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कैसा रहा त्रिवेंद्र सरकार का 2 साल का कार्यकाल, देखिए खास रिपोर्ट - राजनीतिक न्यूज

त्रिवेंद्र सरकार कार्यकाल के दौरान अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को आगामी लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी. ऐसे में इन दो सालों में सूबे की जनता को क्या-क्या मिला और कैसा रहा त्रिवेंद्र सरकार का कार्यकाल.

सीएम त्रिवेंद्र कार्यकाल के 2 साल.
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Published : Mar 11, 2019, 8:09 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार 18 मार्च को अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है. इस कार्यकाल के दौरान अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को सरकार आगामी लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी. ऐसे में इन दो सालों में सूबे की जनता को क्या-क्या मिला और कैसा रहा त्रिवेंद्र सरकार का कार्यकाल, देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.. .

सीएम त्रिवेंद्र कार्यकाल के 2 साल.

1- इन्वेस्टर समिट
प्रदेश में मौजूदा त्रिवेन्द्र सरकार की इन 2 सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो प्रदेश में इन्वेस्टर समिट की बड़ी तस्वीर जनता को दिखाई गई. इस समिट में सरकार ने राज्य में 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा के इन्वेस्टमेंट की बात कही है, जिसका फीडबैक आना अभी बाकी है.
वहीं, 5 माह के फीडबैक की बात करें तो इन्वेस्टर समिट को लेकर सरकार ने अब तक 13 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुकी है. प्रदेश में रोप-वे निर्माण और हरिद्वार सिडकुल क्षेत्र में कुछ प्रोजेक्टस पर कार्य चल रहा है. हालांकि, सरकार के इस इन्वेस्टर समिट से सूबे में कितना रोजगार सृजित हुआ है. इसका आंकड़ा भी सरकार नहीं जुटा पाई है.

2- आयुष्मान योजना
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे बड़ी योजना की बात करें तो आयुष्मान भारत योजना का नाम सामने आता है. इस योजना को प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम से धरातल पर उतारा. इसके साथ ही 2 सालों में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी डॉक्टरों की तैनाती के अलावा अन्य उपलब्धियां भी गिनाती आई है. लेकिन, पिछले वर्ष 2018 के आखिरी माह में केंद्र द्वारा लॉन्च की गई आयुष्मान योजना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का पूरा फोकस रहा है.
हालांकि, आयुष्मान योजना के 2 महीने बाद भी सरकार के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है. साथ ही कितने लोग इस योजना से लाभांवित हुए हैं. इसका भी कोई आंकड़ा नहीं आया है. हालांकि,आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अधिकृत अस्पतालों पर भी सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं.

3- होम स्टे (13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन)
उत्तराखंड में रोजगार और शिक्षा को देखते हुए पलायन हमेशा से एक बड़ी समस्या बनी रही है. पिछले कुछ सालों में बंजर होते गांव भी उत्तराखंड के अस्तित्व पर खतरा बनने लगे हैं. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार ने पलायन आयोग का गठन कर अन्य कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की, जिसको पर्यटन से जोड़ने के उद्देश्य से होमस्टे नाम से उत्तराखंड के गांव तक पहुंचाने की योजना सरकार द्वारा लाई गई.
वहीं, प्रदेश सरकार की 'होम स्टे योजना' नियम और कानून की भेंट चढ़ती दिख रही है. जिसके चलते ये योजना धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रही है. साथ ही 2 साल बाद भी त्रिवेंद्र सरकार पूरे कॉन्फिडेंस के साथ होमस्टे के अंतर्गत किसी नए प्रोजेक्ट या गेस्ट हाउस की जानकारी देने में भी असमर्थ है. यही कारण है कि इस योजना का लाभ सूबे की जनता को नहीं मिल पाया है.

4- सौभाग्य योजना
केंद्र सरकार द्वारा घर-घर बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से सौभाग्य योजना को धरातल क्षेत्र पर उतारा गया, जिसको काफी हद तक पूरे देश में सफल बनाया गया है. मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि पूरे देश में उत्तराखंड ऐसा तीसरा राज्य था. जिसने सौभाग्य योजना के अंतर्गत सबसे पहले अपने लक्ष्यों को पूरा किया. साथ ही प्रदेश के कोने-कोने में सौभाग्य योजना के तहत घरों को रोशन कर दिया गया है.
सरकार की सौभाग्य योजना की बात करें तो प्रदेश में इस योजना के काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. इस योजना के तहत प्रदेश के कई क्षेत्रों में पहली बार रौशनी पहुंची. साथ ही इस योजना के तहत राज्य सरकार ने अपने लक्ष्यों को पूरा किया है.

