ऋषिकेशः एम्स ऋषिकेश के हृदय रोग शिशु शल्य चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने दो साल के बच्चे के दिल का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर मिसाल कायम की है. चिकित्सकों के अनुसार, ऑपरेशन के बाद बच्चा पूरी तरह से खतरे से बाहर है और उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है. जल्द ही बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.
एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कॉर्डियो थोरेसिक सर्जन डॉ. अनीष गुप्ता ने बताया कि उधम सिंह नगर निवासी दो साल के बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन कर उसे नवजीवन दिया गया है. यदि वक्त रहते उसके दिल के छेद की सर्जरी नहीं हो पाती तो उसकी जान तक को खतरा था.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण मरीज को उपचार नहीं मिल पा रहा था और उसके उपचार में अनावश्यक विलंब हो रहा था. जिससे उसके फेफड़ों में प्रेशर बढ़ गया था. पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी की प्रो. भानु दुग्गल और डॉ. यश श्रीवास्तव ने उसकी एंजियोग्राफी की. जिसमें पता चला कि बच्चे की सर्जरी हाई रिस्क है. मगर पीडियाट्रिक कॉर्डियो थोरेसिक सर्जन ने बड़ी सूझबूझ से उसके जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया और बच्चे का जीवन बच गया.
पढ़ेंः हंसी 'दीदी' से मिलने पहुंची मंत्री रेखा आर्य, महिला कल्याण विभाग में नौकरी का प्रस्ताव
इस बीमारी के क्या हैं लक्षण
चिकित्सकों के अनुसार, वेंट्रिकुलर सैप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) दिल में छेद क बीमारी बच्चों में पैदायशी ही होती है. बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पैदा होने के पहले दो-तीन महीनों में ही आने लगते हैं. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों में पैदा होने के बाद से ही निमोनिया, खांसी, जुकाम, बुखार, वजन का न बढ़ना, छोटे बच्चे को दूध पीने में कठिनाई होना, माथे पर पसीना आना व बच्चे के बड़े होने पर खेलने कूदने में थकान महसूस करना व सांस फूलना आदि लक्षण पाए जाते हैं. इस बीमारी में सर्जरी बच्चे के पहले एक साल अथवा दूसरे वर्ष में ऑपरेशन होना जरुरी है. ऐसा नहीं करने पर चार वर्ष के बाद बच्चे के फेफड़ों पर प्रेशर काफी बढ़ जाता है. लिहाजा उनकी सर्जरी में हाई रिस्क होता है.