देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र चल रहा है. आज तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों ने कई सवाल पूछे. जिसमें पुलिसकर्मियों के वेतन भत्ते, गेस्ट टीचर को नियमित करने, अघोषित बिजली कटौती समेत कई मुद्दों को उठाया गया. जिस पर सदन में जवाब दिया गया है. खास बात ये रही है कि उत्तराखंड में एक कैदी पर पुलिसकर्मी से ज्यादा खर्च होने की बात भी सामने आई.
उत्तराखंड में पुलिसकर्मी से ज्यादा कैदी पर खर्चः दरअसल, हरिद्वार जिले की खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने पुलिसकर्मियों के वेतन भत्तों से जुड़ा मामला उठाया. जिसमें उन्होंने कहा कि हर विषम परिस्थियों में पुलिसकर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उत्तराखंड में एक पुलिसकर्मी को रोजाना 56 रुपए भोजन भत्ता दिया जा रहा है. जबकि, एक कैदी पर सरकार रोजाना 100 रुपए खर्च कर रही है.
विधायक उमेश कुमार ने सदन में कहा कि प्रदेश के पुलिसकर्मियों के भोजन भत्ते और 4600 ग्रेड पे को बढ़ाया जाए. वहीं, इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने पुलिसकर्मियों के लिए चलने वाली तमाम योजनाओं और प्रोत्साहन राशि की जानकारी दी.
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उत्तराखंड में रेगुलर टीचर से गेस्ट टीचर दे रहे बेहतर रिजल्टः वहीं, नियम 58 के तहत कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने गेस्ट टीचर को नियमित करने और कलस्टर स्कूल बंद करने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि नियमित शिक्षक से ज्यादा बेहतर रिजल्ट गेस्ट टीचर ने दिया. जिस पर शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया.
मंत्री रावत ने कहा कि एनईपी (NEP) यानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद उत्तराखंड अन्य राज्यों से बेहतर है. उत्तर प्रदेश ने जहां 35 बच्चों पर एक शिक्षक हैं तो वहीं उत्तराखंड में 16 बच्चों पर एक शिक्षक है. सरकार सभी से बात करेगी. प्रधान, अभिभावक की सहमति से हर ब्लॉक में एक आदर्श विद्यालय बनेगा.
उत्तराखंड में 5284 शिक्षकों के पद खालीः वहीं, धन सिंह रावत ने कहा कि इस आदर्श विद्यालय पर 20 लाख से 1 करोड़ रुपए तक की धनराशि खर्च होगी. राज्य में 58 हजार 900 से ज्यादा शिक्षकों के पद हैं. जबकि, विभिन्न विद्यालयों में 5284 शिक्षकों के पद खाली हैं. कई मामले ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मामले कोर्ट में लंबित हैं. जूनियर हाईस्कूल में पदोन्नति से शिक्षकों की भर्ती होनी है. जिस पर विभाग ने अधियाचन दिया है.
बिजली कटौती का मामला सदन पर जोरशोर से उठाः इसके अलावा नियम 58 में कांग्रेस विधायक गोपाल राणा, ममता राकेश, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक आदेश चौहान ने अघोषित बिजली कटौती का मामला उठाया. विपक्षी विधायकों ने कहा सदन की कार्यवाही रोक कर इस विषय पर चर्चा कराई जाए.
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बिजली कटौती के चलते शहर और ग्रामीण दोनों जगहों पर जनता परेशान हैं. छात्र से लेकर किसान बेहाल हैं. बिजली कटौती से ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्घटनाएं घट रही हैं. विपक्ष ने सरकार पर अघोषित विद्युत कटौती का आरोप भी लगाया. विपक्ष का कहना था कि ऊर्जा प्रदेश का नारा सार्थक नहीं हो पा रहा है.
वहीं, संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में विद्युत कटौती के आंकड़े रखे, लेकिन सरकार के आंकड़ों से विपक्ष संतुष्ट नजर नहीं आया. विपक्ष ने कहा सरकार बताए कि कोटद्वार में कितनी कटौती होती है? संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि अगस्त महीने में ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना 23 घंटे 2 मिनट बिजली मिली. जबकि, शहरी क्षेत्र में 23 घंटे 36 मिनट बिजली मिली.