देहरादून: उत्तराखंड में पलायन आयोग के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है. जिसमें कुछ तथाकथित लोग अपने आप को पलायन आयोग के अधिकारी बताकर प्रदेश के ग्राम प्रधानों से मोटी रकम लूट रहे हैं. ईटीवी भारत को मिले कुछ दस्तावेजों और आयोग के रवैये से साफतौर पर ऐसा ही लगता है कि जरूर इस मामले में कुछ गड़बड़ है.
![scam-in-the-name-of-uttarakhand-migration-commission-through-whatsapp-group](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10487853_3.jpg)
दरअसल, आयोग का अधिकारी बताकर सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी तथाकथित माइग्रेशन सोलर योजना के सम्बन्ध में एक व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. इसमें पूरे प्रदेश के सैकड़ों ग्राम प्रधानों को जोड़ा गया है. इस ग्रुप में ग्राम प्रधानों को इस योजना के आवेदन फॉर्म भरने के लिए कहा जा रहा है. जिसमें सोलर लाइट को 90% सब्सिडी के साथ गांवों में बेचा जा रहा है. इस आवेदन के लिए आयोग के नाम से एक अकाउंट नम्बर भी जारी किया गया है.
![फर्जी आईडी कार्ड.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10487853_1.jpg)
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इस व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन द्वारा अपना नाम दिनेश रावत बताया जा रहा है, जो खुद को पलायन आयोग का सदस्य बता रहा है. वहीं एसएस नेगी नाम से डिस्ट्रिक्ट सत्र के अन्य अधिकारी का भी हवाला दिया जा रहा है. ग्रुप में सभी प्रधानों से इस योजना का लाभ उठाने के लिए कहा जा रहा है. साथ ही दिए गए अकाउंट नम्बर पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी कहा जा रहा है.
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मिली जानकारी के अनुसार सैकड़ों प्रधानों ने इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन भी किया है. इस योजना के लिए जो आवेदन फॉर्म ग्रुप में डाला गया है, वह उत्तराखंड सरकार के लोगो के साथ एक सरकारी फॉर्म की तरह दिखता है. ग्रुप में कथाकथित व्यक्ति जो खुद को पलायन आयोग का अधिकारी बता रहा है उसका आई कार्ड भी वायरल हो रहा है. आई कार्ड काफी हद तक असली नजर आता है, लेकिन आई कार्ड में ज्वॉइनिंग डेट गलत है. जिससे फर्जीवाड़ा साफतौर पर दिखता है.
![scam in the name of Uttarakhand Migration Commission through WhatsApp group](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-deh-03-scam-in-uttarakhand-photo-7205800_03022021181554_0302f_1612356354_178.jpg)
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कमाल की बात तो यह है जब हमने इस संबंध में पलायन आयोग से जानकारी ली तो पलायन आयोग के अध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि इस तरह की कोई योजना न तो चल रही है और न चलाई जाती है. जब दिनेश नाम के कर्मचारी और पलायन आयोग के आई कार्ड के बारे में उनसे पूछा गया तो पलायन आयोग के अध्यक्ष ने दिनेश को अपना कर्मचारी बताते हुए हाल में सदस्य बनाए जाने की जानकारी दी है. जब ईटीवी भारत ने कुछ पुख्ता जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने अपने रिसर्च अधिकारी डीके नंदानी का नंबर दिया.
![scam in the name of Uttarakhand Migration Commission through WhatsApp group](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/uk-deh-03-scam-in-uttarakhand-photo-7205800_03022021181554_0302f_1612356354_178.jpg)
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इसके बाद रिसर्च अधिकारी डीके नंदानी से दिनेश नाम के सदस्य की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया. जिस पर उनके द्वारा कुछ देर में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया. हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने जानकारी उपलब्ध कराने से साफ मना कर दिया. इसके बाद हमने एक बार फिर आयोग के अध्यक्ष से भी संपर्क किया. उनके द्वारा भी कोई वाजिब जवाब हमें नहीं मिला. हालांकि आई कार्ड के संबंध में पलायन आयोग के अध्यक्ष का कहना है कि यह आई कार्ड फर्जी है, क्योंकि इसमें ज्वॉइनिंग डेट 2012 की है. तब पलायन आयोग का गठन नहीं हुआ था. इसके बाद हमने कृषि विभाग के निदेशक से भी बातचीत की. उन्होंने भी इस तरह की किसी योजना के होने से साफ इनकार किया है.
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इसके बाद हमने इस कथित व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन से बात की, जो कि अपना नाम दिनेश रावत बता रहा था. उसने बताया कि वह पलायन आयोग देहरादून से बात कर रहा है. साथ ही हमने ग्रुप में बताया जा रहे डिस्ट्रिक्ट लेवल अधिकारी एसएस नेगी से भी बात की.
उठते हैं ये सवाल
- पलायन आयोग अगर अपनी जगह सही है तो जानकारी उपलब्ध क्यों नहीं करा रहा है?
- आखिर सरकारी विभाग के नाम पर कोई व्यक्ति कैसे पूरे प्रदेश के ग्राम प्रधानों को इस फर्जीवाड़े में फंसा रहा है?
कुल मिलाकर यह मामला जितना गंभीर है उतना ही पेचीदा भी है. प्राथमिकता के आधार पर हमारे पास जो दस्तावेज आये हैं उसके आधार पर लगता है कि जो कुछ हो रहा है है उसमें कहीं न कहीं कुछ तो गलत है. ऐसे में अब तो ये जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि आखिर इस मामले में कितनी सच्चाई है.