देहरादूनः महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग से सेवा मुक्त किए गए टीडीएस कंपनी के करीब 350 कर्मचारी आज सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिनके समर्थन में उत्तराखंड क्रांति दल और आम आदमी पार्टी भी उतर चुकी है.
लंबे समय से विवादों में चल रहे राज्यमंत्री रेखा आर्य का महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग एक बार फिर से चर्चाओं में है. विभाग ने 15 सितंबर को टीडीएस आउटसोर्सिंग कंपनी की सैकड़ों महिला कर्मचारियों समेत 350 कर्मचारियों को अचानक से कार्यमुक्त कर दिया गया. अब कर्मचारी न्याय की मांग कर रहे हैं और सरकार से अपनी बहाली की मांग कर रहे हैं. किसी को 4 महीने से वेतन नहीं मिला तो किसी को 9 महीने से तनख्वाह नहीं मिली. ऐसे में पहले ही आर्थिक तंगी झेल रहे कर्मचारियों को अचानक कार्यमुक्त कर देना, उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है.
अपने साथ हुए उत्पीड़न को लेकर ईटीवी भारत से बात करते हुए एक महिला कर्मचारी सीमा ने बताया कि उन्हें पिछले 9 महीनों से वेतन नहीं मिला है और अचानक से कार्यमुक्त कर देना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है. सीमा ने बताया कि महिला सशक्तिकरण की पहचान रखने वाला महिला बाल विकास विभाग ही महिला कर्मचारियों के साथ धोखा कर रहा है.
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सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठी महिला कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी नियुक्ति बहाली और वेतनमान की मांग को पूरा नहीं करती तो आगामी दिनों में वह भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर हो जाएंगी. प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि उनके साथ ऐसा किया गया जबकि कोरोना काल में पिछले कई महीनों से वो 24 घंटे जन सेवाभाव से अपनी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, निकाले गए कर्मचारियों के बदले अब आउटसोर्सिंग माध्यम से अन्य लोगों को रखा जा रहा है, जिसके बाद गुस्सा भड़का है.
वहीं, इस मामले में राजनीतिक दल यूकेडी और आम आदमी पार्टी भी मैदान में कूद पड़ी है. उत्तराखंड क्रांति दल और आम आदमी पार्टी इन कर्मचारियों के समर्थन में सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं. वे भी सरकार से कर्मचारियों की बहाली की मांग कर रहे हैं. इन दोनों पार्टियों का कहना है कि सरकार जहां एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात करती है, रोजगार की बात करती है. ऐसे में 350 कर्मचारियों को उनकी आजीविका से दूर करके अपने असली चेहरे को दिखाया है.