देहरादून: राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी मांगें पूरी न होने पर राज्य सरकार से नाराजगी जताई है. रविवार को कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पर संयुक्त बैठक आयोजित करते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने अपनों मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर मंथन किया.
बता दें कि लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी चिन्हिकरण, गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने, दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के साथ-साथ लोकायुक्त कानून बनाने की मांग उठाते आ रहे हैं. लेकिन सरकार ने अभी तक राज्य आंदोलनकारियों की इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया है. राज्य आंदोलनकारियों सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीती 5 फरवरी को राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम आवास कूच किया था. लेकिन 3 महीने बीत जाने के बाद भी शासन राज्य आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति कोई गंभीर नहीं दिखा रही है. सीएम सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरफ से राज्य आंदोलनकारियों से कोई वार्ता नहीं हुई है.
कुकरेती का कहना कि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट द्वारा मध्यस्थता किए जाने के बाद जो बिंदु सामने निकल कर के आए थे. उस पर भी आजतक सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया है. वहीं, बीते 4.5 साल से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण और पेंशन के मामले लटके हुए है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य गठन के बाद यह पहली सरकार है जो राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही शहीद परिवारों की भी अनदेखी कर रही है.
वहीं, इसस बैठक के दौरान राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से खासे नाराज नजर आए. राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री अब भी उनकी मांगों को अनसुना करते हैं तो वह प्रधानमंत्री मोदी या विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास जाने में भी पीछे नहीं हटेंगे. साथ ही वह तमाम लोकतांत्रिक हथकंडे अपनाकर अपनी मांगों के निस्तारण की तैयारी कर रहे हैं.