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एक नवंबर से 10वीं-12वीं के छात्रों के लिये खुलेंगे स्कूल, छात्रों-अभिभावकों ने दी ये प्रतिक्रिया

उत्तराखंड में आगामी एक नवंबर से स्कूल खोलने के निर्णय पर छात्रों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है. छात्रों का कहना है कि अब उनका सिलेबस पूरा होगा. वहीं, छात्रों में कोरोना का खौफ भी साफ दिखाई दिया.

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स्कूली बच्चे
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Published : Oct 14, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Oct 16, 2020, 2:20 PM IST

देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कैबिनेट बैठक में स्कूलों को दोबारा खोले जाने को लेकर अहम फैसला लिया है. जिसके तहत आगामी एक नवंबर से प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए खोल दिया जाएगा, लेकिन अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. साथ ही छात्र और अभिभावक असंजमस की स्थिति में है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल खोले जाने को लेकर छात्रों की राय जानी.

सरकार की ओर से नवंबर से स्कूल खोले जाने के फैसले पर छात्र काफी खुश नजर आए. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए छात्रों का कहना था कि वो बीते लंबे समय से स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया है. ऐसे में उन्हें बोर्ड एग्जाम की तैयारी करने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही कहा कि वो लंबे समय से ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से अपनी पढ़ाई तो जरूर कर रहे हैं, लेकिन कई बार ऑनलाइन क्लास के दौरान कुछ विषय समझ में नहीं पाते थे, लेकिन अब स्कूल खुलेंगे तो सभी विषयों को छात्र बेहतर तरह से समझ पाएंगे.

स्कूल खोलने के निर्णय पर छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया.

वहीं, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए छात्रों में कुछ हद डर भी नजर आया, लेकिन छात्रों का कहना है कि वो अपने बेहतर भविष्य के लिए कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंको से उत्तीर्ण होना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें स्कूल जाना ही पड़ेगा. ऐसे में वो खुद ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए स्कूल जाएंगे. साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए स्कूल में निरंतर मास्क और हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करेंगे.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड कैबिनेट की अहम बैठक, 17 प्रस्तावों पर लगी मुहर

उधर, दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून के स्थानीय अभिवावकों का कहना है कि सरकार कोरोना संकटकाल में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं जरूर शुरू करने जा रही है लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल प्रबंधन इस बात का पूरा ख्याल रखें कि स्कूल में कोविड-19 की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन हो. यदि कोई बच्चा स्कूल जाते हुए कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी भी स्कूल प्रबंधन की होनी चाहिए.

dehradun news
एक नवंबर से खुलेंगे स्कूल.

वहीं, दूसरी तरफ कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों को फिलहाल स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. अभिभावकों के मुताबिक, जिस तरह बच्चे पिछले लंबे समय से घरों से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं वह आगे भी अपने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई ही कराएंगे, क्योंकि प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

बता दें कि शासकीय कार्य मंत्री मदन कौशिक की ओर से यह साफ किया गया है कि स्कूल में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करें. इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होगी. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में कोई भी बच्चा बिना मास्क और हैंड सैनिटाइजर के प्रवेश न करें.

देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कैबिनेट बैठक में स्कूलों को दोबारा खोले जाने को लेकर अहम फैसला लिया है. जिसके तहत आगामी एक नवंबर से प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए खोल दिया जाएगा, लेकिन अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है. ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. साथ ही छात्र और अभिभावक असंजमस की स्थिति में है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम ने स्कूल खोले जाने को लेकर छात्रों की राय जानी.

सरकार की ओर से नवंबर से स्कूल खोले जाने के फैसले पर छात्र काफी खुश नजर आए. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए छात्रों का कहना था कि वो बीते लंबे समय से स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया है. ऐसे में उन्हें बोर्ड एग्जाम की तैयारी करने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही कहा कि वो लंबे समय से ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से अपनी पढ़ाई तो जरूर कर रहे हैं, लेकिन कई बार ऑनलाइन क्लास के दौरान कुछ विषय समझ में नहीं पाते थे, लेकिन अब स्कूल खुलेंगे तो सभी विषयों को छात्र बेहतर तरह से समझ पाएंगे.

स्कूल खोलने के निर्णय पर छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया.

वहीं, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए छात्रों में कुछ हद डर भी नजर आया, लेकिन छात्रों का कहना है कि वो अपने बेहतर भविष्य के लिए कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंको से उत्तीर्ण होना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें स्कूल जाना ही पड़ेगा. ऐसे में वो खुद ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए स्कूल जाएंगे. साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए स्कूल में निरंतर मास्क और हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करेंगे.

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उधर, दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए राजधानी देहरादून के स्थानीय अभिवावकों का कहना है कि सरकार कोरोना संकटकाल में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं जरूर शुरू करने जा रही है लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल प्रबंधन इस बात का पूरा ख्याल रखें कि स्कूल में कोविड-19 की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन हो. यदि कोई बच्चा स्कूल जाते हुए कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी भी स्कूल प्रबंधन की होनी चाहिए.

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एक नवंबर से खुलेंगे स्कूल.

वहीं, दूसरी तरफ कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों को फिलहाल स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. अभिभावकों के मुताबिक, जिस तरह बच्चे पिछले लंबे समय से घरों से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं वह आगे भी अपने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई ही कराएंगे, क्योंकि प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

बता दें कि शासकीय कार्य मंत्री मदन कौशिक की ओर से यह साफ किया गया है कि स्कूल में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करें. इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होगी. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में कोई भी बच्चा बिना मास्क और हैंड सैनिटाइजर के प्रवेश न करें.

Last Updated : Oct 16, 2020, 2:20 PM IST
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