5- कनेक्टिविटी (ऑल वेदर रोड, एअर कनेक्टिविटी, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल कनेक्टिविटी)
प्रदेश में कनेक्टिविटी को लेकर बात करें तो पिछले 2 सालों में काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. ऑल वेदर रोड निर्माण, हवाई कनेक्टिविटी, रेल कनेक्टिविटी के साथ प्रदेश को यातायात के संसाधनों से जोड़ा गया है. इसके साथ ही ऑल वेदर रोड निर्माण में पर्यावरणविद और NGT के विरोध के बाद भी केंद्र सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर बिना किसी रुकावट के काम चलता रहा.

जबकि, देखा जाए तो प्रदेश में ऑल वेदर रोड, हवाई कनेक्टिविटी और रेल कनेक्टिविटी काफी मजबूत हुई है. प्रदेश में नई उड़ान योजनाओं की शुरूआत करके निश्चित तौर पर लोगों को लाभ मिल रहा है. साथ ही रेलवे स्तर पर भी प्रदेश में काफी बदलाव किया गया. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन भी शुरुआत होने वाली है, जिसके लिए जनता को काफी इंतजार करना होगा.

बहरहाल, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर अपने दो साल का रिपोर्ट कार्ड के साथ त्रिवेंद्र सरकार चुनाव मैदान में उतरने वाली है. ऐसे में प्रदेश की जनता को ही ये तय करना है कि सबका साथ और सबका विकास के नारे को राज्य सरकार इन दो सालों में कितना धरातल पर उतार पाई है.

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार 18 मार्च को अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है. इस कार्यकाल के दौरान अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को सरकार आगामी लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी. ऐसे में इन दो सालों में सूबे की जनता को क्या-क्या मिला और कैसा रहा त्रिवेंद्र सरकार का कार्यकाल, देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.. .

सीएम त्रिवेंद्र कार्यकाल के 2 साल.

1- इन्वेस्टर समिट
प्रदेश में मौजूदा त्रिवेन्द्र सरकार की इन 2 सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो प्रदेश में इन्वेस्टर समिट की बड़ी तस्वीर जनता को दिखाई गई. इस समिट में सरकार ने राज्य में 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा के इन्वेस्टमेंट की बात कही है, जिसका फीडबैक आना अभी बाकी है.
वहीं, 5 माह के फीडबैक की बात करें तो इन्वेस्टर समिट को लेकर सरकार ने अब तक 13 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुकी है. प्रदेश में रोप-वे निर्माण और हरिद्वार सिडकुल क्षेत्र में कुछ प्रोजेक्टस पर कार्य चल रहा है. हालांकि, सरकार के इस इन्वेस्टर समिट से सूबे में कितना रोजगार सृजित हुआ है. इसका आंकड़ा भी सरकार नहीं जुटा पाई है.

2- आयुष्मान योजना
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे बड़ी योजना की बात करें तो आयुष्मान भारत योजना का नाम सामने आता है. इस योजना को प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम से धरातल पर उतारा. इसके साथ ही 2 सालों में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी डॉक्टरों की तैनाती के अलावा अन्य उपलब्धियां भी गिनाती आई है. लेकिन, पिछले वर्ष 2018 के आखिरी माह में केंद्र द्वारा लॉन्च की गई आयुष्मान योजना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का पूरा फोकस रहा है.
हालांकि, आयुष्मान योजना के 2 महीने बाद भी सरकार के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है. साथ ही कितने लोग इस योजना से लाभांवित हुए हैं. इसका भी कोई आंकड़ा नहीं आया है. हालांकि,आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अधिकृत अस्पतालों पर भी सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं.

3- होम स्टे (13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन)
उत्तराखंड में रोजगार और शिक्षा को देखते हुए पलायन हमेशा से एक बड़ी समस्या बनी रही है. पिछले कुछ सालों में बंजर होते गांव भी उत्तराखंड के अस्तित्व पर खतरा बनने लगे हैं. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार ने पलायन आयोग का गठन कर अन्य कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की, जिसको पर्यटन से जोड़ने के उद्देश्य से होमस्टे नाम से उत्तराखंड के गांव तक पहुंचाने की योजना सरकार द्वारा लाई गई.
वहीं, प्रदेश सरकार की 'होम स्टे योजना' नियम और कानून की भेंट चढ़ती दिख रही है. जिसके चलते ये योजना धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रही है. साथ ही 2 साल बाद भी त्रिवेंद्र सरकार पूरे कॉन्फिडेंस के साथ होमस्टे के अंतर्गत किसी नए प्रोजेक्ट या गेस्ट हाउस की जानकारी देने में भी असमर्थ है. यही कारण है कि इस योजना का लाभ सूबे की जनता को नहीं मिल पाया है.

4- सौभाग्य योजना
केंद्र सरकार द्वारा घर-घर बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से सौभाग्य योजना को धरातल क्षेत्र पर उतारा गया, जिसको काफी हद तक पूरे देश में सफल बनाया गया है. मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि पूरे देश में उत्तराखंड ऐसा तीसरा राज्य था. जिसने सौभाग्य योजना के अंतर्गत सबसे पहले अपने लक्ष्यों को पूरा किया. साथ ही प्रदेश के कोने-कोने में सौभाग्य योजना के तहत घरों को रोशन कर दिया गया है.
सरकार की सौभाग्य योजना की बात करें तो प्रदेश में इस योजना के काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. इस योजना के तहत प्रदेश के कई क्षेत्रों में पहली बार रौशनी पहुंची. साथ ही इस योजना के तहत राज्य सरकार ने अपने लक्ष्यों को पूरा किया है.

5- कनेक्टिविटी (ऑल वेदर रोड, एअर कनेक्टिविटी, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल कनेक्टिविटी)
प्रदेश में कनेक्टिविटी को लेकर बात करें तो पिछले 2 सालों में काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. ऑल वेदर रोड निर्माण, हवाई कनेक्टिविटी, रेल कनेक्टिविटी के साथ प्रदेश को यातायात के संसाधनों से जोड़ा गया है. इसके साथ ही ऑल वेदर रोड निर्माण में पर्यावरणविद और NGT के विरोध के बाद भी केंद्र सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर बिना किसी रुकावट के काम चलता रहा.

जबकि, देखा जाए तो प्रदेश में ऑल वेदर रोड, हवाई कनेक्टिविटी और रेल कनेक्टिविटी काफी मजबूत हुई है. प्रदेश में नई उड़ान योजनाओं की शुरूआत करके निश्चित तौर पर लोगों को लाभ मिल रहा है. साथ ही रेलवे स्तर पर भी प्रदेश में काफी बदलाव किया गया. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन भी शुरुआत होने वाली है, जिसके लिए जनता को काफी इंतजार करना होगा.

बहरहाल, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर अपने दो साल का रिपोर्ट कार्ड के साथ त्रिवेंद्र सरकार चुनाव मैदान में उतरने वाली है. ऐसे में प्रदेश की जनता को ही ये तय करना है कि सबका साथ और सबका विकास के नारे को राज्य सरकार इन दो सालों में कितना धरातल पर उतार पाई है.

Intro:एंकर- आगामी 18 मार्च को उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के 2 साल पूरे होने जा रहे हैं और इन दो सालों के आउटपुट के आधार पर ही सरकार अब लोक सभा चुनावों के लिए जनता के बीच जाएगी तो आइए जानते हैं सरकार ने इन दो सालों में किस पर ज्यादा फोकस किया और क्या उसकी आज स्थिति है।


Body:जल्द ही पूरे देश मे लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लगने वाली है और जल्द ही बड़े बड़े नेता जनता के बीच वोट मांगते नजर आएंगे वहीं उत्तराखंड में इसके साथ ही 18 मार्च को सरकार के 2 साल पूरे हो जाएंगे ऐसे में सरकार के अब तक के परफॉर्मेंस का आंकलन इस वक्त करना भी इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इसी के आधार पर जनता अपना अपना वोट डालेगी। तो आइये नजर डालते हैं बीजेपी सरकार के खास उपलब्धियों पर----

1- इन्वेस्टर समिट--
मौजूदा त्रिवेन्द्र सरकार में इन्वेस्टर समिट के नाम पर सबसे बड़ी तस्वीर प्रदेश के लोगों को दिखाई गई और 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा के इन्वेस्टमेंट की बात सरकार द्वारा की गई, हालांकि इसकी असल तस्वीर अभी देखना बाकी है। इन्वेस्टर समिट को लेकर अब तक 5 महीनों का जो फीडबैक सरकार ने दिया है उसके तहत अब तक 4 से 5 महीनों में 13 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट काम शुरू हो चुका है। जिसमे रोपवे और हरिद्वार सिडकुल क्षेत्र में कुछ प्रोजेक्टस की जानकारी सरकार ने दी है। हालांकि इस से रोजगार के क्षेत्र में क्या हासिल हुआ है इसका आंकड़ा अभी सरकार नही जुटा पायी है।

2- आयुष्मान योजना
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य के क्षेत्र में खेला गया सबसे बड़ा दाव आयुष्मान भारत योजना है और इसे उत्तराखंड में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम से धरातल पर उतारकर प्रदेश ने एक अलग पोलेटिकल माइलेज की उम्मीद के साथ उतारा है। वहीं अगर बात करें पिछले 2 सालों में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार डॉक्टरों की तैनाती के अलावा अन्य उपलब्धियां भी गिनाती आयी है। लेकिन पिछले वर्ष 2018 के आखिरी में केंद्र द्वारा लॉन्च की गई आयुष्मान योजना के बाद स्वास्थ्य में सरकार का पूरा फोकस इस योजना को धरातल पर उतारने पर शिफ्ट हो गया है। हालांकि अभी तक 2 महीनों के बाद भी सरकार के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है कि कितने लोगों को इससे लाभ पहुंचाया गया है। वहीं अगर बात करें आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अधिकृत अस्पतालों की तो समय-समय पर अस्पतालों पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं। वही आयुष्मान योजना को लेकर आम लोगों को भी उतना लाभ नहीं मिल पाया है।


