ऋषिकेशः चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस दुनियाभर में जमकर कहर बरपा रहा है. कोरोना से कई हजारों लोगों की मौत चुकी है. जबकि, कई लोग इससे संक्रमित हैं. उत्तराखंड में भी तीन केस पॉजिटिव पाए गए हैं. जिसे देखते हुए विशेष एतिहात बरती जा रही है. इसी कड़ी में ऋषिकेश में राफ्टिंग पर 31 मार्च तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद राफ्टिंग करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि, ऋषिकेश में गंगा की लहरों पर राफ्टिंग का लुत्फ लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पंहुचते हैं, लेकिन प्रशासन ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए व्हाइट वाटर राफ्टिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही साफ तौर पर यह भी अल्टीमेटम जारी किया है कि कोई भी इस आदेश से इतर गंगा में राफ्टिंग करवाता हुआ पाया जाता है तो पहले उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा. फिर बाद में उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
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वहीं, राफ्टिंग व्यवसायियों का कहना है कि इस व्यवसाय से बड़ी संख्या में युवा जुड़े हैं. साथ ही राफ्टिंग के जरिए ही उन्हें रोजगार मिला हुआ है, लेकिन अब राफ्टिंग को बंद करने के बाद उनके सामने आर्थिक सकंट खड़ा हो सकता है.
राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट के मुताबिक, ऋषिकेश में 256 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. जिनके पास कुल 576 राफ्ट हैं. राफ्टिंग और कैंपिंग से रोजाना 10-25 हजार रुपये की आय होती है. भट्ट की मानें तो एक महीने तक राफ्टिंग बंद रहने पर करीब 5 करोड़ 12 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है.