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उत्तराखंड सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में इंडस्ट्री लगाने को उत्सुक, वैज्ञानिकों ने किया आगाह, जानिए क्या है वजह?

Scientists warn against industry in hilly areas of Uttarakhand, Global Investors Summit 2023 उत्तराखंड राज्य में निवेश आने का सिलसिला शुरू हो गया है. राज्य सरकार का फोकस है कि प्रदेश के मैदानी जिलों समेत पर्वतीय जिलों में इंडस्ट्री लगे. ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिल सके. दूसरी ओर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में फैक्ट्री लगाने को लेकर वैज्ञानिक अभी से ही आगाह कर रहे हैं.

industry in hilly areas of Uttarakhand
उत्तराखंड उद्योग समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 15, 2023, 8:42 AM IST

Updated : Dec 15, 2023, 4:38 PM IST

पहाड़ में उद्योग लगाने पर वैज्ञानिकों ने चेताया.

देहरादून: इसी महीने दो दिवसीय उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में साढ़े तीन लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए हैं. धामी सरकार उत्तराखंड में उद्योग लगाने को लेकर उद्योगपतियों की उत्सुकता से खुश है. पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक उपक्रम स्थापित करने की सरकार की इच्छा है. लेकिन वैज्ञानिकों की चेतावनी ने डरा दिया है.

पहाड़ में उद्योग लगाने पर वैज्ञानिकों ने चेताया: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक के अनुसार, अगर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर उद्योग लगाने हैं, तो तमाम पहलुओं पर फोकस करने की जरूरत होगी. साथ ही फैक्ट्री से निकलने वाले वेस्ट के मैनेजमेंट को लेकर भी नियम और कड़े करने की जरूरत है. दरअसल डेस्टिनेशन उत्तराखंड, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तराखंड राज्य में निवेश के लिए बड़ी संख्या में निवेशकों ने अपनी रुचि जताई है. जिसके तहत करीब साढे तीन लाख करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार के अनुसार करीब 44,000 करोड़ रुपए का निवेश धरातल पर उतर चुका है.

industry in hilly areas of Uttarakhand
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं.

वैज्ञानिकों का ये कहना है: उत्तराखंड सरकार इस बात पर फोकस कर रही है कि प्रदेश के मैदानी जिलों समेत प्रदेश के पर्वतीय जिलों पर भी उद्योग लगें. इसको लेकर निवेशकों ने हामी भी भरी है. ऐसे में अगर पर्वतीय क्षेत्रों उद्योग लगाए जाते हैं तो न सिर्फ उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास होगा, बल्कि भारी वाहनों की आवाजाही भी काफी अधिक होगी. ऐसे में अगर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगते हैं तो प्रदेश की परिस्थितियों के अनुसार तमाम पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी. दरअसल, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं के बताया कि अध्ययन से यह पता चला है कि हिमालय नाजुक है. लेकिन पूरा हिमालय नाजुक नहीं है बल्कि कुछ हिस्सा संवेदनशील, कुछ हिस्सा मध्यम संवेदनशील और कुछ हिस्सा ज्यादा संवेदनशील है. उत्तराखंड में सोशियो इकोनॉमिकल कल्चरल ग्रोथ के साथ ही स्ट्रेटजिक डेवलपमेंट करने की भी जरूरत है.

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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं.

हर तरह की जांच पड़ताल जरूरी: साथ ही कहा कि जब भी पर्वतीय क्षेत्रों में कोई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आता है तो उसका एनवायरनमेंट, एंथोप्रोगेनिक और प्रोजेक्ट इंपैक्ट एसेमेंट करने की जरूरत है. इसके लिए जिस जगह पर इंडस्ट्री या फिर कोई प्रोजेक्ट लगाना है, उस क्षेत्र का जियोलॉजिकल और जियोफिजिकल इंपैक्ट एसेमेंट करके प्रोजेक्ट साइज, वर्क मोनेट्रिंग समेत उससे जुड़ी तमाम जानकारियां ले सकते हैं, ताकि इस प्रोजेक्ट की वजह से नीचे रह रहे लोगों को नुकसान ना हो.

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कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल.

