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आयुर्वेदिक डॉक्टरों को एलोपैथ इस्तेमाल करने की मंजूरी, कांग्रेस ने बताया 'विवेकहीन सरकार' का गलत निर्णय

उत्तराखंड में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को इमरजेंसी में एलोपैथिक दवा लिखने की जो मंजूरी दी है, उस पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इसे विवेकहीन सरकार का गलत निर्णय बताया है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह
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Published : Jun 22, 2021, 5:30 PM IST

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर उत्तराखंड सरकार ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को इमरजेंसी में एलोपैथिक दवा लिखने की मंजूरी दी है. इस मामले में जहां पहले से ही एलोपैथिक डॉक्टर भड़के हुए हैं. वहीं अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना काल में वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रही है.

मंगलवार को उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में आगामी चुनावी रणनीति को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में पूर्व विधायक राजकुमार, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी, गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, कांग्रेस प्रदेश सचिव विकास नेगी, कांग्रेस प्रवक्ता डॉक्टर आरपी रतूड़ी आदि मौजूद थे.

इस दौरान प्रीतम सिंह ने आयुर्वेद को एलोपैथ का अधिकार दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कोरोना का दौर चल रहा है. कोरोना के समय में सरकार जिस तरह की व्यवस्थाएं कर रही है, उससे आयुर्वेद पर एलोपैथ के बीच आपसी वैमनस्य पैदा हो रहा है. सरकार को ऐसी विषम परिस्थितियों में इस प्रकार के निर्णय से बचना चाहिए था.

पढ़ें- उत्तराखंड सरकार की बड़ी घोषणा, इमरजेंसी में आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे ऐलोपैथिक इलाज

प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा की विवेकहीन सरकार गलत निर्णय ले रही है, जिससे आयुर्वेद और एलौपेथ के बीच आपसी मनमुटाव बढ़ रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आयुर्वेद और एलोपैथ एक है तो फिर इनकी परीक्षाएं अलग-अलग क्यों आयोजित की जाती हैं? ऐसे में आयुर्वेद और एलोपैथ को समायोजित करके परीक्षाएं आयोजित करानी चाहिए.

प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रश्न यह नहीं है कि आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथ का अधिकार दे दिया गया है. प्रश्न यह है कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है जो कदापि उचित नहीं है. उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की अपील की है.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सीएम तीरथ सिंह रावत ने आयुर्वेद को लेकर कुछ बड़ी घोषणाएं की थी. मुख्यमंत्री ने हिमाचल की तर्ज पर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में एलोपैथिक परामर्श को अनुबंध करने की मांग को भी मानते हुए दवाई लिखने और सुझाव देने का आयुर्वेदिक चिकित्सकों को अधिकार दिया है.

देहरादून: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर उत्तराखंड सरकार ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को इमरजेंसी में एलोपैथिक दवा लिखने की मंजूरी दी है. इस मामले में जहां पहले से ही एलोपैथिक डॉक्टर भड़के हुए हैं. वहीं अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना काल में वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रही है.

मंगलवार को उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में आगामी चुनावी रणनीति को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में पूर्व विधायक राजकुमार, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी, गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, कांग्रेस प्रदेश सचिव विकास नेगी, कांग्रेस प्रवक्ता डॉक्टर आरपी रतूड़ी आदि मौजूद थे.

इस दौरान प्रीतम सिंह ने आयुर्वेद को एलोपैथ का अधिकार दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कोरोना का दौर चल रहा है. कोरोना के समय में सरकार जिस तरह की व्यवस्थाएं कर रही है, उससे आयुर्वेद पर एलोपैथ के बीच आपसी वैमनस्य पैदा हो रहा है. सरकार को ऐसी विषम परिस्थितियों में इस प्रकार के निर्णय से बचना चाहिए था.

पढ़ें- उत्तराखंड सरकार की बड़ी घोषणा, इमरजेंसी में आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे ऐलोपैथिक इलाज

प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा की विवेकहीन सरकार गलत निर्णय ले रही है, जिससे आयुर्वेद और एलौपेथ के बीच आपसी मनमुटाव बढ़ रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आयुर्वेद और एलोपैथ एक है तो फिर इनकी परीक्षाएं अलग-अलग क्यों आयोजित की जाती हैं? ऐसे में आयुर्वेद और एलोपैथ को समायोजित करके परीक्षाएं आयोजित करानी चाहिए.

प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रश्न यह नहीं है कि आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथ का अधिकार दे दिया गया है. प्रश्न यह है कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है जो कदापि उचित नहीं है. उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने की अपील की है.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सीएम तीरथ सिंह रावत ने आयुर्वेद को लेकर कुछ बड़ी घोषणाएं की थी. मुख्यमंत्री ने हिमाचल की तर्ज पर आयुर्वेदिक चिकित्सालय में एलोपैथिक परामर्श को अनुबंध करने की मांग को भी मानते हुए दवाई लिखने और सुझाव देने का आयुर्वेदिक चिकित्सकों को अधिकार दिया है.

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