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लोहारवा गांव के लोग आज भी हैं सड़क मार्ग से महरूम, सो रहा सिस्टम ! - विकासनगर हिंदी समाचार

चकराता तहसील का लोहारवा गांव आज भी सड़क मार्ग से महरूम है. ग्रामीणों का कहना है कि वो जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जा रही है.

vikasnagar
लोहारवा गांव में नहीं है सड़क मार्ग
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Published : Apr 17, 2021, 4:44 PM IST

विकासनगर: चकराता तहसील के ग्राम पंचायत मलेता का लोहारवा गांव सड़क मार्ग से आज तक नहीं जुड़ सका है. स्थानीय लोगों को आवागमन करने के लिए लगभग ढाई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है. ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

लोहारवा गांव में नहीं है सड़क मार्ग

स्थानीय महिला निशा देवी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण व अन्य बीमारियां होने पर ढाई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है. कभी-कभार तो गांव के बीमार व्यक्ति को बल्ली के सहारे ले जाना पड़ता है. वहीं, कक्षा 8 में पढ़ने वाली छात्रा रिया ने बताया कि स्कूल पहुंचने के लिए जंगल के बीच से होकर ढाई किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है, जबकि जंगल के बीच से जाने से जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है.

ये भी पढ़ें: 'लगे लट्ठ फटे खोपड़ी, छठा छठ माल निकालो फटाफट', भागते हुए भिक्षा लेने वाले अनोखे संत

वहीं, ग्रामीण भगत राम ने बताया कि हमारे गांव में ना तो प्राइमरी स्कूल की सुविधा है और ना ही सड़क. ऐसे में स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को पैदल चल कर काफी दूर का सफर तय करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन को गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग की, लेकिन ना तो जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान दे रहे हैं और ना ही स्थानीय प्रशासन.

विकासनगर: चकराता तहसील के ग्राम पंचायत मलेता का लोहारवा गांव सड़क मार्ग से आज तक नहीं जुड़ सका है. स्थानीय लोगों को आवागमन करने के लिए लगभग ढाई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है. ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

लोहारवा गांव में नहीं है सड़क मार्ग

स्थानीय महिला निशा देवी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण व अन्य बीमारियां होने पर ढाई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है. कभी-कभार तो गांव के बीमार व्यक्ति को बल्ली के सहारे ले जाना पड़ता है. वहीं, कक्षा 8 में पढ़ने वाली छात्रा रिया ने बताया कि स्कूल पहुंचने के लिए जंगल के बीच से होकर ढाई किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है, जबकि जंगल के बीच से जाने से जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है.

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वहीं, ग्रामीण भगत राम ने बताया कि हमारे गांव में ना तो प्राइमरी स्कूल की सुविधा है और ना ही सड़क. ऐसे में स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को पैदल चल कर काफी दूर का सफर तय करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन को गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग की, लेकिन ना तो जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान दे रहे हैं और ना ही स्थानीय प्रशासन.

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