देहरादून/रुद्रप्रयाग: 16 जून 2013 का दिन शायद ही कोई देशवासी भूल पाएगा. ये वो दिन था जब केदारनाथ धाम में कुदरत का कहर टूटा था, जिसे याद कर आज भी लोगों की आत्मा कांप जाती है. वक्त ने जख्मों पर मरहम तो लगाया गया है, लेकिन उन लोगों के जख्म ताउम्र नहीं जाएंगे जिसने उस आपदा में अपनों को खोया है. इस आपदा में लगभग 4,400 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.
मुख्यमंत्री ने दी आपदा में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि
प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आपदा में दिवंगत सभी श्रद्धालुओं और नागरिकों को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार पवित्र चार धाम यात्रा को सुगम, सुलभ और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
पुनर्निर्माण का कार्य जारी
आपदा के 8 साल हो गए हैं, लेकिन अब भी केदारघाटी के पुनर्निर्माण का काम पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि पुनर्निर्माण का काम लगातार चल रहा है. मौजूदा स्थिति की बात करें तो केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण के पहले चरण का कार्य लगभग 90 फीसदी पूरा हो चुका है. 31 दिसंबर 2020 तक कार्य को पूरा किया जाना था, लेकिन मौसम का साथ न मिलना और कोरोना की दस्तक काम में देरी की वजह बन गया है.
आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहितों के क्षतिग्रस्त घरों और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही केदारनाथ धाम के पहले चरण का कार्य पूरा होने के बाद दूसरे चरण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
पूरी तरह से तबाह हो चुकी केदारघाटी को फिर से पुराने स्वरूप में लाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मिल कर काम कर रही है. खासकर केंद्र सरकार ने केदारघाटी को एक बार फिर से खड़ा करने में काफी सहयोग दिया. हो भी क्यों न केदारघाटी में चल रहे पुनर्निर्माण का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार है.
यही वजह है कि समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली से ही उत्तराखंड के मुख्य सचिव से लगातार निर्माण कार्यों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी लेते रहे हैं.
केदारनाथ के पुनर्निर्माण के मुख्य तीन प्रोजेक्टों का काम पूरा कर लिया गया है. जल्द ही आदि गुरु शंकराचार्य के प्रोजेक्ट को भी पूरा कर लिया जायेगा. मास्टर प्लान के तहत किये जा रहे कार्यों को पूरा किये जाने के बाद केदारनाथ पुनर्निर्माण योजना में शामिल अन्य कार्यों को शुरू किया जाएगा.
आदि गुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल का कार्य लगभग पूरा
केदारनाथ मंदिर के पीछे बन रहे आदि गुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल का काम तेजी से चल रहा है. हालांकि, यह कार्य 31 दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद सारी मशीनरी कोविड-19 से जंग लड़ने में जुट गई.
इसके चलते न सिर्फ केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्य प्रभावित हुआ बल्कि प्रदेश में विकास के कार्यों की रफ्तार भी धीमी हो गई. 25 जून को आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा भी मैसूर से उत्तराखंड पहुंच जाएगी. इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा को समाधि स्थल में स्थापित कर दिया जाएगा.
तीर्थ पुरोहितों के आवास से जुड़े तमाम निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाए हैं. हालांकि अभी तक, तीर्थ पुरोहितों के 73 आवास अब तक बन चुके हैं. 31 आवास और बनाए जाने हैं, जिसे जल्द पूरा करने की बात कही जा रही है.
यात्रियों और दुकानदारों के लिए मंदाकिनी तट पर की जाएगी व्यवस्था
उत्तराखंड की केदारघाटी में वर्तमान समय में तीन ध्यान गुफा निर्माणाधीन है. संगम स्थल पर श्रद्धालु स्नान और ध्यान अर्चना कर सकें, इसकी व्यवस्था भी राज्य सरकार करने जा रही है. यही नहीं मंदाकिनी की तट पर देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए सुविधा का इंतजाम किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को बरसात और बर्फबारी के दौरान भी दिक्कत ना हो. मंदाकिनी तट पर ही दुकानदारों के लिए व्यवस्था की जाएगी, ताकि मुख्य मार्गों पर दुकान न हो और श्रद्धालु पूजा पाठ करने के बाद आसानी से भ्रमण कर सकें.
केदार घाटी में बनाया जाएगा इंटरप्रिटेशन सेंटर
केदार घाटी में चल रहे पुल निर्माण के कार्यों के तहत सरस्वती पुल का निर्माण पूरा हो गया है. ऐसे में अब भैरव मंदिर जाने में श्रद्धालुओं को आसानी होगी. फिलहाल सरस्वती घाट पर श्रद्धालुओं के स्नान के लिए उचित व्यवस्था की जा रही है.
यही नहीं, केदारघाटी में एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, हॉस्पिटल, यात्री सुविधाएं, म्यूजियम और इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा. इंटरप्रिटेशन सेंटर में केदारघाटी में प्राचीन समय में किए गए विकास कार्यों और आपदा के चलते आयी विनाश के साथ ही पुनर्निर्माण के चल रहे कार्यों की पूरी जानकारी रखी होगी.
