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उत्तराखंड की जेलों से चल रहा कुख्यात बदमाशों का नेटवर्क, STF के रडार पर कई कारागार

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Published : Nov 2, 2021, 8:33 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 6:18 AM IST

उत्तराखंड की जेलों से आपराधिक नेटवर्क का संचालन नहीं थम रहा है. अल्मोड़ा और पौड़ी की जेलों से अपराधी अपने गैंग का संचालन कर रहे थे. इसपर एसटीएफ ने कार्रवाई की है. वहीं, अब STF के रडार में कई दूसरी जेलें हैं.

STF की कार्रवाई जारी
जेलों से चल रहा अपराधियों का नेटवर्क

देहरादून: उत्तराखंड की जेलों से आपराधिक गतिविधियों का संचालन थमने का नाम नहीं ले रहा है. अल्मोड़ा जेल के बाद पौड़ी कारागार से संचालित होने वाले आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बाद प्रदेश की अधिकांश जेलों में हड़कंप मचा हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की एक के बाद एक छापेमारी है.

कुख्यात अपराधी जेल से चला रहे हैं नेटवर्क: जेलों से आपराधिक नेटवर्क का संचालन होना पुलिस-प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय. क्योंकि जेल में अपराधी को सजा के तौर पर मानसिक सुधार के लिए भेजा जाता है. ऐसे में अगर वहां से ही अपराधिक गतिविधियों का संचालन होता है तो जेल का औचित्य ही खत्म हो जाता है. पौड़ी जेल से कुख्यात नरेंद्र वाल्मीकि के नेटवर्क द्वारा हरिद्वार और देहरादून में अपराधिक गतिविधियों के संचालन से साफ जाहिर होता है कि जेल से कैसे कुख्यात अपराधी बाहर अपने नेटवर्क चला रहे हैं.

जेलों से चल रहा अपराधियों का नेटवर्क

जेल कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा नेटवर्क: एसटीएफ की मानें तो इसकी मुख्य वजह, जेल कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत कर अपराधियों को मोबाइल उपलब्ध कराना है. जिससे अपराधी आसानी से जेल में रहते हुए भी अपने नेटवर्क का संचालन कर रहे हैं. उत्तराखंड जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि उन्होंने अल्मोड़ा और पौड़ी जेल से संचालित होने वाले आपराधिक नेटवर्क को देखते हुए सभी जेल प्रशासन को सख्त हिदायत दी है. जेलों में किसी भी तरह की कोताही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियां की पुनरावृत्ति जेल से ना हो.

कैदियों की विशेष मॉनिटरिंग करने की जरूरत: उत्तराखंड STF एसएसपी का कहना है कि जेलों से मोबाइल सहित अन्य उपकरणों का इस्तेमाल कर आपराधिक नेटवर्क संचालित करने वाले कैदियों की विशेष मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. साथ ही जेल विभाग द्वारा लगातार व्यवस्थाएं अपडेट की जानी चाहिए. इसके अलावा स्थानीय पुलिस से सामंजस्य बनाकर एसटीएफ जेलों से संचालित होने वाले गिरोह को ध्वस्त करने में जुटी हुई है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में महफूस नहीं महिलाएं, 9 महीने में हुईं रेप की 246 घटनाएं

उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि जेल से संचालित अपराधिक गतिविधियां बेहद ही गंभीर विषय है. अपराध करने वाले अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जिस जेल में सजा के तौर पर सुधार के लिए भेजा जाता है, लेकिन वहां मिलीभगत कर मोबाइल सहित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से आपराधिक नेटवर्क संचालित करने की बात सामने आती है. जो काफी चिंता का विषय है.

कुख्यात अपराधियों पर विशेष नजर: उन्होंने कहा कि मामले में सूचना पर एसटीएफ लगातार जेल से संचालित होने वाले अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटी है. वहीं, जेल में बंद कुख्यात अपराधियों पर विशेष नजर रख प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है. मामले में जेल विभाग द्वारा अपराधियों के नेटवर्क पर कार्रवाई का सिलसिला जारी है. उम्मीद है कि भविष्य में जेल से चलने वाले अपराधिक नेटवर्क पर सख्त कदम उठाए जाएंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता परमजीत लांबा को मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, हरिद्वार (रुड़की), उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और सितारगंज सहित कई जेलों में अपराधियों द्वारा जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल, इंटरनेट सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से नेटवर्क संचालित किया जा रहा है. वहीं, हैरान करने वाली बात है कि जेल प्रशासन और स्थानीय पुलिस द्वारा इस मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई अब तक सामने नहीं आई है.

