ETV Bharat / state

शीतकालीन सत्रः सरकार की पहली कैग रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे - त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहली कैग रिपोर्ट

शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवें दिन त्रिवेंद्र सरकार ने पहली कैग रिपोर्ट पेश की. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. खासकर राजकोषीय घाटे में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है.

dehradun news
शीतकालीन सत्र
author img

By

Published : Dec 10, 2019, 4:08 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 8:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवें दिन त्रिवेंद्र सरकार ने सदन में पहली कैग रिपोर्ट पेश की. जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे हुए. राजकोषीय घाटा 383 करोड़ से बढ़कर एक हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के बीच तीखी नोक-झोंक भी देखने को मिली.

शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवे दिन से पहले ही हंगामा शुरू हो गया. सत्र शुरू होने से पहले सदन के बाहर कांग्रेसी विधायकों ने धरना देना शुरू कर दिया. सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन के पटल पर पहली कैग रिपोर्ट पेश की. कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंध को लेकर सवाल उठे. कैग रिपोर्ट में पता लगा कि एक साल में राजस्व घाटा 383 करोड़ रुपए से बढ़कर 19 हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है.

पढ़ेंः कांग्रेसियों को हरदा का ज्ञान, बीजेपी की करनी और कथनी के अंतर का उठाएं लाभ


हर साल 4004 करोड़ का करना है भुगतान
कैग ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि सरकार को अगले 10 वर्षों के दौरान के कुल बकाया बाजार ऋण के 26 हजार 662 करोड़ में से 24 हजार 180 करोड़ रुपये चुकाने हैं. जिसमें 15 हजार 863 करोड़ की राशि केवल ब्याज की है. ये राशि औसतन प्रतिवर्ष 4004 करोड़ प्रतिवर्ष है. इस हिसाब से अगले 10 वर्षों में राज्य को प्रतिवर्ष 4004 करोड़ का औसतन भुगतान करना है.


पिछले सत्र से बढ़ा है राजस्व घाटा
कैग की रिपोर्ट से राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं. रिपोर्ट में 2017-18 में राजस्व घाटा बढ़कर एक हजार 978 करोड़ हो गया है. जबकि ये राजस्व घाटा 2016-17 में 383 करोड़ था. वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा 7935 करोड़ मानक लक्ष्य से अधिक हुआ. जबकि साल 2016-17 में राजकोषीय घाटा 546 करोड़ रुपए था.

पढ़ेंः बीजेपी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरी कांग्रेस, कहीं पहनी प्याज की माला तो कहीं किया बुद्धि-शुद्धि यज्ञ

ब्याज चुकाने के लिए भी पड़ेगी लोन की जरूरत
कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि राज्य के लिए, लिए गए उधार का ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण की आवश्यकता होगी. जिसकी तस्दीक प्रदेश सरकार द्वारा साल 2017-18 में लिए गए ऋण 7526 करोड़ में से 3897 करोड़ का भुगतान करता है.


अनुबंधित डॉक्टरों से हुआ राज्य को नुकसान
कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार की कर्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया गया है. प्रदेश में अनुबंध के तहत तैनात किए गए भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. बताया गया कि राज्य में भगोड़े डॉक्टरों से अनुबंध के तहत 18 करोड़ रुपए वसूलने में राज्य सरकार नाकाम साबित हुई है.

पढ़ेंः शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन, धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण पर नहीं कोई नियंत्रण
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण को लेकर भी बड़ी टिप्पणी की गई है. केंद्र के मानकों तहत कार्रवाई न होने का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन विभाग द्वारा 15 साल पुराने वाहनों के संचालन को रोकने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है. साथ ही उत्तराखंड पर्यावरण सरंक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट विधानमंडल में प्रस्तुत करने में भी विफल रहा है.

समाज कल्याण में भी खामियां
समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना को लेकर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि लाभार्थियों के चयन प्रक्रिया में कई खामियां नजर आयी हैं. पेंशन डेटाबेस में इनपुट और वेलिडेशन कंट्रोल की कमी थी. जिसके चलते 614 लाभार्थियों को 17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे. मृत व्यक्तियों को 10 करोड़ वितरित किए गए. अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया और 85 लाभार्थियों को 21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से 'विकास' गायब, सड़क के लिए तरस रही जनता

इससे पहले सदन की शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विशेषाधिकार हनन के नोटिस के साथ सदन में डेंगू का मुद्दा उठाया. उन्होंने राज्य में डेंगू से पीड़ित लोगों को मुआवजा और गरीब लोगों को मुफ्त इलाज देने की मांग की. इस पर जवाब में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने प्रत्येक माह के आंकड़े सदन के पटल पर रखे. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने मदन कौशिक के आंकड़ों को झूठा बताया और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया.

देहरादून: उत्तराखंड शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवें दिन त्रिवेंद्र सरकार ने सदन में पहली कैग रिपोर्ट पेश की. जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे हुए. राजकोषीय घाटा 383 करोड़ से बढ़कर एक हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के बीच तीखी नोक-झोंक भी देखने को मिली.

शीतकालीन विधानसभा सत्र के पांचवे दिन से पहले ही हंगामा शुरू हो गया. सत्र शुरू होने से पहले सदन के बाहर कांग्रेसी विधायकों ने धरना देना शुरू कर दिया. सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन के पटल पर पहली कैग रिपोर्ट पेश की. कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंध को लेकर सवाल उठे. कैग रिपोर्ट में पता लगा कि एक साल में राजस्व घाटा 383 करोड़ रुपए से बढ़कर 19 हजार 978 करोड़ रुपए हो गया है.

पढ़ेंः कांग्रेसियों को हरदा का ज्ञान, बीजेपी की करनी और कथनी के अंतर का उठाएं लाभ


हर साल 4004 करोड़ का करना है भुगतान
कैग ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि सरकार को अगले 10 वर्षों के दौरान के कुल बकाया बाजार ऋण के 26 हजार 662 करोड़ में से 24 हजार 180 करोड़ रुपये चुकाने हैं. जिसमें 15 हजार 863 करोड़ की राशि केवल ब्याज की है. ये राशि औसतन प्रतिवर्ष 4004 करोड़ प्रतिवर्ष है. इस हिसाब से अगले 10 वर्षों में राज्य को प्रतिवर्ष 4004 करोड़ का औसतन भुगतान करना है.


पिछले सत्र से बढ़ा है राजस्व घाटा
कैग की रिपोर्ट से राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े हुए हैं. रिपोर्ट में 2017-18 में राजस्व घाटा बढ़कर एक हजार 978 करोड़ हो गया है. जबकि ये राजस्व घाटा 2016-17 में 383 करोड़ था. वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा 7935 करोड़ मानक लक्ष्य से अधिक हुआ. जबकि साल 2016-17 में राजकोषीय घाटा 546 करोड़ रुपए था.

पढ़ेंः बीजेपी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरी कांग्रेस, कहीं पहनी प्याज की माला तो कहीं किया बुद्धि-शुद्धि यज्ञ

ब्याज चुकाने के लिए भी पड़ेगी लोन की जरूरत
कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि राज्य के लिए, लिए गए उधार का ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण की आवश्यकता होगी. जिसकी तस्दीक प्रदेश सरकार द्वारा साल 2017-18 में लिए गए ऋण 7526 करोड़ में से 3897 करोड़ का भुगतान करता है.


अनुबंधित डॉक्टरों से हुआ राज्य को नुकसान
कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार की कर्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया गया है. प्रदेश में अनुबंध के तहत तैनात किए गए भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. बताया गया कि राज्य में भगोड़े डॉक्टरों से अनुबंध के तहत 18 करोड़ रुपए वसूलने में राज्य सरकार नाकाम साबित हुई है.

पढ़ेंः शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन, धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण पर नहीं कोई नियंत्रण
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण को लेकर भी बड़ी टिप्पणी की गई है. केंद्र के मानकों तहत कार्रवाई न होने का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन विभाग द्वारा 15 साल पुराने वाहनों के संचालन को रोकने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है. साथ ही उत्तराखंड पर्यावरण सरंक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट विधानमंडल में प्रस्तुत करने में भी विफल रहा है.

