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ऋषिकेश: दर्जनों माध्यमिक विद्यालय के भवन आज भी जर्जर, बड़े हादसे के इंतजार में शिक्षा विभाग

ऋषिकेश कई माध्यमिक विद्यालयों के भवन आज भी जर्जर अवस्था में हैं, लेकिन शिक्षा विभाग इस ओर लापरवाह बना हुआ है. उधर, छात्र भी अपनी जान जोखिम में डाल कर विद्यालय आने को मजबूर हैं.

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जर्जर भवनों की ओर ध्यान नहीं दे रहा शिक्षा विभाग
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Published : Feb 6, 2020, 3:26 PM IST

ऋषिकेश: तहसील ऋषिकेश अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं जिनके भवन आज भी जर्जर अवस्था में हैं. शिक्षा विभाग अभी हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे से सबक लेने को तैयार नहीं है. हालात ये हैं कि छात्र मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर इन विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर हैं. उधर, कुछ छात्र विद्यालय आने से भी कतराते हैं. वहीं, परिजनों का कहना है कि शिक्षा विभाग अभी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.

बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले जिले एक माध्यमिक विद्यालय की दीवार गिरने से छात्र की जान चली गई थी. साथ ही दो छात्र गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे. लेकिन इस हादसे का शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा है. आलम ये है कि तहसील ऋषिकेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय आज भी जर्जर अवस्था में हैं, जो कि छात्रों को मौत की दावत दे रहे हैं. ऐसे में कब अप्रिय घटना घट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता और सवाल ये भी है कि हादसा होने पर उसका जिम्मेदार कौन होगा.

बड़े हादसे के इंतजार में शिक्षा विभाग.

ये भी पढ़ें: प्रीतम और इंदिरा ने की आलाकमान से मुलाकात, विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हरीश धामी

जानकारी के मुताबिक, राजकीय इंटर कॉलेज छिद्दरवाला, राजकीय प्राथमिक विद्यालय साहबनगर, रायवाला स्टेशन और प्रतीतनगर सहित ऐसे ही कई विद्यालय हैं, जिनके भवन आज भी जर्जर अवस्था में है. लेकिन शिक्षा महकमे के आलाधिकारी इन विद्यालयों की ओर अभी लापरवाह बना हुआ है. इतना ही नहीं राजकीय इंटर कॉलेज रायवाला का एक भवन और बॉउंड्रीवाल के हॉल का नजारा भी कुछ ऐसा ही है. उधर, नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए इन जर्जर भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: खुद पर FIR दर्ज होने पर खफा पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी, कहा- अंतिम सांस तक लड़ूंगा

वहीं, मामले में प्रधानाचार्य योगेंबर सिंह रावत का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक में जर्जर भवन को तोड़ने का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा गया है. जल्द ही जर्जर भवन को ध्वस्त करा दिया जाएगा. ऐसे में अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग की कुंभकर्णी नींद समय रहते टूटती है या छात्रों को अभी अपनी जान और जोखिम में डालना होगा.

ऋषिकेश: तहसील ऋषिकेश अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं जिनके भवन आज भी जर्जर अवस्था में हैं. शिक्षा विभाग अभी हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे से सबक लेने को तैयार नहीं है. हालात ये हैं कि छात्र मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालकर इन विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर हैं. उधर, कुछ छात्र विद्यालय आने से भी कतराते हैं. वहीं, परिजनों का कहना है कि शिक्षा विभाग अभी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.

बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले जिले एक माध्यमिक विद्यालय की दीवार गिरने से छात्र की जान चली गई थी. साथ ही दो छात्र गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे. लेकिन इस हादसे का शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा है. आलम ये है कि तहसील ऋषिकेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालय आज भी जर्जर अवस्था में हैं, जो कि छात्रों को मौत की दावत दे रहे हैं. ऐसे में कब अप्रिय घटना घट जाए कुछ कहा नहीं जा सकता और सवाल ये भी है कि हादसा होने पर उसका जिम्मेदार कौन होगा.

बड़े हादसे के इंतजार में शिक्षा विभाग.

