देहरादून: आज एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर राजकीय दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान एड्स के कारणों पर विस्तार से चर्चा भी की गई. वहीं इस दौरान बताया गया कि उत्तराखंड में 71 ऐसी एचआईवी पॉजिटिव महिलाएं हैं, जिनको तो एड्स था, लेकिन उनके शिशु को एचआईवी संक्रमण नहीं हुआ.
डॉक्टर ने उदाहरण के तौर पर बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान रीना (परिवर्तित नाम) एचआईवी पॉजिटिव हो गई थी. तब उन्हें गर्भ में पले बच्चों की चिंता सताने लगी और इस बात का डर बना रहा कहीं बच्चा भी संक्रमित ना हो जाए. लेकिन समय से जानकारी होने की वजह से डॉक्टरों की देखरेख में बच्चा एचआईवी संक्रमण से मुक्त रहा.
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देहरादून के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजय जैन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं की एडमिट होने के तुरंत बाद एचआईवी जांच की जाती है. अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीज और गर्भवती माताओं की एचआईवी जांच अनिवार्य रूप से की जाती है. अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड में एचआईवी मरीजों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का डाटा गोपनीय रखा जाता है.
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में कुल 215,244 गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की गई. इसमें से 85 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव पाई गई थी. चिकित्सकों की अंडरटेकिंग में 71 महिलाओं ने नवजातों को जन्म दिया, जो एचआईवी नेगेटिव पाए गए.
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इधर विश्व एड्स दिवस के मौके पर दून अस्पताल में एक सेमिनार का आयोजन हुआ. इस दौरान एड्स पर विस्तार से चर्चा हुई और साथ ही इसके बचाव के उपाय के बारे में भी बताया गया. इस दौरान रेडक्रॉस समेत तमाम सोशल वर्कर्स को भी सम्मानित किया गया.
डॉक्टर अनुराग अग्रवाल के मुताबिक एड्स की जागरूकता को लेकर कई गैर सरकारी संस्थाएं और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं, जिसके चलते हम इस भयंकर बीमारी को नियंत्रित करने में सक्षम रहे हैं, उन्होंने कहा कि जागरूकता ही इस बीमारी से बचाव का महत्वपूर्ण बचाव है.