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खुशखबरी: नेशनल पार्कों में अब आप कर सकेंगे ड्रोन से शूटिंग, जल्द बदलेगा नियम - उत्तराखंड की खबर

उत्तराखंड के नेशनल पार्कों का सौंदर्य अब ड्रोन की नजरों से भी देखा जा सकेगा. वन विभाग ने राष्ट्रीय पार्कों में ड्रोन से वीडियोग्राफी के लिए मंजूरी देने का मन बना लिया है. जल्द ही शासन स्तर पर इसके लिए दरें भी तय की जाएंगी.

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ड्रोन से होगी शूटिंग
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Published : Jan 9, 2020, 1:46 PM IST

Updated : Jan 9, 2020, 2:51 PM IST

देहरादून: खूबसूरत वादियों में प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा ड्रोन की नजरों से और भी आकर्षक बन जाता है. खासकर राज्य के ऐसे क्षेत्रों में जहां घने जंगल, वन्यजीव और खूबसूरत पहाड़ों समेत झील जैसे प्राकृतिक संपदा एक साथ मौजूद हों. दरअसल यह खासियतें प्रदेश के नेशनल पार्को में मौजूद तो हैं लेकिन अब तक यहां ड्रोन से वीडियोग्राफी करने की इजाजत लेना बेहद मुश्किल था. लेकिन अब वन विभाग ने राष्ट्रीय पार्कों में ड्रोन से वीडियोग्राफी के लिए मंजूरी देने का मन बना लिया है. जल्द ही शासन स्तर पर इसके लिए दरें भी तय की जाएंगी.

नेशनल पार्कों में अब आप कर सकेंगे ड्रोन से शूटिंग.

उत्तराखंड में 6 नेशनल पार्क और 7 अभयारण्य

1936 में स्थापित कार्बेट राष्ट्रीय पार्क दुनियाभर में बाघों की संख्या को लेकर मशहूर है. उत्तरकाशी जिले में 1980 में स्थापित गोविंद राष्ट्रीय उद्यान जहां भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ और मोनाल जैसे पशु-पक्षी मौजूद हैं. नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान जोकि चमोली जिले में 1982 से स्थापित है. यहां भी दुर्लभ प्रजाति के जीव मौजूद हैं. फूलों की घाटी जिसे 2005 में विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल किया गया. 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. जहां 250 से भी ज्यादा किस्मों के फूलों हैं. राजाजी राष्ट्रीय पार्क जिसकी स्थापना 1983 में हुई, यहां हाथी और बाघों की बेहद ज्यादा संख्या है. गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान जो 1989 में स्थापित हुआ. यहां कई तरह की वनस्पतियों और दुर्लभ प्रजाति के जीवों की मौजूदगी है.

ये भी पढ़े: उत्तराखंडः फरार ISIS के आतंकियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, नेपाल बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन तेज

7 वन्यजीव विहार में गोविंद वन्य जीव विहार, केदार वन्य जीव विहार, अस्कोट वन्य जीव विहार, सोना नदी वन्य जीव विहार, बिनसर वन्य जीव विहार, मसूरी वन्य जीव विहार और नंधौर वन्यजीव विहार शामिल हैं.

उत्तराखंड में ड्रोन के जरिए नेशनल पार्क और वन्यजीव विहार में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां दुनियाभर में प्रदेश के राष्ट्रीय पार्कों के खूबसूरत दृश्य को देखा जा सकेगा. वहीं इससे पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा. आपको बता दें कि राज्य में वन्यजीव पर्यटन का शौक रखने वाले 70 प्रतिशत सैलानी कॉर्बेट पार्क आते हैं.

देहरादून: खूबसूरत वादियों में प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा ड्रोन की नजरों से और भी आकर्षक बन जाता है. खासकर राज्य के ऐसे क्षेत्रों में जहां घने जंगल, वन्यजीव और खूबसूरत पहाड़ों समेत झील जैसे प्राकृतिक संपदा एक साथ मौजूद हों. दरअसल यह खासियतें प्रदेश के नेशनल पार्को में मौजूद तो हैं लेकिन अब तक यहां ड्रोन से वीडियोग्राफी करने की इजाजत लेना बेहद मुश्किल था. लेकिन अब वन विभाग ने राष्ट्रीय पार्कों में ड्रोन से वीडियोग्राफी के लिए मंजूरी देने का मन बना लिया है. जल्द ही शासन स्तर पर इसके लिए दरें भी तय की जाएंगी.

नेशनल पार्कों में अब आप कर सकेंगे ड्रोन से शूटिंग.

उत्तराखंड में 6 नेशनल पार्क और 7 अभयारण्य

1936 में स्थापित कार्बेट राष्ट्रीय पार्क दुनियाभर में बाघों की संख्या को लेकर मशहूर है. उत्तरकाशी जिले में 1980 में स्थापित गोविंद राष्ट्रीय उद्यान जहां भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ और मोनाल जैसे पशु-पक्षी मौजूद हैं. नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान जोकि चमोली जिले में 1982 से स्थापित है. यहां भी दुर्लभ प्रजाति के जीव मौजूद हैं. फूलों की घाटी जिसे 2005 में विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल किया गया. 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. जहां 250 से भी ज्यादा किस्मों के फूलों हैं. राजाजी राष्ट्रीय पार्क जिसकी स्थापना 1983 में हुई, यहां हाथी और बाघों की बेहद ज्यादा संख्या है. गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान जो 1989 में स्थापित हुआ. यहां कई तरह की वनस्पतियों और दुर्लभ प्रजाति के जीवों की मौजूदगी है.

ये भी पढ़े: उत्तराखंडः फरार ISIS के आतंकियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, नेपाल बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन तेज

7 वन्यजीव विहार में गोविंद वन्य जीव विहार, केदार वन्य जीव विहार, अस्कोट वन्य जीव विहार, सोना नदी वन्य जीव विहार, बिनसर वन्य जीव विहार, मसूरी वन्य जीव विहार और नंधौर वन्यजीव विहार शामिल हैं.

उत्तराखंड में ड्रोन के जरिए नेशनल पार्क और वन्यजीव विहार में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां दुनियाभर में प्रदेश के राष्ट्रीय पार्कों के खूबसूरत दृश्य को देखा जा सकेगा. वहीं इससे पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा. आपको बता दें कि राज्य में वन्यजीव पर्यटन का शौक रखने वाले 70 प्रतिशत सैलानी कॉर्बेट पार्क आते हैं.

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Summary- उत्तराखंड के नेशनल पार्को का विहंगम सौंदर्य अब ड्रोन की नज़रों से भी देखा जा सकेगा..दरअसल जैव विविधता के लिए दुनियाभर में मशहूर राष्ट्रीय पार्कों में ड्रोन उड़ाने और फोटोग्राफी करने की इजाजत दिए जाने की तैयारी की जा रही है..जिसमे जल्द ही शासन से दरें तय किये जाने की उम्मीद है


Body:खूबसूरत वादियों में प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा ड्रोन की नज़रों से और भी आकर्षक बन जाता है। खासकर राज्य के ऐसे क्षेत्रों में जहां घने जंगल, वन्यजीव और खूबसूरत पहाड़ों समेत घास के मैदान और झील जैसे प्राकृतिक संपदा एक साथ मौजूद हो..दरअसल यह खासियतें प्रदेश के नेशनल पार्को में मौजूद तो है लेकिन अब तक यहां ड्रोन से वीडियोग्राफी करने की इजाजत लेना बेहद मुश्किल था ..लेकिन अब वन विभाग ने राष्ट्रीय पार्कों में ड्रोन से वीडियोग्राफी के लिए मंजूरी देने का मन बना लिया है..और शासन स्तर पर इसके लिए दरें भी तय की जा रही है।


बाईट-राजीव भरतरी, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन


अकेले उत्तराखंड में ही 6 नेशनल पार्क और 7 अभयारण्य है...6 नेशनल पार्क की बात करें तो ...


इसमें 1936 में स्थापित कार्बेट राष्ट्रीय पार्क जो दुनिया भर में बाघों की संख्या को लेकर मशहूर है.. उत्तरकाशी जिले में 1980 में स्थापित गोविंद राष्ट्रीय उद्यान जहां भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेदुआ और मोनाल जैसे पशु-पक्षी मौजूद है। नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान जो कि चमोली में 1982 से स्थापित है..और यहां भी दुर्लभ प्रजाति के जीव मौजूद हैं... फूलों की घाटी जिसे 2005 में विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल किया गया। 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया जहां 250 से भी ज्यादा किस्मों के फूलों के होने की बात कही जाती है।। राजाजी राष्ट्रीय पार्क जिसकी स्थापना 1983 में हुई यहां हाथी और बाघों की बेहद ज्यादा संख्या है। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, जो 1989 में स्थापित हुआ...यहाँ कई तरह की वनस्पतियों और दुर्लभ प्रजाति के जीवो की मौजूदगी है।


7 वन्य जीव विहार में गोविंद वन्य जीव विहार, केदार वन्य जीव विहार, अस्कोट वन्य जीव विहार, सोना नदी वन्य जीव विहार, बिनसर वन्य जीव विहार, मसूरी वन्य जीव विहार और नंधौर वन्य जीव विहार शामिल है।


उत्तराखंड में ड्रोन के जरिए नेशनल पार्क और वन्यजीव विहार में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां दुनिया भर में प्रदेश के राष्ट्रीय पार्कों के खूबसूरत दृश्य को देखा जा सकेगा और इससे पर्यटकों की संख्या भी इजाफा होगा वही रोड की मजदूरी मिलने के बाद राजस्व में भी खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि राज्य में वन्यजीव पर्यटन का शौक रखने वाले 70 प्रतिशत सैलानी कॉर्बेट पार्क में ही आते हैं। साल 2018-19 में करीब 283281 पर्यटक यहाँ पहुंचे... जिनसे पार्क प्रशासन को करीब 86454812 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। 




Conclusion:नवीन उनियाल पीटीसी
Last Updated : Jan 9, 2020, 2:51 PM IST
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