देहरादून: उत्तराखंड शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवें दिन त्रिवेंद्र सरकार ने सदन में पहली कैग रिपोर्ट पेश की. जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे हुए. राजकोषीय घाटा 383 करोड़ से बढ़कर एक हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के बीच तीखी नोक-झोंक भी देखने को मिली.
शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवे दिन से पहले ही हंगामा शुरू हो गया. सत्र शुरू होने से पहले सदन के बाहर कांग्रेसी विधायकों ने धरना देना शुरू कर दिया. सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन के पटल पर पहली कैग रिपोर्ट पेश की. कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंध को लेकर सवाल उठे. कैग रिपोर्ट में पता लगा कि एक साल में राजस्व घाटा 383 करोड़ रुपए से बढ़कर 19 हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है.
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हर साल 4004 करोड़ का करना है भुगतान
कैग ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि सरकार को अगले 10 वर्षों के दौरान के कुल बकाया बाजार ऋण के 26 हजार 662 करोड़ में से 24 हजार 180 करोड़ रुपये चुकाने हैं. जिसमें 15 हजार 863 करोड़ की राशि केवल ब्याज की है. ये राशि औसतन प्रतिवर्ष 4004 करोड़ प्रतिवर्ष है. इस हिसाब से अगले 10 वर्षों में राज्य को प्रतिवर्ष 4004 करोड़ का औसतन भुगतान करना है.
पिछले सत्र से बढ़ा है राजस्व घाटा
कैग की रिपोर्ट से राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं. रिपोर्ट में 2017-18 में राजस्व घाटा बढ़कर एक हजार 978 करोड़ हो गया है. जबकि ये राजस्व घाटा 2016-17 में 383 करोड़ था. वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा 7935 करोड़ मानक लक्ष्य से अधिक हुआ. जबकि साल 2016-17 में राजकोषीय घाटा 546 करोड़ रुपए था.
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ब्याज चुकाने के लिए भी पड़ेगी लोन की जरूरत
कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि राज्य के लिए, लिए गए उधार का ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण की आवश्यकता होगी. जिसकी तस्दीक प्रदेश सरकार द्वारा साल 2017-18 में लिए गए ऋण 7526 करोड़ में से 3897 करोड़ का भुगतान करता है.
अनुबंधित डॉक्टरों से हुआ राज्य को नुकसान
कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार की कर्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया गया है. प्रदेश में अनुबंध के तहत तैनात किए गए भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. बताया गया कि राज्य में भगोड़े डॉक्टरों से अनुबंध के तहत 18 करोड़ रुपए वसूलने में राज्य सरकार नाकाम साबित हुई है.
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पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण पर नहीं कोई नियंत्रण
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण को लेकर भी बड़ी टिप्पणी की गई है. केंद्र के मानकों तहत कार्रवाई न होने का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन विभाग द्वारा 15 साल पुराने वाहनों के संचालन को रोकने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है. साथ ही उत्तराखंड पर्यावरण सरंक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट विधानमंडल में प्रस्तुत करने में भी विफल रहा है.
समाज कल्याण में भी खामियां
समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना को लेकर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि लाभार्थियों के चयन प्रक्रिया में कई खामियां नजर आयी हैं. पेंशन डेटाबेस में इनपुट और वेलिडेशन कंट्रोल की कमी थी. जिसके चलते 614 लाभार्थियों को 17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे. मृत व्यक्तियों को 10 करोड़ वितरित किए गए. अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया और 85 लाभार्थियों को 21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया.
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इससे पहले सदन की शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विशेषाधिकार हनन के नोटिस के साथ सदन में डेंगू का मुद्दा उठाया. उन्होंने राज्य में डेंगू से पीड़ित लोगों को मुआवजा और गरीब लोगों को मुफ्त इलाज देने की मांग की. इस पर जवाब में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने प्रत्येक माह के आंकड़े सदन के पटल पर रखे. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने मदन कौशिक के आंकड़ों को झूठा बताया और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया.