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राष्ट्रीय योजनाओं में कर्मचारियों की कमी बनी बाधा, लक्ष्यों को पूरा करना बड़ी चुनौती

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए सबसे बड़ी अड़चन कर्मचारियों की कमी दिखाई दे रही है. देहरादून में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि तमाम स्तरों पर सीएचसी, पीएचसी और तमाम दूसरे सेंटर्स में कर्मचारियों की भारी कमी है.

राष्ट्रीय योजनाओं में कर्मचारियों की कमी बनी बाधा
राष्ट्रीय योजनाओं में कर्मचारियों की कमी बनी बाधा
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Published : Mar 26, 2021, 7:14 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र द्वारा कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में कर्मचारियों की कमी ने कार्यक्रमों के लक्ष्य प्राप्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि कोविड-19 से जूझते स्वास्थ्य विभाग ने इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों की गति में तेजी लाने के लिए प्रयास कर रहा हैं.

राष्ट्रीय योजनाओं में कर्मचारियों की कमी बनी बाधा

भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत 2013 में की और इसमें एक मिशन के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और शहरी स्वास्थ्य मिशन को जोड़ा गया, खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय मिशन के जरिए आम लोगों के स्वास्थ्य में सुधार की कोशिश की जा रही है. सबसे पहले जानिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य

  1. शिशु मृत्यु दर को कम करना है और इसके लिए सुनिश्चित टीकाकरण करना है.
  2. मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के लिए टीकाकरण और जागरूकता फैलाना.
  3. टीवी से जुड़े कार्यक्रमों को आगे बढ़ानाट
  4. कुष्ठ रोग पर नियंत्रण के लिए सभी जिला स्तर पर दिए गए लक्ष्य को पूरा करना.
  5. मलेरिया पर भी कार्यक्रम को आगे बढ़ा कर टीकाकरण के काम को करना.
  6. संक्रमण और गैर संक्रमण रोगों के लिए केंद्र की गाइडलाइन और निर्देशों के लिहाज से लोगों को जागरूक करना और जरूरी टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाना.
  7. महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम और नियंत्रण पर काम करना.
  8. प्रजनन की दर को 2.1 पर लाना.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए सबसे बड़ी अड़चन कर्मचारियों की कमी दिखाई दे रही है. देहरादून में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि तमाम स्तरों पर सीएचसी, पीएचसी और तमाम दूसरे सेंटर्स में कर्मचारियों की भारी कमी है. इसका राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर सीधा असर पड़ रहा है. खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य से जुड़े तमाम तकनीकी जानकार और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमण की रोकथाम में लगे हैं. ऐसे में राष्ट्रीय कार्यक्रमों में और भी दिक्कतें आ रही हैं. कई कार्यक्रम तो पिछले लंबे समय तक बंद भी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कुंभ व्यवस्थाओं को लेकर डीएम ने ऋषिकेश का किया निरीक्षण, कोरोना संक्रमण को देखते हुए दिए निर्देश

ऐसे में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनेश चौहान ने समीक्षा बैठक में मौजूद कर्मियों को निर्देशित करते हुए केंद्र पोषित स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही. साथ ही फील्ड कर्मियों और अधिकारियों को लगातार भौतिक मूल्यांकन करने के लिए विजिट करने के लिए भी कहा. सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी ने जन स्वास्थ्य कार्यक्रम प्राथमिकता के तौर पर रखने की बात कही और इसके क्रियान्वयन में लापरवाही करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही.

कर्मचारियों की कमी के बावजूद भी लगातार फील्ड में बेहतर काम करने वालों को प्रोत्साहित करने की तैयारी की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में कर्मियों की कमी के कारण आ रही दिक्कतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने का तरीका निकाला है. साथ ही लापरवाह कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही का भी खाका तैयार किया जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र द्वारा कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में कर्मचारियों की कमी ने कार्यक्रमों के लक्ष्य प्राप्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि कोविड-19 से जूझते स्वास्थ्य विभाग ने इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों की गति में तेजी लाने के लिए प्रयास कर रहा हैं.

राष्ट्रीय योजनाओं में कर्मचारियों की कमी बनी बाधा

भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत 2013 में की और इसमें एक मिशन के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और शहरी स्वास्थ्य मिशन को जोड़ा गया, खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय मिशन के जरिए आम लोगों के स्वास्थ्य में सुधार की कोशिश की जा रही है. सबसे पहले जानिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य

  1. शिशु मृत्यु दर को कम करना है और इसके लिए सुनिश्चित टीकाकरण करना है.
  2. मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के लिए टीकाकरण और जागरूकता फैलाना.
  3. टीवी से जुड़े कार्यक्रमों को आगे बढ़ानाट
  4. कुष्ठ रोग पर नियंत्रण के लिए सभी जिला स्तर पर दिए गए लक्ष्य को पूरा करना.
  5. मलेरिया पर भी कार्यक्रम को आगे बढ़ा कर टीकाकरण के काम को करना.
  6. संक्रमण और गैर संक्रमण रोगों के लिए केंद्र की गाइडलाइन और निर्देशों के लिहाज से लोगों को जागरूक करना और जरूरी टीकाकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाना.
  7. महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम और नियंत्रण पर काम करना.
  8. प्रजनन की दर को 2.1 पर लाना.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए सबसे बड़ी अड़चन कर्मचारियों की कमी दिखाई दे रही है. देहरादून में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि तमाम स्तरों पर सीएचसी, पीएचसी और तमाम दूसरे सेंटर्स में कर्मचारियों की भारी कमी है. इसका राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर सीधा असर पड़ रहा है. खास बात यह है कि कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य से जुड़े तमाम तकनीकी जानकार और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमण की रोकथाम में लगे हैं. ऐसे में राष्ट्रीय कार्यक्रमों में और भी दिक्कतें आ रही हैं. कई कार्यक्रम तो पिछले लंबे समय तक बंद भी रहे हैं.

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ऐसे में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनेश चौहान ने समीक्षा बैठक में मौजूद कर्मियों को निर्देशित करते हुए केंद्र पोषित स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही. साथ ही फील्ड कर्मियों और अधिकारियों को लगातार भौतिक मूल्यांकन करने के लिए विजिट करने के लिए भी कहा. सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी ने जन स्वास्थ्य कार्यक्रम प्राथमिकता के तौर पर रखने की बात कही और इसके क्रियान्वयन में लापरवाही करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही.

कर्मचारियों की कमी के बावजूद भी लगातार फील्ड में बेहतर काम करने वालों को प्रोत्साहित करने की तैयारी की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में कर्मियों की कमी के कारण आ रही दिक्कतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने का तरीका निकाला है. साथ ही लापरवाह कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही का भी खाका तैयार किया जा रहा है.

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