ऋषिकेश: अहमदाबाद से तीन दिनों की पर्यावरण यात्रा पर आयीं रैग पिकर्स बहनों को परमार्थ निकेतन से विदाई दी गई. दोनों ने तीन दिनों तक यहां रहकर तीर्थ सेवन का लाभ लिया. रैग पिकर्स बहनें गंगा स्नान, ध्यान, योग और सत्संग के साथ ऋषिकेश और उत्तराखण्ड की संस्कृति से परिचित हुईं. उन सभी का नेत्र और कैंसर विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा उन्हें स्वच्छता का प्रशिक्षण भी दिया गया.
मस्तीजादे, रब्बा और मैं क्या करूं जैसी यादगार फिल्मों में अभिनय करने वाली सुष्मिता मुखर्जी और शेमारू ने इससे पहले परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और गुरुवार शाम को गंगा आरती में हिस्सा लिया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सब लोग मिलकर रहें, यही हमारी संस्कृति है. जिस प्रकार गंगा में जो कुछ भी मिलता है वह गंगा बनकर उसके साथ बहने लगता है, वैसे ही आज समाज की प्रत्येक धारा को साथ लेकर चलना होगा. रैग पिकर्स को सामान की नहीं बल्कि सम्मान की जरूरत है. परमार्थ निकेतन में सभी रैग पिकर्स बहनों का सम्मान किया गया.
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रैग पिकर्स से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि हम 100 बहनें पहली बार एक जैसे वेष में हैं. आज तक हमने लोगों की आंखों में अपने लिये घृणा और तिरस्कार ही देखा था. कई बार मन्दिर परिसर में भी खड़े होने नहीं दिया जाता था. लेकिन ये सौभाग्य की बात है कि गंगा के तट पर बसे परमार्थ निकेतन आश्रम में तीन दिन बिताने का मौका मिला. इस मौके पर सुष्मिता मुखर्जी ने कहा कि उन्हें और उनके साथी कलाकारों को परमार्थ निकेतन में परम शान्ति, सुचिता और दिव्यता का अनुभव मिला. आपको बता दें कि रैग पिकर्स वो जमात मानी जाती है जो कबाड़ बीनने का काम करते हैं.