केदारनाथ में पुनर्निर्माण के पहले चरण के तहत 90 फीसदी कार्य हुए पूरे
केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों के प्रथम चरण के 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है. 15 अप्रैल तक इसे पूरा करने लक्ष्य रखा गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण यह समय पर पूरा नहीं हो पाया. वर्तमान में मंदाकिनी पर 60 मीटर स्पान ब्रिज का कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा. केदारनाथ में तीन गुफाओं एवं सरस्वती घाट का निर्माण कार्य पिछले साल ही पूर्ण हो चुका है.
128 करोड़ रुपये की लागत से होगा दूसरे चरण के पुनर्निर्माण का कार्य
128 करोड़ रुपये की लागत से केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के दूसरे चरण का काम किया जाएगा. पुनर्निर्माण कार्यों के दूसरे चरण के तहत, मंदाकिनी नदी में आस्था पथ, कतार प्रबंधन, तीर्थ यात्रियों को बैठने की व्यवस्था, रेन शेल्टर का निर्माण समेत अन्य विकास कार्य किये जाने हैं. हालांकि, सीएसआर के माध्यम से श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को 128.08 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं.
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इसमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 27.96 करोड़, ओएनजीसी ने 26 करोड़, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन ने 23.52 करोड़, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने 25.6 करोड़ और एनटीपीसी ने 25 करोड़ रुपये की धनराशि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को दिए हैं. ये धनराशि केदारनाथ धाम में विभिन्न पुनर्निर्माण कार्यों एवं यात्री सुविधाओं के विकास के लिए लगाई जाएगी.
केदारनाथ धाम में बनाया जाएगा प्राचीन मूर्तियों का ओपन म्यूजियम
साल 2013 में आई आपदा से हुई क्षति से उबरने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में श्री केदारनाथ मास्टर प्लान के अंतर्गत विभिन्न निर्माण व पुनिर्माण कार्य किए जाने हैं. इसी के तहत केदारनाथ धाम में प्राचीन मूर्तियों का ओपन म्यूजियम बनाया जाएगा. इस कार्य को भारत सरकार के संस्कृति विभाग के नेतृत्व में पूरा किया जाएगा.
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरस्वती एवं मंदाकिनी नदी के संगम का अत्याधुनिक तरीके से पूर्ननिर्माण किया जाएगा. धाम में अस्पताल, पुलिस स्टेशन समेत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाए जाएंगे. अस्पताल अत्याधुनिक तकनीक और विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से लैस होगा. धाम के आसपास एक अतिथि गृह भी तैयार किया जाएगा.
केदारनाथ धाम में होने वाले विकास कार्यों के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) और प्रशासनिक भवन में आने वाले 8 भवनों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा. इसके स्थान पर करीब 54 करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से नए भवन बनाए जाएंगे.
चारधाम सड़क परियोजना के तहत 450 किमी के काम पूरे
चारधाम सड़क परियोजना, ना सिर्फ चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए है बल्कि यह परियोजना सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाती है. हालांकि चारधाम सड़क परियोजना को लेकर यह भी तर्क दिया जाता रहा है कि अगर साल 2013 में आई भीषण आपदा के दौरान यह सड़क मौजूद होती, तो आपदा के दौरान अधिकांश लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
इस परियोजना के तहत 12,500 करोड़ की लागत से 825 किमी की सड़क बननी है. इसमें 53 पैकेज हैं. 647 किमी सड़क का काम शुरू हो गया है. इसमें से 450 किमी के 7,508 करोड़ रूपए के कार्य पूरे हो चुके हैं.
आपदा के बाद पटरी पर लौटा था पर्यटन
साल 2013 में केदारघाटी में आयी भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों के आने की संख्या बेहद कम हो गई थी. इसका असर साल 2014 में भी देखा गया, लेकिन साल 2014 के बाद धीरे-धीरे, पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे.
साल 2019 में पिछले सालों की तुलना में सबसे अधिक 10,000,21 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किये थे, लेकिन साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दस्तक के बाद एक बार फिर चारधाम की यात्रा पर आने वाले यात्रियो की संख्या घट गयी.
यही नहीं इस साल उम्मीद थी कि पर्यटन गतिविधियां सही ढंग से संचालित होगी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस साल ना के बराबर ही सैलानी उत्तराखंड पहुंचे. हालांकि पिछले साल 1,35,349 श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किये थे.
जख्म जिस पर वक्त भी नहीं लगा पाया मरहम
- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 4,400 से अधिक लोग मारे गए थे.
- 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया था.
- 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगहों पर मारे गए.
- 11 हजार से अधिक मवेशी बह गए या मलबे में दब गए.
- 1,300 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई.
- केदारघाटी में 2,141 भवनें ध्वस्त हो गए थे.
- 100 से ज्यादा होटल ध्वस्त हो गए थे.
- केदारघाटी से 90 हजार यात्रियों को सेना ने रेस्क्यू किया.
- 30 हजार स्थानीय लोगों को पुलिस ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.
- आपदा के दौरान 9 NH और 35 स्टेट हाईवे क्षतिग्रस्त हो गए थे.
- 2013 की आपदा के दौरान 2385 सड़कों को नुकसान पहुंचा था.
- आपदा में 86 मोटर पुल और 172 पुल बह गए थे.