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राज्य आंदोलनकारियों ने त्रिवेंद्र सरकार से जताई नाराजगी, उपेक्षा का लगाया आरोप - उत्तराखंड समाचार

राज्य आंदोलनकारियों ने अपने चिन्हिकरण, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने जैसे तमाम मुद्दों को लेकर एक बैठक आयोजित की. जिसमें आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार पर नारजगी व्यक्त की.

राज्य आंदोलनकारी.
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Published : May 5, 2019, 11:50 PM IST

देहरादून: राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी मांगें पूरी न होने पर राज्य सरकार से नाराजगी जताई है. रविवार को कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर संयुक्त बैठक आयोजित करते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने अपनों मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर मंथन किया.

बता दें कि लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी चिन्हिकरण, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने, दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के साथ-साथ लोकायुक्त कानून बनाने की मांग उठाते आ रहे हैं. लेकिन सरकार ने अभी तक राज्य आंदोलनकारियों की इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया है. राज्य आंदोलनकारियों सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.

राज्य आंदोलनकारियों ने त्रिवेंद्र सरकार से जताई नाराजगी,

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीती 5 फरवरी को राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम आवास कूच किया था. लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी शासन राज्य आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति कोई गंभीर नहीं दिखा रही है. सीएम सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से राज्य आंदोलनकारियों से कोई वार्ता नहीं हुई है.

कुकरेती का कहना कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट द्वारा मध्यस्थता किए जाने के बाद जो बिंदु सामने निकल कर के आए थे. उस पर भी आजतक सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. वहीं, बीते 4.5 साल से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण और पेंशन के मामले लटके हुए है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य गठन के बाद यह पहली सरकार है जो राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही शहीद परिवारों की भी अनदेखी कर रही है.

वहीं, इसस बैठक के दौरान राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से खासे नाराज नजर आए. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री अब भी उनकी मांगों को अनसुना करते हैं तो वह प्रधानमंत्री मोदी या विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास जाने में भी पीछे नहीं हटेंगे. साथ ही वह तमाम लोकतांत्रिक हथकंडे अपनाकर अपनी मांगों के निस्तारण की तैयारी कर रहे हैं.

देहरादून: राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी मांगें पूरी न होने पर राज्य सरकार से नाराजगी जताई है. रविवार को कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर संयुक्त बैठक आयोजित करते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने अपनों मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर मंथन किया.

बता दें कि लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी चिन्हिकरण, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने, दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के साथ-साथ लोकायुक्त कानून बनाने की मांग उठाते आ रहे हैं. लेकिन सरकार ने अभी तक राज्य आंदोलनकारियों की इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया है. राज्य आंदोलनकारियों सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.

राज्य आंदोलनकारियों ने त्रिवेंद्र सरकार से जताई नाराजगी,

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीती 5 फरवरी को राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम आवास कूच किया था. लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी शासन राज्य आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति कोई गंभीर नहीं दिखा रही है. सीएम सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से राज्य आंदोलनकारियों से कोई वार्ता नहीं हुई है.

कुकरेती का कहना कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट द्वारा मध्यस्थता किए जाने के बाद जो बिंदु सामने निकल कर के आए थे. उस पर भी आजतक सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. वहीं, बीते 4.5 साल से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण और पेंशन के मामले लटके हुए है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य गठन के बाद यह पहली सरकार है जो राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही शहीद परिवारों की भी अनदेखी कर रही है.

वहीं, इसस बैठक के दौरान राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से खासे नाराज नजर आए. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री अब भी उनकी मांगों को अनसुना करते हैं तो वह प्रधानमंत्री मोदी या विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास जाने में भी पीछे नहीं हटेंगे. साथ ही वह तमाम लोकतांत्रिक हथकंडे अपनाकर अपनी मांगों के निस्तारण की तैयारी कर रहे हैं.

Intro:राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी विभिन्न मांगों के पूरा ना होने पर सरकार से नाराजगी जताई है। कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर संयुक्त बैठक आयोजित करते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने मांगों के संदर्भ मे अग्रिम रणनीति पर मंथन किया,


Body:राज आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने बताया कि बीते लंबे समय से राज्य चिन्हिकरण, गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने, दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के साथ ही लोकायुक्त कानून बनाने की मांग उठाते आ रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार जिस प्रकार से राज्य के आंदोलनकारियों की उपेक्षा कर रही है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बीती 5 फरवरी को राज्य आंदोलनकारी ने सीएम आवास कूच किया था लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी शासन राज्य आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। प्रदेश के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से राज्य आंदोलनकारियों के साथ वार्ता किए जाने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट द्वारा मध्यस्थता किए जाने के बाद जो बिंदु सामने निकल कर के आए थे उस पर भी अभी तक संज्ञान नहीं लिया गया। साढे 4 साल से चिन्हिकरण के मामले लटके पड़े हैं पेंशनो के मामले भी लंबित पड़े हुए हैं ,लोकायुक्त ,राजधानी गैरसैंण का मामला भी लटका पड़ा है। उन्होंने कहा कि बैठक मे बीते 4 महीनों की समीक्षा करते हुए आगामी रणनीति पर विचार किया गया सात ही तय किया गया कि किस प्रकार का दृष्टिकोण रखते हुए प्रदेश के सीएम को मांगों के संदर्भ मे समझाया जाये। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य गठन के बाद यह पहली सरकार है जो राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही शहीद परिवारों की भी अनदेखी कर रही है।


बाईट- प्रदीप कुकरेती, अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच


Conclusion:बैठक के दौरान राज्य आंदोलनकारी मांगों को लेकर सरकार से खासे नाराज नजर आए । बैठक में तय किया गया कि अगर मुख्यमंत्री राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को अनसुना करते हैं तो राज्य आंदोलनकारी प्रधानमंत्री मोदी या विपक्ष के राहुल गांधी के पास जाने में भी पीछे नहीं हटेंगे। राज्य आंदोलनकारी मांगों के निस्तारण के लिये तमाम लोकतांत्रिक हथकंडे अपनाने की तैयारी कर रहे हैं।
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