हालांकि, एसटीएफ द्वारा जेलों से चलने वाले अपराधी नेटवर्क को ध्वस्त करने की कार्रवाई प्रभावी रूप से जारी है. उत्तराखंड की कई जेलों में कर्मचारियों से मिलीभगत कर अपराधी अपना नेटवर्क चला रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में एसटीएफ इन नेटवर्क का पर्दाफाश कर इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी कर सकती है.

देहरादून: उत्तराखंड की जेलों से आपराधिक गतिविधियों का संचालन थमने का नाम नहीं ले रहा है. अल्मोड़ा जेल के बाद पौड़ी कारागार से संचालित होने वाले आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बाद प्रदेश की अधिकांश जेलों में हड़कंप मचा हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की एक के बाद एक छापेमारी है.

कुख्यात अपराधी जेल से चला रहे हैं नेटवर्क: जेलों से आपराधिक नेटवर्क का संचालन होना पुलिस-प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय. क्योंकि जेल में अपराधी को सजा के तौर पर मानसिक सुधार के लिए भेजा जाता है. ऐसे में अगर वहां से ही अपराधिक गतिविधियों का संचालन होता है तो जेल का औचित्य ही खत्म हो जाता है. पौड़ी जेल से कुख्यात नरेंद्र वाल्मीकि के नेटवर्क द्वारा हरिद्वार और देहरादून में अपराधिक गतिविधियों के संचालन से साफ जाहिर होता है कि जेल से कैसे कुख्यात अपराधी बाहर अपने नेटवर्क चला रहे हैं.

जेलों से चल रहा अपराधियों का नेटवर्क

जेल कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा नेटवर्क: एसटीएफ की मानें तो इसकी मुख्य वजह, जेल कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत कर अपराधियों को मोबाइल उपलब्ध कराना है. जिससे अपराधी आसानी से जेल में रहते हुए भी अपने नेटवर्क का संचालन कर रहे हैं. उत्तराखंड जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने कहा कि उन्होंने अल्मोड़ा और पौड़ी जेल से संचालित होने वाले आपराधिक नेटवर्क को देखते हुए सभी जेल प्रशासन को सख्त हिदायत दी है. जेलों में किसी भी तरह की कोताही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियां की पुनरावृत्ति जेल से ना हो.

कैदियों की विशेष मॉनिटरिंग करने की जरूरत: उत्तराखंड STF एसएसपी का कहना है कि जेलों से मोबाइल सहित अन्य उपकरणों का इस्तेमाल कर आपराधिक नेटवर्क संचालित करने वाले कैदियों की विशेष मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. साथ ही जेल विभाग द्वारा लगातार व्यवस्थाएं अपडेट की जानी चाहिए. इसके अलावा स्थानीय पुलिस से सामंजस्य बनाकर एसटीएफ जेलों से संचालित होने वाले गिरोह को ध्वस्त करने में जुटी हुई है.

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उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि जेल से संचालित अपराधिक गतिविधियां बेहद ही गंभीर विषय है. अपराध करने वाले अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जिस जेल में सजा के तौर पर सुधार के लिए भेजा जाता है, लेकिन वहां मिलीभगत कर मोबाइल सहित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से आपराधिक नेटवर्क संचालित करने की बात सामने आती है. जो काफी चिंता का विषय है.

कुख्यात अपराधियों पर विशेष नजर: उन्होंने कहा कि मामले में सूचना पर एसटीएफ लगातार जेल से संचालित होने वाले अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटी है. वहीं, जेल में बंद कुख्यात अपराधियों पर विशेष नजर रख प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है. मामले में जेल विभाग द्वारा अपराधियों के नेटवर्क पर कार्रवाई का सिलसिला जारी है. उम्मीद है कि भविष्य में जेल से चलने वाले अपराधिक नेटवर्क पर सख्त कदम उठाए जाएंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता परमजीत लांबा को मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, हरिद्वार (रुड़की), उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और सितारगंज सहित कई जेलों में अपराधियों द्वारा जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल, इंटरनेट सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से नेटवर्क संचालित किया जा रहा है. वहीं, हैरान करने वाली बात है कि जेल प्रशासन और स्थानीय पुलिस द्वारा इस मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई अब तक सामने नहीं आई है.

हालांकि, एसटीएफ द्वारा जेलों से चलने वाले अपराधी नेटवर्क को ध्वस्त करने की कार्रवाई प्रभावी रूप से जारी है. उत्तराखंड की कई जेलों में कर्मचारियों से मिलीभगत कर अपराधी अपना नेटवर्क चला रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में एसटीएफ इन नेटवर्क का पर्दाफाश कर इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी कर सकती है.

Last Updated : Nov 3, 2021, 6:18 AM IST
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