देहरादून: प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. ऐसे में मरीजों के तीमारदारों को ब्लैक फंगस की इंजेक्शन के लिए सीएमओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. रेमडेसिविर के बाद ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की बाजार में किल्लत होने की वजह से तीमारदार दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है. वहीं, कांग्रेस ने कहा कि जब इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है तो फिर सरकार ने एसओपी क्यों जारी की?
आज सीएमओ ऑफिस पर तमाम अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन पहुंचे, लेकिन उन्हें सुबह से ही कभी इधर तो कभी उधर दौड़ाया गया, फिर भी इंजेक्शन नहीं मिलने से नाराजज तीमारदारों ने सीएमओ ऑफिस के बाहर हंगामा किया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में ब्लैक फंगस की दवा लेने पहुंचे सिद्धांत शुक्ला ने कहा कि इंद्रेश अस्पताल में उनकी रिश्तेदार लक्ष्मी देवी ब्लैक फंगस बीमारी से जूझ रही हैं. ऐसे में वह 4 दिनों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. स्वास्थ विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि इंजेक्शन स्टॉक में नहीं है, उन्होंने कहा कि विभाग की लापरवाही से उनके मरीज को काफी दिक्कतें हो रही है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है.
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वहीं, ऋषिकेश से अपने पिता के लिए ब्लैक फंगस दवा का इंजेक्शन लेने पहुंचे मुजम्मिल इंजेक्शन के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं. लेकिन उन्हें रोजाना खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सीएमओ कार्यालय में लगातार चक्कर काटने के बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है और ना ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी उनसे कोई बात करने को तैयार हैं.
वहीं, ब्लैक फंगस मरीजों के परिजनों की दिक्कतों को देखते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचे और वहां धरना देकर अपना आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ब्लैक फंगस के इलाज के लाख दावों के बावजूद राजधानी देहरादून में लोगों को इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है और मरीज अस्पतालों में तड़प रहे हैं.
सूर्यकांत धस्माना ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें 2 दिनों से कई लोगों के फोन ब्लैक फंगस की इंजेक्शन को लेकर आ रहे हैं. सरकार द्वारा बनाए गए नोडल अधिकारी और सीएमओ को फोन किया जा रहा है तो वह फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझ रहे. कभी फोन उठ रहा है तो एक ही जवाब मिल रहा है कि इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. जब इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है तो फिर सरकार ने एसओपी क्यों जारी की.