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कोरोना काल में भी डटकर खड़ी रहीं अनिता भारती किसी मिसाल से कम नहीं - Anita Bharti became a mission for women

कोरोना काल में भी घर और परिजनों की फिक्र छोड़ दिन-रात काम करके महिलाओं के लिए अनिता भारती उदाहरण बनी. कोरोना काल में ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती ने स्वास्थ्य से जुडे़ 900 जगहों पर विजिट, 50 दवा कंपनियों और 40 हॉस्पिटल सहित 200 से ज्यादा छोटे क्लीनिक पर व्यवस्थाओं को सुधारा है. युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाने के लिए उन्होंने लीड से हटकर काम करते हुए चार लोगों के खिलाफ एफआईआर करके उनको जेल भिजवाने का काम भी किया.

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देहरादून
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Published : Mar 8, 2021, 7:41 PM IST

देहरादूनः समाज अब पुरानी सोच को छोड़कर महिलाओं को साथ लेकर चलने लगा है. महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वो हर काम कर रही हैं. जिसको लेकर हमारे समाज में यह चर्चा आम थी कि ये काम महिलाओं के लिए नहीं बना है. आज पूरे देश ने महिला दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाया. ऐसे में हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने काम से ना केवल स्वास्थ्य महकमे में एक अलग पहचान बनाई. बल्कि खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वह ठीक होकर अपने कार्य के प्रति एक सजग होकर काम पर डटी रहीं. ये बात अलग है कि इस दौरान वह अपने बच्चे और परिवार को समय नहीं दे पाईं. लेकिन उन्हें इस बात का इसलिए भी मलाल नहीं है. क्योंकि जिस वक्त समाज को उनकी जरूरत थी, वह मैदान में उतरकर एक योद्धा की तरह इस कोरोना महामारी से लड़ रही थीं.

कोरोना काल में हर एक स्वास्थ्यकर्मी ने शानदार काम किया है. प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री डॉक्टर, नर्स और तमाम स्वास्थ्य विभाग से जुड़े स्टाफ की तारीफ कर रहे हैं. स्वास्थ्य महकमे से ही जुड़ी ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती भी इस संकट काल में परिवार को समय ना देकर अपनी ड्यूटी पर हर समय दिन-रात खड़ी रहीं. अनिता भारती के कार्यशैली का इसी से पता चलता है कि पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा फील्ड में रहकर उन्होंने मेडिकल माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की. दवा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की और जहां पर अव्यवस्थाएं फैली हुई थी उनको सही करके यह संदेश देने का भी काम किया कि महिलाएं भी अपने कड़े रवैये से बहुत कुछ सजा और सवार सकती हैं.

ये भी पढ़ेंः राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 51 महिला कोरोना वॉरियर्स को किया सम्मानित

ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती ने कोरोना काल में 900 मेडिकल की विजिट, 50 दवा कंपनियों और 40 हॉस्पिटल सहित 200 से ज्यादा छोटे क्लीनिक पर व्यवस्थाओं को सुधारा है. इतना ही नहीं अपनी युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाने के लिए उन्होंने लीड से हटकर काम करते हुए चार लोगों के खिलाफ एफआईआर करके उनको जेल भिजवाने का काम भी किया है. इतना ही नहीं ड्रग इंस्पेक्टर ने ना केवल दिन में बल्कि रात के अंधेरे में भी छापेमारी करके दवाइयों के काले कारोबार का पर्दाफाश किया.

अनिता भारती उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट की रहने वाली हैं. उन्होंने नैनीताल से बीफार्मा किया. इसी पढ़ाई के दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. पिता की मृत्यु के बाद घर वालों ने उनकी शादी डॉ. कपिल देव से की जो मौजूदा समय में सहारनपुर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं.

हमेशा से किताबों की शौकीन अनिता भारती का साल 2010 में लोक सेवा आयोग में चयन हुआ. चयन के बाद औषधि निरीक्षण के पद पर तैनाती हुई. उनकी पहली पोस्टिंग रुद्रप्रयाग और दूसरी पोस्टिंग राजधानी देहरादून के बाद 2019 में उन्होंने हरिद्वार में बतौर ड्रग इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी संभाली. अनिता भारती के दो बच्चे हैं.

अनिता कहती हैं कि समाज को देखना का नजरिया होना चाहिए. फिर समाज आपको वैसा ही दिखेगा जैसा आप देखना चाहते हैं. वह कहती हैं कि मैं भगवान से हमेसा यही प्रार्थना करती हूं कि हर जन्म में मुझे एक बेटी ही बनाए. मुझे कभी भी ये फील नहीं होता है कि मैं एक महिला हूं तो मुझे कमजोर बन कर रहना है. समाज जितना पुरुष का है उतना ही महिलाओं का भी.

देहरादूनः समाज अब पुरानी सोच को छोड़कर महिलाओं को साथ लेकर चलने लगा है. महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वो हर काम कर रही हैं. जिसको लेकर हमारे समाज में यह चर्चा आम थी कि ये काम महिलाओं के लिए नहीं बना है. आज पूरे देश ने महिला दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाया. ऐसे में हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने काम से ना केवल स्वास्थ्य महकमे में एक अलग पहचान बनाई. बल्कि खुद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वह ठीक होकर अपने कार्य के प्रति एक सजग होकर काम पर डटी रहीं. ये बात अलग है कि इस दौरान वह अपने बच्चे और परिवार को समय नहीं दे पाईं. लेकिन उन्हें इस बात का इसलिए भी मलाल नहीं है. क्योंकि जिस वक्त समाज को उनकी जरूरत थी, वह मैदान में उतरकर एक योद्धा की तरह इस कोरोना महामारी से लड़ रही थीं.

कोरोना काल में हर एक स्वास्थ्यकर्मी ने शानदार काम किया है. प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री डॉक्टर, नर्स और तमाम स्वास्थ्य विभाग से जुड़े स्टाफ की तारीफ कर रहे हैं. स्वास्थ्य महकमे से ही जुड़ी ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती भी इस संकट काल में परिवार को समय ना देकर अपनी ड्यूटी पर हर समय दिन-रात खड़ी रहीं. अनिता भारती के कार्यशैली का इसी से पता चलता है कि पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा फील्ड में रहकर उन्होंने मेडिकल माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की. दवा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की और जहां पर अव्यवस्थाएं फैली हुई थी उनको सही करके यह संदेश देने का भी काम किया कि महिलाएं भी अपने कड़े रवैये से बहुत कुछ सजा और सवार सकती हैं.

ये भी पढ़ेंः राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 51 महिला कोरोना वॉरियर्स को किया सम्मानित

ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती ने कोरोना काल में 900 मेडिकल की विजिट, 50 दवा कंपनियों और 40 हॉस्पिटल सहित 200 से ज्यादा छोटे क्लीनिक पर व्यवस्थाओं को सुधारा है. इतना ही नहीं अपनी युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाने के लिए उन्होंने लीड से हटकर काम करते हुए चार लोगों के खिलाफ एफआईआर करके उनको जेल भिजवाने का काम भी किया है. इतना ही नहीं ड्रग इंस्पेक्टर ने ना केवल दिन में बल्कि रात के अंधेरे में भी छापेमारी करके दवाइयों के काले कारोबार का पर्दाफाश किया.

अनिता भारती उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट की रहने वाली हैं. उन्होंने नैनीताल से बीफार्मा किया. इसी पढ़ाई के दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. पिता की मृत्यु के बाद घर वालों ने उनकी शादी डॉ. कपिल देव से की जो मौजूदा समय में सहारनपुर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं.

हमेशा से किताबों की शौकीन अनिता भारती का साल 2010 में लोक सेवा आयोग में चयन हुआ. चयन के बाद औषधि निरीक्षण के पद पर तैनाती हुई. उनकी पहली पोस्टिंग रुद्रप्रयाग और दूसरी पोस्टिंग राजधानी देहरादून के बाद 2019 में उन्होंने हरिद्वार में बतौर ड्रग इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी संभाली. अनिता भारती के दो बच्चे हैं.

अनिता कहती हैं कि समाज को देखना का नजरिया होना चाहिए. फिर समाज आपको वैसा ही दिखेगा जैसा आप देखना चाहते हैं. वह कहती हैं कि मैं भगवान से हमेसा यही प्रार्थना करती हूं कि हर जन्म में मुझे एक बेटी ही बनाए. मुझे कभी भी ये फील नहीं होता है कि मैं एक महिला हूं तो मुझे कमजोर बन कर रहना है. समाज जितना पुरुष का है उतना ही महिलाओं का भी.

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