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ऋषिकेश: पांडुलिपियों के संरक्षण की मुहिम, आने वाली पीढ़ी हो सके रूबरू

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Published : Nov 1, 2019, 3:20 PM IST

Updated : Nov 1, 2019, 3:29 PM IST

पुराना दरबार ट्रस्ट पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण की दिशा में विशेष कार्य कर रहा है.

पुराना दरबार ट्रस्ट

ऋषिकेषः टिहरी जिले में पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है. भारत सरकार से भी इन पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण की मांग की है. पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के लिए पुस्तक भी निकाली जा रही है. जिससे लोगों को इन पांडुलिपियों के बारे में पता लग सके.

पांडुलिपियों के संरक्षण की मुहिम.

गुरुवार को नवदुर्गा मंदिर में पुराना दरबार के ट्रस्टी ठाकुर भावनी प्रताप सिंह ने कहा कि बीते सप्ताह पुराना दरबार ट्रस्ट की ओर से श्रीदेव सुमन विवि मुख्यालय बादशाहीथौल में पाडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में गढ़वाल क्षेत्र के जौनसार, उत्तरकाशी सहित कई अन्य जगहों से जुड़ी पांडुलिपियों के बारे में विशेषज्ञयों उनके बारे में अध्ययन कर जानकारी जुटाई. उन्होंने कहा कि दरबार ट्रस्ट गढ़वाल के पुराने दस्तावेज और धरोहरों का संरक्षण और संग्रह करने में लगा है.

कार्यशाला में कई दस्तवेज ऐसे थे जो 100 लेकर 200 साल पुराने हैं. कई घरों में अभी भी पाडुलियां मौजूद हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग उनका संरक्षण और संग्रह नहीं कर पा रहे है. जिन लोगों के घरों में पाडुलिपियां अभी भी हैं वह उनके संरक्षण और संग्रह के लिए पुराना दरबार ट्रस्ट से संपर्क कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः साहित्य की ओर लोगों का रूझान हो रहा कम, प्रोत्सान के लिए बढ़ावा देने की जरूरत

दरबार से जुड़े लोग पांडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के बारे उन्हें जानकारी देंगे. कहा दरबार ट्रस्ट के पास पुरानी टिहरी की विरासत से जुड़ी कई चीजें मौजूद हैं और उनके संरक्षण के लिए एक संग्रहालय की जरुरत है.

साथ ही इसके लिए सरकार और टीएचडीसी से अनुरोध करेंगे कि वह दरबार ट्रस्ट को भूमि आवंटित करे जिससे झील में डूब चुके शहर से जुड़ी चीजों को वहां पर रखा जा सके और आने वाली पीढ़ी को पुरानी टिहरी तथा हमारे पुरखों के बारे में जान सकें.

ऋषिकेषः टिहरी जिले में पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है. भारत सरकार से भी इन पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण की मांग की है. पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के लिए पुस्तक भी निकाली जा रही है. जिससे लोगों को इन पांडुलिपियों के बारे में पता लग सके.

पांडुलिपियों के संरक्षण की मुहिम.

गुरुवार को नवदुर्गा मंदिर में पुराना दरबार के ट्रस्टी ठाकुर भावनी प्रताप सिंह ने कहा कि बीते सप्ताह पुराना दरबार ट्रस्ट की ओर से श्रीदेव सुमन विवि मुख्यालय बादशाहीथौल में पाडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में गढ़वाल क्षेत्र के जौनसार, उत्तरकाशी सहित कई अन्य जगहों से जुड़ी पांडुलिपियों के बारे में विशेषज्ञयों उनके बारे में अध्ययन कर जानकारी जुटाई. उन्होंने कहा कि दरबार ट्रस्ट गढ़वाल के पुराने दस्तावेज और धरोहरों का संरक्षण और संग्रह करने में लगा है.

कार्यशाला में कई दस्तवेज ऐसे थे जो 100 लेकर 200 साल पुराने हैं. कई घरों में अभी भी पाडुलियां मौजूद हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग उनका संरक्षण और संग्रह नहीं कर पा रहे है. जिन लोगों के घरों में पाडुलिपियां अभी भी हैं वह उनके संरक्षण और संग्रह के लिए पुराना दरबार ट्रस्ट से संपर्क कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः साहित्य की ओर लोगों का रूझान हो रहा कम, प्रोत्सान के लिए बढ़ावा देने की जरूरत

दरबार से जुड़े लोग पांडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के बारे उन्हें जानकारी देंगे. कहा दरबार ट्रस्ट के पास पुरानी टिहरी की विरासत से जुड़ी कई चीजें मौजूद हैं और उनके संरक्षण के लिए एक संग्रहालय की जरुरत है.

साथ ही इसके लिए सरकार और टीएचडीसी से अनुरोध करेंगे कि वह दरबार ट्रस्ट को भूमि आवंटित करे जिससे झील में डूब चुके शहर से जुड़ी चीजों को वहां पर रखा जा सके और आने वाली पीढ़ी को पुरानी टिहरी तथा हमारे पुरखों के बारे में जान सकें.

Intro:Feed send on FTP Folder name--Tehri pandulipi टिहरी--टिहरी जिले में पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पांडुलिपियो और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है और भारत सरकार से भी इन पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के संरक्षण की मांग की है,पुराना दरबार ट्रस्ट द्वारा पूरे उत्तराखंड से लोगों से पांडुलिपियों और हस्तलिखित ग्रंथों के लिए एक गढ़वाल के पुराने अभिलेख पुस्तक भी निकाली जा रही है जिससे लोगों को इन पांडुलिपियों के बारे में पता लग सके।


Body:वी/ओ--गुरुवार को नवदुर्गा मंदिर में पुराना दरबार के ट्रस्ट के ट्रस्टी ठाकुर भावनी प्रताप सिंह ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि बीते सप्ताह पुराना दरबार ट्रस्ट की ओर से श्रीदेव सुमन विवि मुख्यालय बादशाहीथौल में पाडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के लिए पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में गढ़वाल क्षेत्र के जौनसार, उत्तरकाशी सहित कई अन्य जगहों से जुड़ी पाडुलिपियों के बारे में विशेषज्ञयों उनके बारे में अध्ययन कर जानकारी जुटाई। कहा दरबार ट्रस्ट गढ़वाल के पुराने दस्तावेज और धरोहरों का संरक्षण और संग्रह करने में लगा है।  कार्यशाला में कई दस्तवेज ऐसे थे जो सौ लेकर दो साल पुराने हैं। कई घरों में अभी भी पाडुलियां मौजूद है, लेकिन जानकारी के आभाव में लोग उनका संरक्षण और संग्रह नहीं कर पा रहे है। कहा जिन लोगों के घरों में पाडुलिपियां अभी भी है वह उनके संरक्षण और संग्रह के लिए पुराना दरबार ट्रस्ट से संपर्क कर सकते है। दरबार से जुड़े लोग पाडुलिपियों के संरक्षण और संग्रह के बारे उन्हें जानकारी देंगे। कहा दरबार ट्रस्ट के पास पुरानी टिहरी की विरासत से जुड़ी कई चीजें मौजूद है और उनके संरक्षण के लिए एक संग्रहालय की जरुरत है।


Conclusion:वी/ओ--  इसके लिए सरकार और टीएचडीसी से अनुरोध करेंगे की वह दरबार ट्रस्ट को भूमि आवंटित करें, जिससे झील में डूब चुके शहर से जुड़ी चीजों को वहां पर रखा जा सके। और आने वाली पीढ़ी को पुरानी टिहरी तथा हमारे पुरखों के बारे में जान सके।   बाईट--ठाकुर भवानी प्रताप सिंह(ट्रस्टी पुराना दरबार)
Last Updated : Nov 1, 2019, 3:29 PM IST
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