3- होम स्टे, 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन
उत्तराखंड में पलायन हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है और पिछले कुछ सालों में बंजर होते गांव भी उत्तराखंड के अस्तित्व को पर खतरा बनने लगे हैं थे जिसके बाद सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने पलायन आयोग का गठन कर अन्य कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की जिसमें घोस्ट प्लेज को खत्म करने और पर्यटन से जोड़ने के उद्देश्य से होमस्टे नाम से पर्यटकों को उत्तराखंड के गांव तक पहुंचाने की योजना सरकार द्वारा लाई गई जो कि लाते ही औंधे मुंह गिर पड़ी और सरकार द्वारा लाई गई इस योजना के आड़े सरकार के ही बनाए गए कई ऐसे नियम कानून आ गए योजना को धरातल पर उतारने में मुश्किल पैदा करने लगे। आज 2 साल बाद भी सरकार पूरे कॉन्फिडेंस के साथ होमस्टे के अंतर्गत किसी नए प्रोजेक्ट या गेस्ट हाउस की जानकारी देने में असमर्थ है। यही हाल 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन योजना का है। सरकार शासन भले ही कितना ही कह लें की इन योजनाओं पर काम चल रहा है लेकिन आवाम को वही समझ में आता है जो दिखता है और इन योजनाओं के संबंध में अभी धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।

4- सौभाग्य योजना----
केंद्र द्वारा घर-घर बिजली पहुंचाने के उद्देश्य से उतारी गई सौभाग्य योजना हालांकि काफी समय पूरे देश में अपने लक्ष्यों को पूरा कर दिया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि पूरे देश में उत्तराखंड ऐसा तीसरा राज्य था जिसने सौभाग्य योजना के अंतर्गत सबसे पहले अपने लक्ष्यों को पूरा किया था उन्होंने बताया कि आज उत्तराखंड के कोने कोने में सौभाग्य योजना के तहत घरों को रोशन कर दिया गया है।


5- कनेक्टिविटी (ऑल वेदर रोड़, एअर कनेक्टिविटी, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल कनेक्टिविटी)----
इस बात में कोई शक नहीं है कि प्रदेश में कनेक्टिविटी को लेकर पिछले 2 सालों में युद्ध स्तर पर काम हुआ है। ऑल वेदर रोड की बात करें तो भले ही पर्यावरण विद और एनजीटी के विरोध के बाद भी केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड पर बिना किसी रूकावट के काम चलता रहा और इसकी बदली हुई तस्वीर आज देखने को भी मिलती है। वहीं इसके अलावा एयर कनेक्टिविटी की बात करें तो उत्तराखंड में सरकारों द्वारा नई उड़ान योजनाएं शुरू की गई जिसका निश्चित तौर से लोगों को लाभ मिल रहा है। इसके अलावा अगर ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन की बात करें तो इस पर भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा है हालांकि इसके लिए अभी काफ़ी इंतजार करना होगा।




Conclusion:फाइनल वीओ- कुल मिलाकर अगर देखे तो इन्वेस्टर सम्मिट में उपलब्धि के नाम पर दिखाने के लिए सरकार के पास आंकड़े तो हैं लेकिन रोजगार कितने लोगों को मिला है यह अभी तक साफ नहीं हुआ है। होमस्टे और 30 डेस्टिनेशन योजना पर बात करके खुद की किरकिरी कराने से ज्यादा सरकार को कुछ हासिल नहीं होने वाला हालांकि आयुष्मान भारत योजना की बात करें तो कुछ हद तक लोगों में इसके प्रति सकारात्मक रुख तो है, लेकिन आंकड़े यहां भी नहीं है। सौभाग्य योजना में क्या कुछ हुआ कि लोग जानने में इसलिए रुचि नहीं रखने वाले क्योंकि सूबे के एक बड़े हिस्से में पहले से ही बिजली मौजूद थी, हां जिन हिस्सों में इस योजना का फायदा मिला है वहां के लोग जरूर इसे सराहेंगे और अंत में कनेक्टिविटी को लेकर बात करें तो निश्चित तौर से इस क्षेत्र में काम हुआ है और दिख भी रहा है । बहरहाल सरकार के इन 2 सालों में कितने काम हुए हैं और उनका सरोकार आवाम से कितना हुआ है यह आकलन आपको भी करना होगा।

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