देहरादून: उत्तराखंड में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की आपत्ति के बाद गढ़वाल मंडल में कानून की पढ़ाई करने वाले विभिन्न संस्थाओं के सामने संबद्धता को लेकर खड़ी हुई नई समस्या का सरकार ने समाधान निकाल लिया है. पिछले दिनों विधानसभा सत्र के दौरान अधिनियम संशोधित होने के बाद अब राज्य में वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पास विधि संस्थाओं की संबद्धता और उनकी परीक्षाओं समेत तमाम कार्यों की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है.
प्रदेश में विधि संस्थाओं के लिए अब संबद्धता को लेकर गढ़वाल क्षेत्र में वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी संस्थान को जिम्मेदारी दे दी गई है. दरअसल, राज्य में व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों की संबद्धता को लेकर समय-समय पर निर्णय लिए जाते रहे हैं. इस दौरान ऐसे संस्थानों की संबद्धता के लिए विश्वविद्यालयों को भी बदला जाता रहा है. इसी क्रम में इस दफा बार काउंसिल ऑफ इंडिया की आपत्ति के बाद सरकार ने वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 की धारा 2 में संशोधन किया है. इस संशोधन के साथ ही राज्य में विधि पाठ्यक्रम करने वाले तमाम संस्थाओं की संबद्धता का अधिकार अब वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को होगा.
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राज्य में साल 2009 से पहले गढ़वाल क्षेत्र के सभी व्यावसायिक और दूसरे सभी डिग्री संस्थान हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर से सम्बद्ध थे. लेकिन 2009 में इस विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के कारण उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के अधिनियम में संशोधन करते हुए व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों को उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्धता किए जाने का प्रावधान कर दिया गया. उसके बाद गढ़वाल क्षेत्र में उच्च शिक्षा और व्यावसायिक संस्थानों की संबद्धता के लिए श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की स्थापना की गई.
इसके बाद उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से व्यावसायिक शिक्षा से संबंधित प्रावधान को समाप्त कर दिया गया और उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को केवल तकनीकि शिक्षा तक ही सीमित किया गया. जबकि व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थाओं को श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय बादशाहीथौल टिहरी को हस्तांतरित कर दिए गए. हालांकि इस आदेश के पारित होने के बाद व्यवसायिक संस्थानों की संबद्धता और तमाम परीक्षा कराई जाने को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. यही नहीं इस मामले में कोर्ट में भी मामला पहुंच गया, इसके बाद श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय को व्यावसायिक पाठ्यक्रम वाले संस्थानों की संवाददाता वाले आदेश पर स्थगन लगा दिया गया.
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इसमें तर्क दिया गया की बार काउंसिल आफ इंडिया से श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय मान्यता प्राप्त नहीं है. लिहाजा इस विश्वविद्यालय से संस्थाओं की संबद्धता नहीं की जा सकती. ऐसे में अब सरकार ने एक बार फिर वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 में संशोधन कर विधि संस्थाओं की संबद्धता के लिए इस विश्वविद्यालय को अधिकृत कर दिया है.