देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता हुई कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले लिए गए हैं. इस बैठक में उत्तराखंड खेल नीति 2021 (Uttarakhand sports policy 2021)पर मुहर लग गई है. उत्तराखंड खेल नीति के तहत खिलाड़ियों को बीमा आर्थिक सहायता खेल मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा. राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को राज्य/ राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तथा प्रशिक्षण शिविरों में प्रतिभाग करने हेतु राज्य परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा हेतु सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी. ग्राम पंचायत स्तर से राज्य स्तर तक एवं विद्यालय/महाविद्यालय स्तर तक कमबद्ध रूप से खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जाएगा, जिससे राज्य खेल ग्रिड का निर्माण होगा.
खेल विकास संस्थान की स्थापना: राज्य के खिलाड़ियों प्रशिक्षकों एवं निर्णायकों के कौशल विकास हेतु खेल विकास संस्थान की स्थापना की जाएगी. जिसके अन्तर्गत वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण एवं शोध हेतु खेल विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जाएगी.
शैक्षणिक संस्थानों में स्पोर्ट्स कोटा: राज्य के प्रतिभावान खिलाडियों को शैक्षणिक, तकनीकी एवं विश्वविद्यालय आदि में प्रवेश हेतु 5 प्रतिशत का खेल कोटा उपलब्ध कराया जाएगा. इसके साथ ही राज्य में खेलों के अवस्थापना सुविधाओं के विकास संचालन, अनुरक्षण खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, प्रोत्साहन एवं खेलों से जुड़े विविध कार्यों हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री खेल विकास निधि विकसित की जाएगी.
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खेल नीति 2021 (Uttarakhand sports policy 2021) मुख्यतः दो विषयों को समावेशित करता है. पहला सभी के लिए खेल एवं खेलों में उत्कृष्टता. दूसरा ई-कल्चर (इलेक्ट्रॉनिक कल्चर) से पी-कल्चर (प्ले फील्ड कल्चर) की तरफ प्रेरित करता है.
खेल नीति के प्रमुख बिन्दु: खेल प्रतिभाओं को आरम्भिक आयु 8 वर्ष से ही पहचानने एवं उनको तराशने हेतु प्रतिभा श्रृंखला विकास योजना PSAT (Physical and Sports Aptitude Test) को लागू किया जाएगा. उच्च प्राथमिकता वाले खेलों हेतु Center Of Excellence स्थापित किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना: राज्य के उदीयमान खिलाडियों को प्रतिवर्ष आवश्यक टेस्ट एवं उसकी दक्षता की मैरिट के आधार पर 08 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के बालक-बालिकाओं प्रति जनपद 150-150 प्रति जनपद अर्थात पूरे राज्य में 1950 बालकों एवं 1950 बालिकाओं कुल 3900 उदीयमान खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना अन्तर्गत धनराशि रुपए 1500 प्रतिमाह उपलब्ध करायी जाएगी.
मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना: राज्य के प्रतिभावान खिलाडियों को उनकी खेल सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति से उन्हें खेलों में और अधिक मनोयोग से प्रतिभाग करने हेतु 14 वर्ष से 23 वर्ष तक की आयु के प्रतिभावान खिलाड़ियों को जनपद स्तर पर छात्रवृत्ति, खेल किट, ट्रैक सूट एवं खेल संबंधी अन्य उपस्कर आदि उपलब्ध कराये जाएंगे.
प्रतिवर्ष यह सुविधा प्रति जनपद 100-100 ( कुल 2600) प्रतिभावान बालक-बालिकाओं को प्रति खिलाड़ी रुपए 2000 प्रतिमाह की छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाएगी और खेल उपस्कर हेतु प्रतिवर्ष 10 हजार रुपए की सीमा तक मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन कार्यक्रम अन्तर्गत उपलब्ध करायी जाएगी.
आउट ऑफ टर्न नियुक्ति: राज्य की सेवाओं में उच्च स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं को समूह ख एवं ग में चयनित विभागों के चयनित पदों पर out of Turn नियुक्ति प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाएगा.
राज्य में खेल सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु निजी क्षेत्र द्वारा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, खेल अकादमी, स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु मेजर ध्यानचंद निजी क्षेत्र खेल प्रतिभागिता प्रोत्साहन कोष की स्थापना की जाएगी.
खिलाड़ियों के पुरस्कार राशि में 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत की वृद्धि: प्रतिवर्ष पदक विजेता खिलाड़ियों को दी जाने वाली पुरस्कार की धनराशि में प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. खिलाड़ियों हेतु दुर्घटना बीमा एवं आर्थिक सहायता 30 प्रतिशत से 50 तक दी जाएगी.
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खेल नीति के महत्वपूर्ण मुख्य बिंदु
- खेल संस्कृति के विकास हेतु व्यापक जन जागरूकता अभियान 'खेल-खेल में' प्रारंभ किया जाएगा.