सरकार का है ये पक्ष: कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में जो हाल ही में घटना घटी है, उसके बाद लोगों के सामने विषय तो आया होगा कि हमें क्या करना है. कैसे करेंगे और कैसे उसका अध्ययन करेंगे. लिहाजा, सरकार हर स्तर पर पूरी तरह से ध्यान लगाएगी. ताकि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. इसके लिए अधिकारी और विशेषज्ञों की राय के साथ अध्ययन कराया जायेगा.
ये भी पढ़ें: पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं निवेशक! उत्तराखंड में MoU का अधिकतम 25 से 50% ही होगा निवेश, सरकार ने किये ये दावे

पहाड़ में उद्योग लगाने पर वैज्ञानिकों ने चेताया.

देहरादून: इसी महीने दो दिवसीय उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में साढ़े तीन लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए हैं. धामी सरकार उत्तराखंड में उद्योग लगाने को लेकर उद्योगपतियों की उत्सुकता से खुश है. पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक उपक्रम स्थापित करने की सरकार की इच्छा है. लेकिन वैज्ञानिकों की चेतावनी ने डरा दिया है.

पहाड़ में उद्योग लगाने पर वैज्ञानिकों ने चेताया: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक के अनुसार, अगर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर उद्योग लगाने हैं, तो तमाम पहलुओं पर फोकस करने की जरूरत होगी. साथ ही फैक्ट्री से निकलने वाले वेस्ट के मैनेजमेंट को लेकर भी नियम और कड़े करने की जरूरत है. दरअसल डेस्टिनेशन उत्तराखंड, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तराखंड राज्य में निवेश के लिए बड़ी संख्या में निवेशकों ने अपनी रुचि जताई है. जिसके तहत करीब साढे तीन लाख करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार के अनुसार करीब 44,000 करोड़ रुपए का निवेश धरातल पर उतर चुका है.

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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं.

वैज्ञानिकों का ये कहना है: उत्तराखंड सरकार इस बात पर फोकस कर रही है कि प्रदेश के मैदानी जिलों समेत प्रदेश के पर्वतीय जिलों पर भी उद्योग लगें. इसको लेकर निवेशकों ने हामी भी भरी है. ऐसे में अगर पर्वतीय क्षेत्रों उद्योग लगाए जाते हैं तो न सिर्फ उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास होगा, बल्कि भारी वाहनों की आवाजाही भी काफी अधिक होगी. ऐसे में अगर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योग लगते हैं तो प्रदेश की परिस्थितियों के अनुसार तमाम पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी. दरअसल, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं के बताया कि अध्ययन से यह पता चला है कि हिमालय नाजुक है. लेकिन पूरा हिमालय नाजुक नहीं है बल्कि कुछ हिस्सा संवेदनशील, कुछ हिस्सा मध्यम संवेदनशील और कुछ हिस्सा ज्यादा संवेदनशील है. उत्तराखंड में सोशियो इकोनॉमिकल कल्चरल ग्रोथ के साथ ही स्ट्रेटजिक डेवलपमेंट करने की भी जरूरत है.

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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं.

हर तरह की जांच पड़ताल जरूरी: साथ ही कहा कि जब भी पर्वतीय क्षेत्रों में कोई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आता है तो उसका एनवायरनमेंट, एंथोप्रोगेनिक और प्रोजेक्ट इंपैक्ट एसेमेंट करने की जरूरत है. इसके लिए जिस जगह पर इंडस्ट्री या फिर कोई प्रोजेक्ट लगाना है, उस क्षेत्र का जियोलॉजिकल और जियोफिजिकल इंपैक्ट एसेमेंट करके प्रोजेक्ट साइज, वर्क मोनेट्रिंग समेत उससे जुड़ी तमाम जानकारियां ले सकते हैं, ताकि इस प्रोजेक्ट की वजह से नीचे रह रहे लोगों को नुकसान ना हो.

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कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल.

सरकार का है ये पक्ष: कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में जो हाल ही में घटना घटी है, उसके बाद लोगों के सामने विषय तो आया होगा कि हमें क्या करना है. कैसे करेंगे और कैसे उसका अध्ययन करेंगे. लिहाजा, सरकार हर स्तर पर पूरी तरह से ध्यान लगाएगी. ताकि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. इसके लिए अधिकारी और विशेषज्ञों की राय के साथ अध्ययन कराया जायेगा.
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Last Updated : Dec 15, 2023, 4:38 PM IST
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