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उत्तराखंड में 'बीज बम' अभियान की शुरुआत, मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को 'बीज बम अभियान सप्ताह' का शुभारंभ किया है. दरअसल, हिमालय पर्यापरण जड़ी-बूटी एग्रो संस्थान 'जाड़ी' की ओर से बीज बम अभियान सप्ताह (9 जुलाई से 15 जुलाई) चलाया जा रहा है.

beej bam abhiyan saptah
बीज बम अभियान सप्ताह
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Published : Jul 10, 2022, 7:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में बीते शनिवार से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास से 'बीज बम अभियान सप्ताह' का शुभारंभ किया है. अभियान के नाम में बम होने से यह किसी युद्ध या सेना से जुड़ा अभियान नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए वर्ष 2017 में शुरू हुआ एक ऐसा अनूठा अभियान है, जो कि प्रदेश में बढ़ते वन्य जीव और मानव संघर्ष को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया अभियान है.

हिमालय पर्यापरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान (जाड़ी) की ओर से शुरू किए गए अभियान को अब प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. प्रदेश सरकार ने इस 'बीज बम' अभियान को साप्ताहिक तौर पर मनाने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं. संस्थान के संयोजक द्वारिका प्रसाद सेमवाल का यह अनूठा प्रयास सीमांत क्षेत्र उत्तरकाशी से शुरू होकर अब एक वृहद रूप लेता नजर आ रहा है. साथ ही सरकार की और से प्रदेश की रजत जयंती पर इस अभियान को वृहद स्तर पर मनाने की घोषणा भी की गई है.

CM धामी की 'बीज बम अभियान सप्ताह' की शुरुआत

संयोजक द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते है कि बढ़ती आबादी के साथ पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक वन क्षेत्र में कमी होने के कारण वन्य जीव और मानव का संघर्ष आज के समय में आम खबर बन गई है. पहाड़ों में यह समस्या बहुत विकराल रूप लेने लगी है. बहुत विचार विमर्श और प्रयोग करने के बाद उत्तरकाशी जनपद के थांडी-कमद से 2017 में बीज बम अभियान सप्ताह का शुभारंभ किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों को जोड़ा गया.

उसके बाद इसे साल 2019 में साप्ताहिक और प्रदेश और अन्य राज्य राज्यों के सामाजिक संगठन और विभिन्न स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर मनाने का फैसला लिया गया, यही कारण है कि आज इस बीज बम अभियान से करीब 18 राज्यों के 2 लाख लोग जुड़ चुके हैं.

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मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में सहायक होगा अभियान.

द्वारिका सेमवाल बताते हैं कि 'बीज बम अभियान सप्ताह' के लिए मात्र मिट्टी और गोबर सहित जिन फल और सब्जी के बीजों को हम फेंक देते हैं, मात्र उनका प्रयोग करना होता है. छनी हुई मिट्टी में गोबर को मिलाकर दो बीज उंसके अंदर डालकर एक गोला बनाया जाता है और उसके बाद चार दिन सुखाने के बाद इसे उन क्षेत्रों में फेंका जाता है, जहां पर वृक्षों की कमी है.
पढ़ें- सुरकंडा देवी में देवघर जैसा हादसा होने से बचा, रोपवे ट्रॉलियों में लटके रहे 70 लोग, टिहरी विधायक भी फंसे

सीएम धामी ने सभी जिलों को जोड़ा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीज बम अभियान को गंभीरता से लेते हुए बीते शनिवार को सभी जिलों को इससे जोड़कर साप्ताहिक अभियान का शुभारंभ किया, जिसके लिए सेमवाल ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है.

सेमवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री की और से उन्हें टास्क दिया है. साल वर्ष 2025 तक बीज बम अभियान को वृहद रूप देकर प्रदेश की रजत जयंती पर पर्यावरण संरक्षण के लिए देश के सामने एक उदाहरण पेश किया जाएगा कि कैसे इस अनूठे प्रयोग से बिना धन खर्च किए हुए हम अपनी वन संपदा को बचा सकते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में बीते शनिवार से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास से 'बीज बम अभियान सप्ताह' का शुभारंभ किया है. अभियान के नाम में बम होने से यह किसी युद्ध या सेना से जुड़ा अभियान नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए वर्ष 2017 में शुरू हुआ एक ऐसा अनूठा अभियान है, जो कि प्रदेश में बढ़ते वन्य जीव और मानव संघर्ष को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया अभियान है.

हिमालय पर्यापरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान (जाड़ी) की ओर से शुरू किए गए अभियान को अब प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. प्रदेश सरकार ने इस 'बीज बम' अभियान को साप्ताहिक तौर पर मनाने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं. संस्थान के संयोजक द्वारिका प्रसाद सेमवाल का यह अनूठा प्रयास सीमांत क्षेत्र उत्तरकाशी से शुरू होकर अब एक वृहद रूप लेता नजर आ रहा है. साथ ही सरकार की और से प्रदेश की रजत जयंती पर इस अभियान को वृहद स्तर पर मनाने की घोषणा भी की गई है.

CM धामी की 'बीज बम अभियान सप्ताह' की शुरुआत

संयोजक द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते है कि बढ़ती आबादी के साथ पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक वन क्षेत्र में कमी होने के कारण वन्य जीव और मानव का संघर्ष आज के समय में आम खबर बन गई है. पहाड़ों में यह समस्या बहुत विकराल रूप लेने लगी है. बहुत विचार विमर्श और प्रयोग करने के बाद उत्तरकाशी जनपद के थांडी-कमद से 2017 में बीज बम अभियान सप्ताह का शुभारंभ किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों को जोड़ा गया.

उसके बाद इसे साल 2019 में साप्ताहिक और प्रदेश और अन्य राज्य राज्यों के सामाजिक संगठन और विभिन्न स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर मनाने का फैसला लिया गया, यही कारण है कि आज इस बीज बम अभियान से करीब 18 राज्यों के 2 लाख लोग जुड़ चुके हैं.

beej bam abhiyan saptah
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में सहायक होगा अभियान.

द्वारिका सेमवाल बताते हैं कि 'बीज बम अभियान सप्ताह' के लिए मात्र मिट्टी और गोबर सहित जिन फल और सब्जी के बीजों को हम फेंक देते हैं, मात्र उनका प्रयोग करना होता है. छनी हुई मिट्टी में गोबर को मिलाकर दो बीज उंसके अंदर डालकर एक गोला बनाया जाता है और उसके बाद चार दिन सुखाने के बाद इसे उन क्षेत्रों में फेंका जाता है, जहां पर वृक्षों की कमी है.
पढ़ें- सुरकंडा देवी में देवघर जैसा हादसा होने से बचा, रोपवे ट्रॉलियों में लटके रहे 70 लोग, टिहरी विधायक भी फंसे

सीएम धामी ने सभी जिलों को जोड़ा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीज बम अभियान को गंभीरता से लेते हुए बीते शनिवार को सभी जिलों को इससे जोड़कर साप्ताहिक अभियान का शुभारंभ किया, जिसके लिए सेमवाल ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है.

सेमवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री की और से उन्हें टास्क दिया है. साल वर्ष 2025 तक बीज बम अभियान को वृहद रूप देकर प्रदेश की रजत जयंती पर पर्यावरण संरक्षण के लिए देश के सामने एक उदाहरण पेश किया जाएगा कि कैसे इस अनूठे प्रयोग से बिना धन खर्च किए हुए हम अपनी वन संपदा को बचा सकते हैं.

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