- खेलों में एवं नागरिकों के जीवन में योग को समावेशित करने हेतु विविध स्तरों पर 'योग से निरोग' कार्यक्रम प्रारंभ किया जायेगा.
- खेलों को प्राथमिकता के आधार पर विभाजित कर 5-10-15 वर्षों की खेल विकास योजना प्रयोग में लाई जायेगी.
- राज्य में ग्राम स्तर से नगर निगम क्षेत्र तक खेल अवस्थापना सुविधा विकसित की जायेगी और 'राज्य खेल ग्रिड' नाम का नेटवर्क बनाया जायेगा.
- खेल प्रतिभाओं के कौशल विकास हेतु 'catch them Young' की नीति का प्रयोग कर ग्रामीण स्तर से लेकर उच्च स्तरीय खेल प्रशिक्षण विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध कराया जायेगा.
- इसके लिए 'अंतरराष्ट्रीय खेल विनिमय कार्यक्रम संचालित किया जायेगा.
- खिलाड़ियों को प्राथमिक प्रशिक्षण सुविधा अंतरविभागीय सहयोग के माध्यम से एवं उच्च स्तरीय प्रशिक्षण Center of Excellence में उपलब्ध कराया जायेगा.
- खिलाड़ियों को खेल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराने के लिए न्याय पंचायत से राज्य स्तर तक की प्रतियोगिताओं के आयोजन का विस्तार किया जायेगा. महिला एवं दिव्यांग खेलकूद को समेकित रूप से विस्तारित किया जायेगा. महिलाओं को खेलों से जोड़ने एवं उनमें आत्मरक्षा की भावना विकसित करने के दृष्टिगत बॉक्सिंग, जूडो, कराटे, ताइक्वांडो, किक बॉक्सिंग जैसे खेलों का विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा.
- खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न स्तरों पर पदक विजेता खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार उपलब्ध कराया जायेगा.
- उत्कृष्ट खेल प्रतिभाओं को 'देवभूमि खेल रत्न पुरस्कार' के साथ 'हिमालय पुत्र खेल पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे.
- खिलाड़ियों के कल्याणार्थ बीमा/आर्थिक सहायता खेल उपकरणों/ किट हेतु अनुदान एवं राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाएगी.
- उदीयमान खिलाड़ियों को खेल में आगे लाने एवं मनोबल के विकास हेतु 08 से 14 वर्ष के बालक-बालिकाओं को 'मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति' उपलब्ध करायी जायेगी.
- खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को खेल संबंधी आवश्यकता उन्नयन एवं प्रोत्साहन संबंधी कार्यों हेतु 'एकल खिड़की समाधान योजना प्रारम्भ की जायेगी.
- खिलाड़ियों को खेल में पूर्ण मनोयोग से जुड़ने हेतु उनके कैरियर में सहयोग देने हेतु महाविद्यालयों/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों/विश्वविद्यालयों में प्रवेश हेतु 05 प्रतिशत कोटा उपलब्ध करया जायेगा.
- उत्कृष्ट खिलाड़ियों/पदक विजेताओं को उनकी प्रतियोगिता के स्तर के अनुरूप विशेष नियुक्ति उपलब्ध करायी जायेगी, जिससे राज्य में खेलों के विकास हेतु विस्तार प्राप्त होगा.
- राज्याधीन सेवारत खिलाड़ियों को उनके खेलों में प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी.
- खेल क्षेत्र से जुड़े स्वरोजगार को विकसित करने विभिन्न स्वरोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम खेल विभाग द्वारा खेल विकास संस्थान के माध्यम से आयोजित किये जाने का प्रस्ताव है.
- खेलों के विकास में, अवस्थापना सुविधा विकास, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, खेल प्रोत्साहन, प्रतियोगिताओं हेतु निजी क्षेत्र की सहभागिता को बढ़ावा दिया जायेगा.
लंबे समय से भी मांग: राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड में खेल नीति की मांग उठ रही है. उत्तराखंड में लंबे समय से उपेक्षा झेल रहे खिलाड़ियों को उम्मीद है कि अब उनके अच्छे दिन आएंगे. नेशनल फुटबॉल कोच और क्लास वन रेफरी वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में खिलाड़ियों का भविष्य और खेल नीति लगातार राजनीति की भेंट चढ़ी है. उन्होंने कहा कि अगर पहले उत्तराखंड में खेल नीति लागू होती है, तो निश्चित तौर से आज परिणाम कुछ और होते.
वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में हुनर की कमी नहीं है और यहां पर खेल के क्षेत्र में युवाओं के लिए अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि अच्छी खेल नीति से युवाओं का रुख खेल के प्रति बढ़ेगा और खेल में कुशल युवाओं का मनोबल भी बढ़ेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हां रोजगार से के दृष्टि से भी खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा.