेंगे? महाराष्ट्र के अंदर जिस प्रकार से सत्ता बदल करवाया गया है उस पर क्या कहना चाहेंगे? क्या उस सबका भी हरीश रावत ही जिम्मेदार है?

सारा देश इस तथ्य को जानता है कि भाजपा, विपक्ष को समाप्त करने के लिए लोकतंत्र की हत्या के लिए एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए कांग्रेस को कमजोर करने के लिए नग्न धन का खेल कर रही है. ईडी सीबीआई, इनकम टैक्स आदि का दुरुपयोग कर रही है.

यदि हम कि किसी बात को इतनी सिंप्लफिकेशन से कहेंगे या यह आभास देने की कोशिश करेंगे कि 2016 में उत्तराखंड का दलबदल हरीश रावत के कारण हुआ, तो हम भाजपा को उसके पाप से लोकतंत्र की कई राज्यों में हत्या करने के पाप से मुक्त करेंगे. मैं समझता हूं मेरे कोई भी सहयोगी, कोई भी कांग्रेस जन, भाजपा को इस पाप से मुक्त नहीं करना चाहेगा?

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