समाज कल्याण में भी खामियां
समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना को लेकर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि लाभार्थियों के चयन प्रक्रिया में कई खामियां नजर आयी हैं. पेंशन डेटाबेस में इनपुट और वेलिडेशन कंट्रोल की कमी थी. जिसके चलते 614 लाभार्थियों को 17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे. मृत व्यक्तियों को 10 करोड़ वितरित किए गए. अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया और 85 लाभार्थियों को 21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से 'विकास' गायब, सड़क के लिए तरस रही जनता

इससे पहले सदन की शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विशेषाधिकार हनन के नोटिस के साथ सदन में डेंगू का मुद्दा उठाया. उन्होंने राज्य में डेंगू से पीड़ित लोगों को मुआवजा और गरीब लोगों को मुफ्त इलाज देने की मांग की. इस पर जवाब में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने प्रत्येक माह के आंकड़े सदन के पटल पर रखे. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने मदन कौशिक के आंकड़ों को झूठा बताया और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया.




सदन के पटल पर CAG की रिपोर्ट रखी गयी

त्रिवेंद्र रावत सरकार की पहली CAG रिपोर्ट सदन में पेश

CAG रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंध को लेकर उठे सवाल

साल 2017 - 18 में राजस्व घाट बढ़कर 19978 करोड़ रुपया हुआ

जबकि साल 2016 -17 में राजस्व घाटा 383 करोड़ रुपया था

साल 2017 - 18 में राजकोषीय घाटा 7935 करोड़ रुपया मानक लक्ष्य से  अधिक हुआ

साल 2016-17 में राजकोषीय घाटा 5467 करोड़ रुपया था


CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार को लेकर बड़ी टिप्पड़ी

राज्य को अपने लिए गए उधार का ब्याज चुकाने के लिए भी ऋण की आवश्यकता होगी

जिस कारण  साल 2017 - 18 में 7526 करोड़ में से 3897 करोड़ रुपये लेने पर मजबूर होना पड़ा

राज्य के विभागीय अधिकारियों द्वारा साल 2018 के विशष्ट उदेशों के लिए दिए गए 164.92 करोड़ के अनुदान संबंधित 102 उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार उत्तराखंड को प्रस्तुत नहीं किये गए
[12/10, 2:21 PM] +91 70555 55647: बिग ब्रेकिंग

ब्रेकिंग देहरादून

वित्तीय प्रबंधन को लेकर CAG की बड़ी टिप्पड़ी

अगले 10 वर्षों के दौरान सरकार को 26 हजार 662 करोड़ के कुल बकाया बाजार ऋणों में से 24 हजार 180 करोड़  के बाजार ऋण को चुकाना है

जिसमें ब्याज की 15 हजार 863 करोड़ राशि भी है

अगले 10 वर्षों में राज्य को प्रतिवर्ष 4004 करोड़ का औसत भुगतान करना है

जो वर्ष के दौरान लोक ऋण पुनर्भुगतान के 2 हजार 677 करोड़ से अधिक है
 
जिस कारण भविष्य में पुनर्भुगतान दायित्व काफी हद तक बढ़ जाएगा
[12/10, 2:21 PM] +91 70555 55647: ब्रेकिंग देहरादून

CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पड़ी

राज्य में भगोड़े डॉक्टरों से अनुबंध के तहत 18 करोड रुपए वसूलने में राज्य सरकार नाकाम रही

भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का भी सीएजी रिपोर्ट में हुआ जिक्र

प्रदेश में शिक्षण संस्थानों में एमबीबीएस करने के दौरान अनुबंध के तहत शिक्षा ग्रहण करने के बाद पहाड़ में अनिवार्य रूप से सेवा देने का है अनुबंध

प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण को लेकर भी सीएजी की बड़ी टिप्पणी

केंद्र के मानकों के तहत नहीं होती कोई निगरानी

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिसूचित 12 वायु प्रदूषण पैरामीटर्स में कोई निगरानी नहीं की गई

परिवहन विभाग द्वारा 15 साल पुराने वाहनों के संचालन को रोकने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट विधानमंडल में भी प्रस्तुत करने में विफल रहा


समाज कल्याण विभाग की वृद्धावस्था पेंशन योजना को लेकर भी सीएजी की टिप्पणी

वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया विभिन्न कमियों से भरी थी

पेंशन डेटाबेस में इनपुट व वैलिडेशन कंट्रोल की कमी थी

जिसके चलते 614 लाभार्थियों को .17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे

मृत व्यक्तियों को  .10 करोड़ वितरण किया गया

अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया

85 लाभार्थियों को  .21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया
Last Updated : Dec 10, 2019, 8:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.