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जानकारी के मुताबिक, राजकीय इंटर कॉलेज छिद्दरवाला, राजकीय प्राथमिक विद्यालय साहबनगर, रायवाला स्टेशन और प्रतीतनगर सहित ऐसे ही कई विद्यालय हैं, जिनके भवन आज भी जर्जर अवस्था में है. लेकिन शिक्षा महकमे के आलाधिकारी इन विद्यालयों की ओर अभी लापरवाह बना हुआ है. इतना ही नहीं राजकीय इंटर कॉलेज रायवाला का एक भवन और बॉउंड्रीवाल के हॉल का नजारा भी कुछ ऐसा ही है. उधर, नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए इन जर्जर भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे हैं.

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वहीं, मामले में प्रधानाचार्य योगेंबर सिंह रावत का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक में जर्जर भवन को तोड़ने का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा गया है. जल्द ही जर्जर भवन को ध्वस्त करा दिया जाएगा. ऐसे में अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग की कुंभकर्णी नींद समय रहते टूटती है या छात्रों को अभी अपनी जान और जोखिम में डालना होगा.

Intro:Ready to air
ऋषिकेश--ऋषिकेश में हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी शिक्षा विभाग सबक लेने का तैयार नही है। तहसील ऋषिकेश अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनांे विद्यालयों के भवन एसे हैं जो आज भी जर्जर खड़े हैं। कुछ जर्जर हाल भवनों में तो पठन पाठन भी चल रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी किसी हादसे के इंतजार में है। 


Body:वी/ओ--कुछ दिनों पहले ऋषिकेश स्थित एक माध्यमिक विद्यालय की दीवार गिरने से एक मासूम की जान चली गयी थी और दो लोग घालय हो गए थे। लेकिन इस हादसे के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नही खुली। आलम यह है कि तहसील ऋषिकेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कई विद्यालय ऐसे हैं जिनके भवन जर्जर हो चुके हैं। इन जर्जर भवनों की जगह नए भवनो का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन पुराने जर्जर भवन आज भी जस के तस खड़े है। इन भवनों में कोई पढ़ता भले ही न हो मगर छात्र अक्सर इन जर्जर भवनों की ओर चले जाते हैं। जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है।

सवाल यह है कि नए भवनों में पठन पाठन संचालित हो रहा है तो हादसा होने से पहले इन पुराने जर्जर भवनों को आज तक क्यों नही तोड़ा गया। क्या लापरवाह शिक्षा विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। बात राजकीय प्राथमिक विद्यालय चकजोगीवाला की करें तो यहां नए भवन का निर्माण वर्ष 2011-12 हो चुका था। यहां भी नया भवन तो बना दिया गया मगर पुराने जर्जर भवन आज भी वैसा ही खड़ा हैं। छात्र अक्सर खेलते हुए इस खंडहर में तब्दील हो चुके भवन की तरफ चले जाते हैं जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य योगेम्बर सिंह रावत का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक में खंडहर भवन को तोड़ने का प्रस्ताव रख कर उच्चाधिकारियों का अवगत कराया दिया गया है। संभवत जल्द ही जर्जर भवन को ध्वस्त करा दिया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि शिक्षा विभाग कब नींद से जागता हैं और इन खंडहर भवनों को तोड़ने की कार्यवाही शुरू करता है। 


Conclusion:वी/ओ--आपको बता दें कि राजकीय इंटर कालेज छिद्दरवाला, राजकीय प्राथमिक विद्यालय साहबनगर, रायवाला स्टेशन व प्रतीतनगर सहित कई ऐसी जगह हैं जहां जर्जर भवन गिरने की कगार पर हैं। लेकिन विभागीय अधिकारी इन खंडहर हो चुके भवनों को ध्वस्त नही कर रहा है। इतना ही राजकीय इंटर कालेज रायवाला का एक भवन व बॉउंड्रीवाल का हाल कुछ ऐसा ही है। खास बात यह है कि नियमों को ताक पर रखकर इन खंडहर भवनों आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे है। ऐसे में जिम्मेदार शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

बाईट--योगेम्बर सिंह रावत(प्रभारी प्रधानाचार्य,प्राथमिक विद्यालय,चक जोगीवाला)
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