देहरादून: समाजवादी पार्टी ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण सचान ने धामी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि 24 मार्च के प्रथम कैबिनेट बैठक में जो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का निर्णय लिया गया, सपा और आम जनता यह जानना चाहती है कि क्या इस कोड के लागू होने से बेरोजगारों को रोजगार मिल पाएगा.
उन्होंने कहा कि कैबिनेट बैठक में आम जनता ने सोचा था कि बीजेपी को जिताया है, इसलिए कैबिनेट बैठक में रोजगार, पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा की बात होगी. लेकिन यह बातें न होकर बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक्स्ट्रा कॉन्स्टिट्यूशन एप्रोच है और इससे फेडरल स्ट्रक्चर भी गड़बड़ाता है. क्योंकि यह केंद्र का मामला है.
उसके बाद भी अगर एक राज्य इसे लागू करता है, तो विकास के नाम पर भाजपा ने जिस तरह से अपने 5 साल बिता दिए हैं, उसी तरह से यह 5 साल भी बीत जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह केवल हिंदू और मुस्लिम को डिवाइड करके सत्ता में बने रहना चाहते हैं. भाजपा सरकार ने उत्तराखंड वासियों को अपने 5 साल का एजेंडा बता दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में उलझे रहो.
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इसके साथ ही समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर ओबीसी के आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने के साथ ही यह मांग उठाएगा की संपूर्ण उत्तराखंड में मंडल आयोग के मानकों के अनुरूप 1979 में क्या स्थिति थी, उसके आधार पर अध्ययन करें. साथ ही सभी जातियों को चिन्हित कर ओबीसी में घोषित कर देश और प्रदेश की सेवाओं में 27 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाए.
क्या है समान नागरिक संहिता: यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून, चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा.